International Year of Millets 2023: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मोटे अनाजों के उत्पादन और इसकी खपत को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड पर काम चालू कर दिया है. इस बात की जानकारी केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने दी. नई दिल्ली में कृषि मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष-2023 (IYOM 2023) की प्री लॉन्च सेरेमनी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि इस अभियान के माध्यम से मिलिट की घरेलू व वैश्विक खपत बढ़ाना ही हमारा उद्देश्य है. वहीं विदेश मंत्री एस.जयशंकर (S. Jaishankar) ने भी बताया कि कोविड-19, क्लाइमेट चेंज और युद्ध जैसे वातावरण में आज मिलिट की प्रासंगिकता बढ़ी है. इससे फसल से ना सिर्फ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है, बल्कि ये अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए भी महत्वपूर्ण है.


पोषण का भंडार है मोटे अनाज
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मिलेट्स सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन व खनिजों का भंडार है. यह शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के दौर में  लोगों को एक ऑप्शनल फूड सिस्टम प्रदान करता है. यह सिर्फ संतुलित आहार ही नहीं, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी अहम है. यह मानव जाति के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.


यही वजह है कि कृषि मंत्रालय ने पोषक अनाजों के स्थायी उत्पादन का समर्थन करने, उच्च खपत के लिए जागरूकता पैदा करने, मंडी व मूल्य श्रृंखला विकसित करने और अनुसंधान-विकास गतिविधियों के लिए आर्थिक सहायता भी की जा रही है. कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत पोषक अनाजों से जुड़ी गतिविधियों का 14 राज्यों के 212 जिलों में क्रियान्वयन चल रहा है. राज्यों में किसानों को भी इनकी खेती के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है.






बढ़ाई किसानों की आमदनी
अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के प्री लॉन्च कार्यक्रम में कृषि सचिव मनोज अहूजा ने बताया कि महामारी के दौर में पोषक अनाजों ने छोटे और सीमांत किसानों की आय को बढ़ाने की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया है. ये दूसरी फसलों के मुकाबले बेहतर विकल्प है, क्योंकि ये जलवायु अनुकूल फसल है. यह कम पानी, कम कार्बन उत्सर्जन और सूखा जैसे भीषण हालातों में भी बढ़िया उत्पादन देती है.


कृषि सचिव ने यह भी बताया कि एशिया और अफ्रीका में सबसे ज्यादा पोषक अनाज उगाए और खाए जाते हैं. भारत के साथ-साथ नाइजर, सूडान और नाइजीरिया को आज पूरी दुनिया पोषक अनाज के प्रमुख उत्पादक के तौर पर जानती है. यहां देश में भी ज्वार, बाजरा, रागी और छोटे बाजरा के साथ-साथ कंगनी, कुटकी या छोटा बाजरा, कोडोन, गंगोरा या बार्नयार्ड, चीना और ब्राउन टॉप उगाया जा रहा है.


पोषक अनाज से जुड़े 500 स्टार्ट अप
नई दिल्ली में करीब 100 उच्चायुक्तों और राजदूतों के समक्ष अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 की प्री लॉन्चिंग सेरेमनी में पोषक अनाज की खेती से लेकर खपत और इससे खाद सुरक्षा और विदेशी संबंधों के बारे में भी चर्चा हुई. देश में पोषक अनाजों के कई स्टार्टअप को भी बढ़ावा मिल रहा है. इस पर कृषि मंत्रा नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि भारत में मिलेट मूल्य वर्धित श्रृंखला में 500 से ज्यादा स्टार्टअप काम कर रहे हैं.


इस श्रेणी में भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान ने आरकेवीवाई-रफ्तार के साथ मिलकर 250 स्टार्टअप को इनक्यूबेट किया है. आज 66 से अधिक स्टार्टअप्स को मिलिट्स के लिए सवा छह करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक मदद दी जा चुकी है. इनमें से 25 स्टार्टअप्स की राशि को मंजूर कर दिया गया है. इसके अलावा, पोषक अनाज की खपत को बढ़ाने वाले व्यंजनों और मूल्य वर्धित उत्पादों के प्रोडक्शन के लिए भी अब सरकार आगे बढ़कर मदद कर रही है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें- कोदो, कुटकी, रागी से इस राज्य ने कमा लिए करोड़ों रुपये, आप भी जानें कैसे हुआ ये कमाल