Sandalwood Farming & Selling: चंदन की खेती करने वाले किसान और चंदन में भविष्य तलाशने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. कर्नाटक सरकार ने अपनी नई चंदन नीति-2022 जारी की है, जिसमें किसानों को अपनी जमीन चंदन की खेती करने और खुले बाजार में चंदन की बिक्री करने की छूट दी गई है. इस मामले में कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि अब देश-विदेश में चंदन की बढ़ती डिमांड के मद्देजनर सरकार ने राज्य के किसानों को चंदन की खेती और खुले बाजार में चंदन बेचने को मंजूरी दे दी है. स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि जब किसान अपनी जमीन पर चंदन उगाकर बेचेंगे तो इससे उनकी आमदनी में इजाफा होगा ही, साथ ही विदेश से चंदन आयात (Sandalwood Import) करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.


चंदन की खेती को मिलेगा बढ़ावा
कर्नाटक सरकार की नई चंदन नीति- 2022 (New Sandalwood Policy 2022) से राज्य में चंदन की खेती, कटाई, परिवहन और मार्केटिंग को बढ़ावा मिलेगा ही. इससे किसानों की आय भी दोगुना होगा. अभी तक चंदन की कटाई और परिवहन पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया हुआ था. लेकिन नई चंदन पॉलिसी के मुताबिक, चंदन की खेती से लेकर मार्केटिंग की प्रक्रिया पहले से कई गुना आसान हो जाएगी. नए नियमों के अनुसार, अब राज्य के किसानों को चंदन की खेती के लिए अपने क्षेत्र के वन विभाग में जाकर पंजीकरण करवाना होगा, जिसके बाद चंदन के पौधों में एक जीपीएस इंस्टॉल की जाएगी. इससे चंदन की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों पर रोक लगेगी ही, साथ ही किसानों को सुरक्षित ढंग से अपनी चंदन की लकड़ी को बेचने पर अच्छी आमदनी मिल जाएगी. 


चंदन की कटाई और परिवहन पर प्रतिबंध
चंदन की खेती करने वाले किसानों के लिए अभी तक के नियम यह थे कि चंदन के पौधों की रोपाई करने से पहले सरकार को पूरी जानकारी देनी होती थी. इसकी कटाई और परिवाहन के लिए भी विभाग से अनुमति ली जाती थी. किसान अपनी मर्जी से चंदन उगाकर खुले बाजार में नहीं बेच पाते थे, जिसके चलते अभी तक चंदन की अवैध तस्करी की घटनाएं हो रही थीं. इतना ही नहीं, चंदन उगाकर किसानों को सिर्फ वन विभाग के डिपो पर ही अपनी चंदन की लकड़ी बेचनी होती थी, लेकिन अब नई चंदन नीति-2022 के तहत नियमों को आसान बना दिया गया है, जिससे राज्य के किसानों को इन सभी प्रक्रियाओं में काफी आसानी रहेगी. 


देश-विदेश में बढ़ रही चंदन की डिमांड
जाहिर है कि चंदन एक प्राकृतिक औषधि है. चंदन के पेड़ की लकड़ी से लेकर जड़, पत्ते और फूल तक से दवाई, औषधी, ब्यूटी प्रॉडक्ट्स और रोजमर्रा के उत्पाद बनाए जाते हैं. चंदन के औषधीय गुणों के कारण ही देश और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चंदन की भारी डिमांड है, लेकिन भारत में इसका उत्पादन अधिक नहीं है. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार के अधीन कर्नाटक सोप और डिटर्जेंट लिमिटेड कंपनी चलाई जा रही है, जो चंदन के साबुन, कॉस्मेटिक, तेल समेत कई उत्पाद बनाती है. यहां भी चंदन की आपूर्ति ना हो पाने के कारण ऑस्ट्रेलिया से चंदन का आयात किया जा रहा है. भारत में चंदन की मांग और आपूर्ति को पूरा करने के लिए ही राज्य सरकार ने नई चंदन नीति-2022 के तहत किसानों को चंदन की खेती और इसकी मार्केटिंग के लिए छूट दी है.


नहीं होगी अवैध तस्करी
चंदन एक बहुमूल्य औषधि है. इसकी लकड़ी की कीमत करोड़ों मे होती है. खासकर लाल चंदन की मांग-आपूर्ति दुनियाभर में रहती है. करोड़ों के भाव बिकने वाली इस लकड़ी की तस्करी की ज्यादा संभावनाएं रहती हैं, लेकिन राज्य सरकार ने अपनी नई चंदन पॉलिसी में इस समस्या का भी समाधान किया है. राज्य सरकार की तरफ से चंदन के पेड़ों में जीपीएस चिप्स इंस्टॉल की जाएगी. इस तरह चंदन को तस्करों से बचाया जा सके और माइक्रो चिप (Micro Chip in Sandalwood) की मदद से चंदन की एक-एक लकड़ी की लोकेशन की ट्रेकिंग हो. इस तरह चंदन की खरीद-बिक्री और आवाजाही पर सरकार की पैनी नजर रहेगी.   


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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