Kisan Credit Card Yojana:  कृषि क्षेत्र का विकास पूरी तरह किसानों पर निर्भर है. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिसे मजबूत बनने में अब पशुपालन और मछली पालन जैसी गतिविधियों का भी सहयोग मिल रहा है. कभी किसान अपनी आजीविका के लिए फसल उत्पादन पर ही निर्भर थे, लेकिन 'दोगुना आमदनी' के मॉडल पर काम करते हुए पशुपालन और मछली पालन से भी जुड़ते जा रहे हैं. एक समय वो भी था, जब इन सभी कामों के लिए किसानों और ग्रामीणों को साहूकारों के यहां चक्कर लगाने पड़ते थे. ऊपर से ज्यादा ब्याज दरों का भुगतान करते-करते सारा मुनाफा ही कर्ज में चला जाता था. कई बार तो नुकसान होने पर कर्ज के जंजाल में फंसने की नौबत आ जाती थी. इन परिस्थितियों में ना जाने कितने ही किसानों को अपनी जमीनें बेचनी पड़ जाती थीं, लेकिन आज कर्ज की इन प्रथाओं से किसानों को छुटकारा मिल गया है.


केंद्र की किसान क्रेडिट कार्ड योजना (Kisan Credit Card Scheme) से यह काम मुमकिम हो पाया है. कुछ समय पहले तक सिर्फ किसानों को ही केसीसी मिलता था, लेकिन अब कुछ नियम और शर्तों के आधार पर पशुपालकों और मछली पालकों को भी केसीसी लोन (KCC Loan) दिया जा रहा है.


कृषि के लिए केसीसी
आज कृषि-बागवानी से जुड़े किसानों को केसीसी स्कीम के तहत 7 प्रतिशत ब्याज दर पर 3  लाख तक का लोन दिया जाता है. वहीं बिना गांरटी के 1.60 लाख का भी लोन मिलता है, जिसकी राशि को क्रेडिट कार्ड के जरिए इस्तेमाल कर सकते हैं. वैसे तो किसान क्रेडिट कार्ड की वैधता 3  से 5 साल के लिए होती है, लेकिव समय से लोन चुकाने वाले किसानों को ब्याज दर पर 4 प्रतिशत की सब्सिडी भी दी जाती है.


इससे खाद, बीज, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई, कृषि मशीनीकरण, भूमि विकास,  बागवानी के साथ-साथ कटाई उपरांत फसल प्रबंधन से जुड़े कामों को निपटाने में खास मदद मिलती है. साहूकारी कर्ज की प्रथा की तरह इसमें ना ब्याज की दरों अधिक होती हैं, ना ही तुरंत लोन चुकाने का दवाब. यदि किसी वजह से फसल में नुकसान हो जाए तो कई बार कर्जमाफी भी मिल जाती है, नहीं तो किसान लोन की अवधि को आगे बढ़वा सकते हैं.


अच्छी बात यह है कि केसीसी स्कीम के कृषि कार्यों के दौरान किसानों के साथ हुई दुर्घटना, विकलांगता या मृत्यु होने पर भी कवरेज मिलता है. इसके लिए क्रेडिट कार्ड धारक किसान को बीमा की सुविधा लेनी होती है. केसीसी बनवाने के लिए किसान के पास खुद की खेती योग्य जमीन, भारत की नागरिकता, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट साइड फोटो, जमीन के कागज और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर देना होता है.


पशुपालन के लिए केसीसी
देश में बढ़ती दूध, अंडे, मांस की डिमांड के बीच अब पशुपालन का चलन भी बढ़ता जा रहा है. यदि आप भी पशुपालक हैं तो इससे जुड़े खर्चों को समय पर निपटाने के लिए 3 लाख तक का केसीसी (Pashu KCC) लोन ले सकते हैं.


केंद्र सरकार ने गाय, भांस, बकरी, भेड़,सुअर और मुर्गियों की देखभाल से जुड़े खर्च के लिए पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की है. अब पशुपालक चाहें तो बिना किसी गारंटी के 1,60,000 रुपये तक की लिमिट का पशु केसीसी बनवा सकते हैं.


वैसे को पशु केसीसी के ब्याज दरें कम ही होती है, लेकिन 1 साल की अवधि वाले लोन को समय से ना चुकाने पर 12% ब्याज दरें अदा करनी होती है. इसे बनवाने के लिए पशुपालक को अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, पशुधन बीमा, पशु का हेल्थ सर्टिफिकेट आदि डोक्यूमेंट सब्मिट करने होते हैं.


मछली किसान क्रेडिट कार्ड
देश में नीली क्रांति लाने के लिए मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. पहले ये काम सिर्फ नदी और समंदर में मछली पकड़ने वाले मछुआरों तक ही सीमित था, लेकिन अब किसान भी अपने खेत में तालाब बनवाकर मछली पालन कर रहे हैं, जिसके लिए सरकार तमाम योजनाओं के जरिए आर्थिक मदद देती है.


इसी कड़ी में मछली पालने वाले किसानों और मछुआरों को भी इस बिजनेस जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड दिए जा रहे हैं. मछली पालन भी अब बिना किसी गारंटी के 1.60 लाख का लोन ले सकते हैं.


यह लोन कुछ डोक्यूमेंट्स के आधार पर 15 दिन के अंदर पास कर दिया जाता है, हालांकि केसीसी (Fish KCC) के आवेदक अपनी योग्यता सिद्ध करके मछली पालन के लिए 2 लाख तक की लिमिट का लोन सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय, बैंक की शाखा, नाबार्ड बैंक या वित्तीय संस्थाओं में संपर्क कर सकते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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