जीरा बेचने के लिए इस राज्य मेें लगी 15 किमी लंबी लाइन, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे
राजस्थान में जीरे की मांग बहुत तेजी से बढ़ गई है. मंडी के आगे वाहनों की 15 किलोमीटर लंबी लाइन लग गई है. घंटों इंतजार कर लोग जीरा, इसबगोल बेच रहे हैं.
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Jeera Price In Rajasthan: खरीफ सीजन किसानों के लिए अच्छा नहीं रहा. बाढ़, बारिश और सूखे के कारण किसानों की फसलों को खासा नुकसान उठाना पड़ा. हाल में बारिश, ओलावृष्टि ने भी रबी सीजन की गेहूं, सरसों समेत अन्य फसलें प्रभावित हुई हैं. लेकिन राजस्थान में इस बार जीरे की बिक्री बहुत अधिक बढ़ गई है. लोग वाहनों में जीरे को लेकर पहुंच रहे हैं. बढ़े दामों को लेकर स्थानीय लोग बेहद खुश हैं. बाजार में जीरा बिक्री पर अच्छे दाम मिल रहे हैं. अच्छी बिक्री देखकर किसानों के चेहरे भी खिले हुए हैं.
राजस्थान में लगी 15 किमी लंबी लाइन
जीरे की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजस्थान की मेड़ता (नागौर) अनाज मंडी में किसान शनिवार को रिकॉर्ड संख्या में पहुंच गए. इससे शहर पूरी तरह जाम हो गया. स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, हजारों की संख्या में ट्रैक्टर होने के कारण 15 किलोमीटर लंबा जाम लग गया है.
एक दिन में हुआ 125 करोड़ का बिजनेस
शनिवार सुबह से ही मंडी में इसबगोल, जीरा समेत अन्य उत्पादन के भरे हुए वाहन मंडियों में पहुंचना शुरू हो गए. शनिवार शाम तक एक ही दिन में करीब 125 करोड़ रुपये का बिजनेस किया. यह अपने आप में रिकॉर्ड माना जा रहा है. स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि आजतक एक दिन में मंडी में इतनी आवक नहीं देखी गई है. यहां 15 किमी के क्षेत्र में जीरा, ईसबगोल, रायड़ा, सौंफ सहित अन्य कृषि जिंसों से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलियां ही दिख रही थीं.
7 दिनों में आया एक महीने का माल
मार्च में 57 हजार क्विंटल जीरा समेत 1.47 लाख टन अनाज आया था, जबकि इस महीने में सिर्फ 7 बिजनेस डेज में 1 लाख क्विंटल जीरा समेत 2.17 लाख क्विंटल अनाज आ गया है. इतनी अधिक आवक देख मंडी कारोबारी भी खुश हैं. आने वाले दिनों में भी ऐसे ही अनाज आने की उम्मीद है.
कैसे तय होती होती है कीमत
जानकारों का कहना है कि कृषि मंडी में ढेरी बोली शेयर बाजार तय करता है. यहां शेयर मार्केट डोमेस्टिक और इंटरनेशनल मार्केट डिमांड के अनुसार काम करता है. यदि बाजार मेें किसी की मांग बढ़ी तो उसके शेयर बढ़ने लगते हैं. जैसे अभी जीरे की मांग बढ़ी है तो उसके शेयरों में उछाल आ गया है. शेयर बाजार टूटते ही अनाज की ढेरी बोली के भाव भी गिर जाते है. जो व्यापारी ढेरी की बोली अधिक कीमत की लगाता है. उसी के नाम छूट जाती है. उसी के हिसाब से किसान को पेमेंट कर दिया जाता है.
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