(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Honey Farming: आम मधुमक्खियों के मुकाबले 3 गुना ज्यादा शहद देती है 'इटैलियन बी', खूबियां जानकर शुरू कर देंगे शहद की खेती
Italian Honey Bee Keeping:इटालियन मधुमक्खियों की आबादी कम समय में ही 50,000 तक पहुंच जाती है, जो आपसी तालमेल के हिसाब से 3 गुना ज्यादा शहद इकट्ठा करके किसानों को मालामाल बना सकती हैं.
Honey Farming Business: भारत में मधुमक्खी पालन (Bee Keeping) के जरिये शहद की खेती (Honey Farming) का दायरा बढ़ता जा रहा है. अब ज्यादातर किसान बागवानी फसलों के साथ-साथ मधुमक्खी पालन (Honey Bee Farming in Horticulture) पर जोर देकर अतिरिक्त आमदनी कम आ रहे हैं. आंकड़ों की मानें तो भारत में 80000 मिलियन से ज्यादा शहद उत्पादन (Honey Production in India) होता है. अब भारतीय शहद सिर्फ बाजार में मंडियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी निर्यात (Honey Export from India) किया जा रहा है. अमेरिका जैसे कई देशों में भारतीय शहद की मांग (Indian Honey Demand) बढ़ती जा रही है, जिसके चलते मधुमक्खी पालक भी हर तिकड़म आजमा कर शहद का उत्पादन बढ़ा रहे हैं.
इस काम में राष्ट्रीय शहद मिशन (National Honey Mission) और राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (National Bee Board) भी हर संभव योगदान दे रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, फसलों से अधिक मात्रा में शहद उत्पादन के लिए मधुमक्खियों की उन्नत प्रजातियों (Top Varieties of Honey Bee) का चयन करना सबसे ज्यादा जरूरी है. मधुमक्खी की आम प्रजातियां भी अच्छी मात्रा में शहद इकट्ठा करती हैं, लेकिन 3 गुना अधिक शहद उत्पादन के लिये इटालियन मधुमक्खी (Italian Honey Bee Farming)की यूनिट लगाने की सलाह दी जाती है.
इटालियन मधुमक्खी पालन
बागवानी विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में साधारण प्रजाति की मधुमक्खियां भी काफी मेहनत करके शहद इकट्ठा करती हैं, लेकिन स्मार्ट काम में इटालियन मधुमक्खियां काफी आगे है. बता दें कि भारतीय मधुमक्खियों की तुलना में इटालियन मधुमक्खी ज्यादा फ्रेंडली होती है, जो चारों दिशाओं से शहद इकट्ठा करके वापस कॉलोनियों में आ आती हैं. वहीं कई बार भारतीय मधुमक्खियां छत्ते को छोड़कर गायब हो जाती है और पेड़ों पर अलग छत्ता बना लेती हैं. एक रिसर्च के मुताबिक भारतीय मधुमक्खियों की जनसंख्या का आंकड़ा कुछ खास है, लेकिन इटालियन मधुमक्खियों की आबादी कम समय में ही 50,000 तक पहुंच जाती है, जो आपसी तालमेल के हिसाब से 3 गुना ज्यादा शहद इकट्ठा करके किसानों को मालामाल बना सकती हैं.
भारत में इटालियन मधुमक्खी
इटालियन मधुमक्खी कोई नई प्रजाति नहीं है, बल्कि भारत में काफी समय पहले इसकी यूनिट लगाई जा चुकी है. इसका श्रेय पंजाब कृषि विश्वविद्यालय को जाता है, जहां साल 1963 में इटालियन मधुमक्खी पर रिसर्च हुई और पंजाब के किसानों ट्रेनिंग देकर इटालियन मधुमक्खियों की कॉलोनियां लगा कर दी. सफल परिणामों के बाद इटालियम मधुमक्खी पालन बढ़ता चला गया और आज भारत के कई इलाकों में इटालियन मधुमक्खी पालन करके कई किसान शहद का बिजनेस कर रहे हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो साधारण शहद के मुकाबले इटालियन मधुमक्खी के शहद की क्वालिटी काफी अच्छी होती है, जिसके चलते बाजार में इसके काफी अच्छे दाम मिल जाते हैं. कई किसान तो लीची शहद, सरसों का शहद, आम का शहर, फूलों का शहर जैसी वैरायटी का उत्पादन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
इटालियन मधुमक्खी से शहद उत्पादन
एक अनुमान के मुताबिक, इटालियन मधुमक्खी की सही देखभाल और यूनिट के बेहतर प्रबंधन के जरिये 40 से 50 किलोग्राम प्रति बक्सा के हिसाब से शहद उत्पादन ले सकते हैं. बता दें कि यह मधुमक्खी फल और सब्जियों के पॉलिनेशन में काफी मदद करती है, जिससे उपज की क्वालिटी और मात्रा दोनों बढ़ जाती है. खासकर सेब के बागानों के साथ इटालियन मधुमक्खी पालन करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग
इटालियन मधुमक्खी पालन के जरिए अच्छा मुनाफा कमाने के लिए सही ट्रेनिंग (Training for Bee Farming) का होना बेहद जरूरी है. इस काम में राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National Honey Mission) के तहत आवेदन करके किसानों को ट्रेनिंग और अनुदान भी दिया जाता है. भारत में मधुमक्खी पालन के लिए नाबार्ड और राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (National Bee Board) भी कई योजनाओं के जरिये किसानों की मदद करती हैं. मधुमक्खी पालन के लिये केंद्र सरकार की तरफ से 80 से 85 प्रतिशत तक आर्थिक अनुदान (Subsidy on Bee farming) का प्रावधान है.
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