Sunflower Cultivation: सूरजमुखी एक प्रमुख तिलहनी फसल है. वैसे तो इसकी खेती रबी, खरीफ, जायद तीनों ही फसल सीजन में की जाती है, लेकिन बेहतर उपज के लिए रबी के बाद जायद सीजन में इसकी खेती करने की सलाह दी जाती है. साथ में मधुमक्खी पालन करके भी किसान अच्छी आमदनी ले रहे हैं. सूरजमुखी का तेल बाजार में काफी अच्छे दाम पर बिक रहा है. देश को तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सूरजमुखी के प्रोडक्शन पर फोकस किया जा रहा है. ज्यादातर राज्यों के किसान सूरजमुखी की फसल लगाते हैं, लेकिन कर्नाटक, उड़ीसा, हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार से सूरजमुखी का 75 प्रतिशत उत्पादन मिल रहा है, जबकि इस लिस्ट में कर्नाटक का नाम टॉप पर है.


क्या कहते हैं कृषि मंत्रालय के आंकड़े
भारत में सूरजमुखी की खेती से करीब 1.48 मिलियन हेक्टेयर से आसपास रकबा कवर हो रहा है, जिससे 0.6 मीट्रिक टन प्रति एकड़ के हिसाब से उपज मिल रही है. सूरजमुखी का उत्पादन देश में इसलिए भी कम है, क्योंकि ज्यादातप इलाका वर्षा आधारित खेती के तहत आता है, जहां किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है.


ऐसे में सूरजमुखी की खेती में रिस्क बढ़ जाता है. इसके बावजूद 5 राज्यों ने सूरजमुखी उत्पादन के रकबे को कायम किया हुआ है. कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि कर्नाटक, उड़ीसा, हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार के किसान सूरजमुखी की खेती में काफी रुचि लेते हैं. इन राज्यों से कुल उत्पादन का 75% प्रोडक्शन मिल रहा है.


अकेले 48% प्रोडक्शन देता है कर्नाटक
कर्नाटक की मिट्टी और जलवायु को सूरजमुखी की खेती के लिए सबसे अनुकूल माना गया है. यही वजह है कि यहां के किसान देश के कुल सूरजमुखी उत्पादन का 48.65 प्रतिशत सूरजमुखी का उत्पादन दे रहे हैं.


इस लिस्ट में उड़ीसा दूसरे नंबर पर है, जहां से 9.46 प्रतिशत प्रोडक्शन मिल रहा है. इस लिस्ट में 7.90 प्रतिशत प्रोडक्शन के साथ तीसरे नंबर पर हरियाणा, 5.70 प्रतिशत उत्पादन के साथ चौथे नंबर पर महाराष्ट्र और 5.40 प्रतिशत उत्पादन देकर बिहार पांचवे नंबर पर कायम हो रहा है.


क्यों मशहूर है सूरजमुखी
सूरजमुखी की फसल 90 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसके बीजों में 40 से 50 प्रतिशत तेल मौजूद होता है, जिसमें लिनोलिइक नामक एसिड बॉडी फैट को कंट्रोल करता है. आज की फिटनेस फ्रीक आबादी के बीच सूरजमुखी के तेल और इससे बने उत्पादों का चलन बढ़ रहा है, इसलिए टॉप उत्पादक राज्यों के अलावा दूसरे राज्य भी इसकी खेती को बढ़ रहे हैं.


एक्सपर्ट बताते हैं कि बाकी तेलों से जहां बॉडी फैट बढ़ता है, वहीं सूरजमुखी के तेल से बॉडी फैट को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. ये हार्ट के साथ लिवर का भी ख्याल रखता है. इसके नियमित सेवन से कैंसर और ऑस्टियोपोरेसिस जैसी घातक बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है. ये त्वचा और बालों के लिए उपयुक्त है.


तीन दशक में कम हुई खेती
डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट की मानें तो पिछले तीन दशक में सूरजमुखी की खेती का रकबा काफी कम हुआ है. आंकड़ों की मानें तो भारत ने 1992-93 में 26.68 लाख हेक्टेयर रकबा सूरजमुखी से कवर किया था, जो 2020-21 में 2.26 लाख हेक्टेयर ही रह गया.


सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से देश में सूरजमुखी का रकबा बढ़ाने की कवायद तेज हो गई है, क्योंकि कुल खाद्य तेलों में 16% सूरजमुखी का इस्तेमाल हो रहा है. कुछ समय पहले तक भारत 70% सूरजमुखी तेल यूक्रेन से और 20% रूस से आयात कर रहा था.


यह भी पढ़ें:- यूपी सरकार ने खोला राहतों का पिटारा, Agri Junction से लेकर सब्सिडी, मंडी शुल्क में छूट, मिलेट-मछली पालन को भी बढ़ावा