Poultry Farming: मुर्गी पालन करते हैं तो खुश हो जाएं, जल्द होगी चौतरफा कमाई! नए पोल्ट्री फार्म के लिए भी एकदम परफेक्ट टाइम
Poultry Market Growth: कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण नुकसान झेलने के बाद अब पोल्ट्री बिजनेस में 5 से 8% की ग्रोथ के आसार हैं. IPEMA का मानना है कि जल्द ये करोबार 1.20 लाख करोड़ को पार कर सकता है.
Poultry Farming Business: देश में दूध और अंड़े के तौर पर प्रोटीन की खपत बढ़ती जा रही है, जिससे डेयरी और पोल्ट्री के क्षेत्र में ग्रोथ की संभावनाएं है. डेयरी फार्मिंग को भी तेजी से प्रमोट किया जा रहा है, लेकिन अब आने वाला समय पोल्ट्री फार्मिंग करने वाले को बंपर मुनाफा दिलाएगा. इस मामले में इंडियन पोल्ट्री इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IPEMA) के अध्यक्ष चक्रधर राव पोटलुरी ने बताया कि आने वाले समय में पोल्ट्री बिजनेस में 5 से 8 प्रतिशत की ग्रोथ देखी जाएगी. इसी के साथ पोल्ट्री का बाजार भी बढ़कर 1.20 लाख करोड़ रुपये के पार हो सकता है.
ये पुराने पोल्ट्री किसानों के लिए अच्छा संकेत है ही, लेकिन जो लोग मुनाफे की तलाश में एग्री बिजनेस या पोल्ट्री बिजनेस में आने का सोच रहे हैं, उनके लिए भी यह टाइम एकदम परफेक्ट है. जानकारी के लिए बता दें कि पोल्ट्री फार्मिंग के लिए देश में नेशनल लाइवस्टॉक मिशन (National Livestock Mission) भी चलाया जा रहा है, जिसके लिए मुर्गी पालन के लिए सब्सिडी, लोन और ट्रेनिंग जैसी सुविधाएं दी जाती है.
विशेष पोल्ट्री बोर्ड बनाने की जरूरत
पिछले दिनों पोल्ट्री के क्षेत्र में कुछ नुकसान देखने को मिला था. बदलते मौसम और कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण व्यवसायियों को भी सही दाम नहीं मिल पा रहे थे, लेकिन अब लंबे इंतजार के बाद पोल्ट्री के क्षेत्र में अच्छी ग्रोथ देखी जा रही है. इस मामले में इंडियन पोल्ट्री इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IPEMA) के अध्यक्ष चक्रधर राव पोटलुरी का कहना है कि केंद्र सरकार को इस अवसर पर कीमतों और प्रोडक्शन की देखभाल के लिए एक विशेष पोल्ट्री बोर्ड बनाना चाहिए, जिससे पोल्ट्री फार्मर्स को नुकसान ना झेलना पड़े. यह इसलिए भी आवश्यक है कि क्योंकि इन दिनों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु समेत पोल्ट्री फार्मिंग में अग्रणी राज्यों में बिजनेस नुकसान में जा रहा है.
10 गुना बढ़ी अंडे की कीमत
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब पोल्ट्री के बढ़ते निर्यात से उत्पादकों को मुनाफा हो रहा है, जिससे कई राज्यों में पुराने बाजारों मे पोल्ट्री का बिजनेस बढ़ा लिया है, जिससे दक्षिण भारतीय राज्यों की मुसीबतें बढ़ती दिखाई दे रही हैं. इस मामले में EPEMA के लीडर अनिल धूमल बताते हैं कि पोल्ट्री फार्मिंग बिजनेस के साथ-साथ इसकी उत्पादन लागत भी बढ़ गई है. बेशक अंडों के दाम में 10 गुना ग्रोथ हुई है, लेकिन 1970 के बाद से श्रम भी 3.50 से 100 गुना बढ़कर 350 रुपये हो गया है. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में पोल्ट्री फार्मिंग का बिजनेस प्रभावी स्तर पर पहुंच चुका है.
यहां करें अपलाई
अगर आपने भी खुद का पोल्ट्री फार्म चलाने का मन बना लिया है तो पैसों की चिंता ना करें, क्योंकि राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत आवेदन करने पर लाभार्थी को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी या अधिकतम 25 लाख रुपये का अनुदान और नाबार्ड से सस्ती दरों पर लोन भी मिलता है. इस स्कीम का लाभ लेकर लेयर्ड पोल्ट्री फार्मिंग शुरू कर सकते हैं. अच्छा रहेगा यदि कुक्कट की उन्नत प्रजातियां पालें.
जैसे इन दिनों देश में कड़कनाथ प्रचलन में है. इसके अंडे और मांस की काफी डिमांज है, लेकिन आपूर्ति नहीं हो पाती. इसके अलावा सील, कड़कनाथ, ग्रामप्रिया, स्वरनाथ, केरी श्यामा, निर्भीक, श्रीनिधि, वनराजा, कारी उज्जवल और कारी कुक्कट की भी भारी मांग रहती है. इस स्कीम से जु़ड़ी अधिक जानकारी के लिए ऑफिशियल पोर्टल https://nlm.udyamimitra.in/ पर विजिट और आवेदन कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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