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Green Fuel एथेनॉल को बढ़ावा देगा झारखंड, प्रॉडक्शन यूनिट के लिए 50 करोड़ तक सब्सिडी की तैयारी

Subsidy on Ethanol Plant: इथेनॉल उत्पादन प्लांट लगाने के लिए 50 करोड़ तक की सब्सिडी देने का प्लान है. इसके लिए झारखंड सरकार ने इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2022 नाम से एक प्रस्ताव भी तैयार किया है.

Subsidy For Ethanol Production Unit: पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषण (Air Pollution) की बढ़ती समस्या ने आज पूरे देश को चिंता में डाल दिया है. बेशक पिछले साल के मुकाबले इस साल पराली जलाने की घटनाएं काफी कम रही हैं, लेकिन बावजूद इसके दिल्ली जैसे बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. ये बढ़ता प्रदूषण लोगों के सेहत के लिए चिंताजनक विषय तो है ही, इसी बीच तेल पर बढ़ती महंगाई भी जनता के लिए बड़ी समस्या पैदा कर रही है.

इसके लिए अब कई राज्य सरकारें ग्रीन फ्यूल (Green Fuel Ethanol) के प्रोडक्शन पर फोकस कर रही हैं. हरियाणा सरकार इस योजना पर पहले से ही काम कर रही है, लेकिन अब इस लिस्ट में जल झारखंड का नाम भी जुड़ने जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, झारखंड सरकार अब ग्रीन फ्यूल कहे जाने वाले इथोनॉल के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है. राज्य में इसका प्रोडक्शन प्लांट लगाने के लिए 50 करोड़ तक की सब्सिडी देने की भी तैयारी कर रही है. इसके लिए झारखंड के राज्य सरकार ने इथोनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2022 (Jharkhand Ethanol Production Promotion Policy 2022) नाम से एक प्रस्ताव भी तैयार किया है.

झारखंड इथोनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2022 
झारखंड राज्य सरकार ने देश में प्रदूषण के साथ-साथ महंगे तेल की समस्या को हल करने के लिए ग्रीन फ्यूल इथोनॉल के उत्पादन को बढ़ावा का प्रस्ताव तैयार किया है. इस योजना के तहत निवेशकों को इथोनॉल प्रोडक्शन प्लांट लगाने के लिए 25% तक की कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी. इन प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, लघु उद्यमों के लिए सब्सिडी की अधिकतम राशि 10 करोड़ और बड़े उद्यमों के लिए 50 करोड़ की धनराशि निर्धारित की गई है. इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने इथोनॉल प्रोडक्शन यूनिट के लिए स्टाम्प ड्यूटी में भी 50% तक की सब्सिडी देने का प्लान बनाया है. झारखंड सरकार ने तैयार प्रस्ताव में इथेनॉल उत्पादन से उद्यमों को कर्मचारियों के स्किल डेलपमेंट के लिए प्रति कर्मचारी के हिसाब से 13000 रुपये की सब्सिडी प्रदान करने की भी व्यवस्था की है. 

इथेनॉल उत्पादन पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
जाहिर है कि इथोनॉल एक ग्रीन फ्यूल है और लगातार कम होते प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति में ग्रीन फ्यूल, ग्रीन एनर्जी और ग्रीन एनवायरमेंटल प्रोडक्ट पर काफी फोकस किया जा रहा है, ऐसे में देखा जाए तो इथोनॉल उद्योगों का भविष्य काफी साकार है, खासकर भारत में जहां चावल मक्का गन्ना और गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और इनके कृषि उत्पादों का निपटान भी एक बड़ी समस्या है. ऐसे में इथोनॉल प्रोडक्शन यूनिट में इन फसलों के कृषि अवशेषों को कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. वहीं धान, मक्का और गन्ना के उत्पादन में झारखंड भी एक प्रमुख उत्पादक देश है. यही कारण है कि यहां इथोनॉल प्लांट शुरू होने से ना सिर्फ वायु प्रदूषण, बल्कि महंगे तेल की समस्या को हल करने में भी खास मदद मिलेगी. वहीं इथोनॉल उत्पादन प्लांट लगाए जाने से रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

भारत में इथोनॉल उत्पादन 
जानकारी के लिए बता दें कि भारत में पहले से ही 3000 मिलीयन लीटर इथोनॉल का उत्पादन किया जा रहा है, जबकि देश में इसकी खपत 3820 मिलियन लीटर है यानी अभी भी इथोनॉल का उत्पादन इसकी खपत से काफी कम है. ऐसे में राज्यों को ग्रीन फ्यूल इथोनॉल के उत्पादन की तरफ बढ़ने के लिए आगे आना होगा. अब इथोनॉल के प्रॉडक्शन के लिये केंद्र सरकार भी आगे आकर अहम फैसले ले रही है. नेशनल पॉलिसी ऑन बायोफ्यूल्स के तहत इथोनॉल प्रोडक्शन पर जीएसटी को भी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है.

केंद्रीय कैबिनेट की जैव ईंधन पर बनी राष्ट्रीय नीति 2028 में यह संशोधन पारित हो चुका है. इस सब के बाद इथोनॉल उत्पादन की सारी जिम्मेदारी ईंधन कंपनियों पर है, जिन्हें साल 2025 से लेकर 2030 तक पेट्रोल में इथोनॉल का प्रोडक्शन बढ़ाकर 20% तक ले जाना होगा. फिलहाल इस नीति पर तेजी से काम चल रहा है और अप्रैल 2023 तक इसके प्रभावी होने की संभावनाएं हैं.

इथोनॉल उत्पादन से देश को फायदे
इथोनॉल उत्पादन का सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को ही होगा. इससे जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या को हल करने में काफी मदद मिलेगी. इस मामले में नीति आयोग ने 2021 में जारी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2025 तक करीब 20% तक इथोनॉल सम्मिश्रण से देश को काफी फायदा हो सकता है. इससे हर साल 30000 करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत, ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि, कार्बन उत्सर्जन में कमी, बेहतर एयर क्वालिटी, पराली और फसल अवशेषों का सही इस्तेमाल, आत्मनिर्भरता, किसानों की आय में वृद्धि और निवेश के लिए एक नया उद्योग शुरू करने में मदद मिलेगी. इससे लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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