Agri Tech: सीधा अंतरिक्ष से जुड़ेगी भारतीय कृषि, इसरो के इस खास प्रस्ताव से किसानों को मिलेंगे बेमिसाल फायदे
Satellite for Agriculture Sector: खेती में अनिश्चितताओं के कारण किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसके समाधान के लिये इसरो ने कृषि सेक्टर को समर्पित 2 स्पेस सैटेलाइट का प्रस्ताव रखा है.
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Bharat Krishi Satellite Program: कृषि एक अनिश्चितताओं का व्यवसाय है, जहां कृषि कार्यों के बीच किसानों को मौसम और कीट-रोग जैसी तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इन परेशानियों के चलते फसलों का उत्पादन कम हो जाता है और किसानों को नुकसान झेला पड़ता है. दुनिया का सबसे पुराना व्यवसाय होने पर भी आजतक किसान मौसम के सटीक पूर्वानुमान से वंचित हैं. कृषि और किसानों की ऐसी समस्याओं का तोड़ निकला है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO)ने.
जी हां, खेती को अब और भी ज्यादा सुविधाजनक बनाने के लिये अब किसानों को सीधा अंतरिक्ष से मदद मिलेगी. इसके लिये इसरो ने कृषि मंत्रलाय को भारतीय कृषि के लिये समर्पित दो सेटेलाइट स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है. इस कार्यक्रम को 'भारतीय कृषि सेटेलाइट प्रोग्राम' (Indian Agriculture Satellite Program) नाम दिया गया है.
इसरो ने दिया 'भारतीय कृषि सेटेलाइट प्रोग्राम' का प्रस्ताव
वैसे तो खेती की आधुनिक तकनीकों ने मौसम की अनिश्चतताओं से काफी हद तक राहत दिलाई है, लेकिन भारत के ग्रामीण इलाकों में आज भी खेती मौसम पर ही आधारित है. यहां मौसम सही है तो किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद बन जाती है, लेकिन मौसम की बेरुखी के कारण कृषि में भारी नुकसान भी झेलना पड़ता है. ये समस्या सटीक मौसम पूर्नवानुमान ना मिलने के कारण आती है.
इस साल कृषि में नुकसान के लिये मौसम ही जिम्मेदार है, जिसके चलते देश के कुछ इलाकों में सूखा तो कहीं बाढ़ के कारण फसलों में भारी नुकसान हुआ है. ऐसी ही समस्याओं के मद्देनजर अब इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कृषि सेक्टर के लिये दो सेटेलाइट समर्पित करने का प्रस्ताव रखा है.
जानकारी के लिये बता दें कि इन सेटेलाइट्स का स्वामित्व भी कृषि मंत्रालय के पास ही रहेगा, जिससे कृषि क्षेत्र से जुड़ी तमाम जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2022 के अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्रालय (Indian Agriculture Ministry) के साथ भारत कृषि सेटेलाइट कार्यक्रम पर काम करने का प्रस्ताव रखा.
रिपोर्ट्स के अनुसार, इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2022 कार्यक्रम इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ (ISRO Head S Somnath) ने कहा कि फसल का उत्पादन सिर्फ एक सप्ताह में नहीं मिलता, बल्कि इक काम में कई महीने लग जाते हैं. ऐसे में किसानों को लगातार निगरानी करने की जरूरत पड़ती है. इसके लिये हमारी सेटेलाइट्स काफी नहीं है, बल्कि अच्छे ऑबजर्वेशन और तकनीकी सहायता के लिये अतिरिक्त सेटेलाइट लगाने की जरूरत है.
किसानों को मिलेंगी ये सुविधायें
बेशक अभी 'भारतीय कृषि सेटेलाइट प्रोग्राम' सिर्फ चर्चाओं में ही है, लेकिन इसरो का ये प्रस्ताव किसानों के लिये खुशहाली ला सकते हैं. जलवायु परिवर्तन के बीच कृषि सेक्टर ही सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. ऐसे में सेटेलाइट्स आधारित कार्यक्रम के जरिये किसानों को समय पर मौसम पूर्वानुमान(Weather Forecast), फसल उत्पादन पूर्वानुमान, सिंचाई, मिट्टी के आंकड़े, और सूखे से संबंधित जानकारी मिल पायेगी. इसकी सबसे बड़ी खासियत यही होगी कि किसानों को आपदा से पहले ही प्रबंधन करने का मौका मिल जायेगा, जिससे फसलों में काफी हद तक नुकसान को कम किया जा सकता है.
उदाहरण के तौर पर धान की रोपाई के समय सूखा, धान की कटाई के समय बारिश और गर्मी पड़ने से भी गेहूं का उत्पादन काफी कम होता जा रहा है. ऐसे में इसरो की ओर से प्रास्तावित 'भारतीय कृषि सेटेलाइट प्रोग्राम' के तहत सेटेलाइट्स के जरिये मौसम की हर हरकत और बदलाव पर नजर रहेगी. ऐसे में समय से पहले ही अलर्ट जारी करके कृषि में राहत-बचाव करना आसान हो जायेगा.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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