Kabuli Chana Production: यह साल देश के लिए अच्छा नहीं रहा. बारिश, बाढ़ और सूखे ने किसानों की फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया. बिहार, झारखंड समेत कुछ दक्षिण भारत के राज्यों में सूखे के कारण हालात खराब देखने को मिले. हालांकि, सूखे से निपटने के लिए केंद्र सरकार व स्टेट गवर्नमेंट ने किसानों की मदद की. वहीं साइंटिस्ट भी इन आपदाओं से फसलों को बचाने के लिए नई किस्म विकसित करने मेंलगे हुए हैं. कई फसलों की ऐसी नई प्रजातियां डेवलप भी की गई हैं. उनपर न तो सूखे का असर होता है और न ही अधिक पानी उनको नुकसान पहुंचा पाता है. अब काबुली चने को लेकर भी ऐसी ही खबर सामने आई है. 


सूखे से निपटने में सक्षम पूसा जेजी 16


भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (JNKVK) जबलपुर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर और आईसीआरआईएसएटी, पाटनचेरु, हैदराबाद की मदद से पूसा जेजी 16 नई प्रजाति विकसित की है. संस्थान सूखे से निपटने में सक्षम ऐसी ही प्रजाति विकसित करने मे ंकाफी समय से लगे हुए थे. अब काबुली चने की नई प्रजाति पूसा जेजी 16 को विकसित करने में सफलता हाथ लगी है. 


यहां होगा इस प्रजाति का उत्पादन


साइंटिस्ट ने यह भी देखा कि नई प्रजाति को विकसित कर किन क्षेत्रों में बोया जा सकता है. मध्य भारत में काबुली चने की उपज बढ़ाएगी. ऑवर ऑल देखें तो मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र, छत्तीसगढ़, दक्षिणी राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के मध्य क्षेत्र में सूखे से फसल को काफी नुकसान हो जाता है. इन क्षेत्रों में इस फसल की उपज पाई जा सकेगी. 


इस तकनीक से विकसित की प्रजाति


नई प्रजाति पूसा जेजी 16 को जीनोमिक असिस्टेड ब्रीडिंग तकनीक का प्रयोग कर डेवलप किया गया है. इस तकनीक में देखा गया कि किस तरीके से यह प्रजाति किस लेवल तक सूखा सहन करने में सक्षम है. अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम ने नेशनल लेवल पर इसका परीक्षण किया. परीक्षण में सफल होने पर इसके सूखा सहन करने की पुष्टि की गई. 


110 दिन में पक जाएगी फसल


काबुली चने की इस नई प्रजाति की फसल 110 दिन में पककर तैयार हो जाएगी. इसका उत्पादन एक टन प्रति हेक्टेयर यील्ड दे सकता है. वहीं, यह फसल बीमारी और कीट रोधी भी है. इसके लिए तापमान की बात करें तो ठंड का मौसम पफसल के लिए अनुकूल है. 24 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पफसल की अच्छी उपज हो जाती है. अधिकारियों के अनुसार, केंद्र सरकार ने काबुली चने की नई प्रजाति के नोटिपिफकेशन पर खुशी जताई है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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