Home Gardening: छत, बालकनी, गार्डन कुछ भी नहीं है, तब भी 50 से ज्यादा सब्जियां उगा रहीं हाउस वाइफ, आप भी देखें ये स्मार्ट गार्डनिंग
Urban Farming: मिनी श्रीकुमार बताती हैं कि मैं इतनी कम जगह में सब्जियां उगा रही हूं लेकिन जिन लोगों के पास जमीन, बालकनी, गार्डन या छत है, उन्हें तो रोजाना ताजा सब्जियां उगानी चाहिए.
Terrace Gardening: दिल्ली-मुंबई-बैंगलोर जैसे बड़े शहरों में लोगों को गार्डनिंग का भी बड़ा शौक होता है, लेकिन घर में गार्डनिंग लायक स्पेस ही नहीं होता लेकिन केरल की एक हाउस वाइफ ने कम स्पेस में भी 50 से ज्यादा सब्जियों का प्रॉडक्शन लिया है. शुरू से ही गार्डनिंग का शौक रखने वाली मिनी श्रीकुमार आज अपने पांच फीट के घर के आस-पास ही सब्जियां उगा रही हैं. दरअसल मिनी श्रीकुमार का तीन मंजिला घर 600 स्क्वायर फीट में फैला है.
मिनी के घर की छत पक्की नहीं है, वहां सिर्फ शेड लगा है, जिसके चलते वहां गार्डनिंग नहीं की जा सकती, इसलिए घर का चार दीवारी के सहारे ही उन्होंने फल, फूल और सब्जियों के पौधे लगाए हैं. मिनी का मानना है कि गार्डनिंग का शौक पूरा करने के लिए बड़ी जगह का होना जरूरी नहीं है. चाहें तो कम जगह में भी हरियाली फैलाकर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.
पिता से मिली गार्डनिंग की सीख
मिनी श्रीकुमार की शादी से पहले अपने पिता के साथ गार्डनिंग किया करती थी. उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे, लेकिन पिता के निधन के बाद मिनी का परिवार को किराए के मकान में जाना पड़ा. वहां भी बचपन से मिनी कुछ गमले में पौधे लगाया करती थीं. जब शादी हुई तो ससुराल में भी गार्डनिंग के लिए जगह नहीं थी तो मिनी ने घर की चार-दीवारी के सहारे पौधे लगाना जारी रखा. कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में मिनी ने ग्रो बैग्स और गमलों में सब्जियों के पौधे लगाए. कई ऑनलाइन ग्रुप से जुड़ी तो गार्डनिंग की टिप्स मिलती रहती थीं.
इसके बाद प्लास्टिक के डिब्बे, टीन और ग्रो बैग्स में ही टमाटर, बैंगन, भिंडी, मिर्च, करेला, पालक, मोरिंगा के अलावा कटहल, आम, अमरूद, पपीता और बेर जैसे फलदार पौधे भी लगाए. जब जगह कम पड़ने लगीं तो सीढ़ियों के एक तरफ भी गमले लगाने पड़े. अब इन्हीं पेड़-पौधों से रसोई की आधी से ज्यादा जरूरतें पूरी हो जाती हैं.
रसोई की जरूरत के साथ शौक हुआ पूरा
आज मिनी श्रीकुमार आलू-प्लाज छोड़कर अपने गार्डन में रसोई की सारी सब्जियां उगा रही हैं. सप्ताहभर की जरूरत तो बगीचे से ही पूरी हो जाती है. मिनी बताती हैं कि ये सिलसिला लॉकडाउन से ही शुरू हुआ और आज सब्जियों के अलावा गमलों में ही हल्दी, काली मिर्च और अदरक जैसे कुछ मसालों का प्रॉडक्शन मिल जाता है. मिनी अपने इस अनोखे होम हार्डन से साल में 2 से 3 बार आधी किलो काली मिर्च उगा लेती हैं. शुरुआत में ऑर्गेनिक सब्जियां उगाने के लिए मिट्टी की समस्या भी आई.
मिनी बताती हैं कि उनके घर के आस-पास की मिट्टी कंक्रीट से भरी हुई है, वहां की मिट्टी गमलों में डालने लाक नहीं है, लेकिन जहां कहीं भी आस-पास कंस्ट्रक्शन होता है. वहां से मिट्टी लाकर गमले तैयार करती हैं. गमले में डालने के लिए किचन वेस्ट से ही कंपोस्ट तैयार हो रही है. साथ में गोबर का भी इस्तेमाल होता है. मिनी श्रीकुमार बताती हैं कि मैं इतनी कम जगह में सब्जियां उगा रही हूं, लेकिन जिन लोगों के पास जमीन, बालकनी, गार्डन या छत है, उन्हें तो रोजाना ताजा सब्जियां उगानी चाहिए.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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