Kiwi Cultivation: कम समय में मालामाल बना देगी है कीवी, मात्र 2 एकड़ खेत से होगी 12 लाख तक की आमदनी
Kiwi farming: आज हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नागालैंड, केरल, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और मेघालय आदि राज्यों के किसान बड़े पैमाने पर कीवी की बागवानी कर रहे हैं.
Get Beneficial Income from Kiwi Farming: भारत में उगाये जा रहे विदेशी फलों में कीवी (Kiwi Farming) का काफी नाम है, जिसके फायदों से देश का बच्चा-बच्चा वाकिफ है. एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर कीवी में विटामिन सी, विटामिन ई, फाइबर, पोटेशियम, कॉपर और सोडियम जैसे गुण (Health Benefits of Kiwi) पाये जाते हैं, जिससे इम्यूनिटी मजबूत होती है. बीमारियों के बढ़ते दौर में इस फल की मांग (Market Demand of Kiwi) भी काफी बढ़ गई है.
यही कारण है कि ऊंचे दाम होने के बावजूद बाजार में ये फल हाथोंहाथ बिक जाता है. कुछ समय पहले तक भारत में कीवी का आयात किया जाता था, लेकिन आज भारत के कई किसान कम लागत में कीवी की खेती (Commercial Farming of Kiwi) करके लाखों की आमदनी अर्जित कर रहे हैं.
इन राज्यों में उगायें कीवी
वैसे तो कीवी की जड़ें चीन से जुड़ी है, लेकिन भारत में इसकी खपत ज्यादा है. यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नागालैंड, केरल, उत्तरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, अरूणाचलप्रदेश और मेघालय आदि राज्यों के किसान बड़े पैमाने पर कीवी की बागवानी कर रहे हैं. आज के समय में किसान सेब की खेती से ज्यादा कीवी के फलों से मोटा पैसा कमा रहे हैं.
ये हैं उन्नत प्रजातियां
वैसे तो दुनियाभर में कीवी की सैंकड़ों किस्में पाई जाती है, लेकिन भारत की जलवायु के लिहाज से हेवर्ड, एबॉट, एलीसन, मोंटी, टुमयूरी और बू्रनो आदि किस्में किसानों की पहली पसंद बन चुकी हैं.
खेत की तैयारी
कीवी की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है, जिसके लिये जनवरी के मौसम में पौधों की रोपाई का काम किया जाता है. कीवी के बागों से अच्छा उत्पादन देने में अच्छी जल निकासी वाली, गहरी, उपजाऊ, बलुई रेतीली दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा फायदेमंद रहती है.
किसान चाहें तो बडिंग विधि, ग्राफ्टिंग विधि या लेयरिंग विधि की मदद से पौधों की रोपाई का काम कर सकते हैं. उससे पहले गड्ढों में बालू, सड़ी खाद, मिट्टी, लकड़ी का बुरादा और कोयले का चूरा आदि 2:2:1:1 के अनुमान में जरूरी डालें.
सिंचाई और देखभाल
वैसे तो कीवी के बागों को अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती, लेकिन बागों के प्रबंधन कार्य समय से करना फायदेमंद रहता है. खासकर गर्मियों में कीवी के बागों की बढ़वार के लिये 10 से 15 दिन के बीच
- ड्रिप सिंचाई के जरिये पानी देना चाहिये. सितंबर और अक्टूबर के बीच फल पकने की अवस्था में भी हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है.
- अकसर गर्मियों के मौसम में कीवी के बाग जड़ गलन, कालर रॉट, क्राउन रॉट आदि रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है. ऐसा पेड़ की जड़ों में पानी भरने के कारण मिट्टी में फफूंद के कारण होता है.
- इनकी रोकथाम के लिये जल निकासी की व्यवस्था करें और प्रभावित स्थानों पर जैविक कीटनाशक और जीवाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें.
कीवी की खेती से आममदनी
नये बागों की रोपाई के बाद कीवी के पौधे 4-5 साल में फल देने लायक हो जाते , लेकिन इसकी व्यावसायिक खेती (Commercial Farming Kiwi)करने पर 6 से 7 सालों में फल मिलना शुरु हो जाते हैं.
- बाजार में बेचने के लिये सबसे पहले बड़े फलों की तुड़ाई की जाती है और सही पैकेजिंग (Harvesting & Packaging of Fruits) करके बाजार तक पहुंचाये जाते हैं.
- बता दें कि फलों को कठोर अवस्था में तोड़ा जाता है, जिससे बाजार पहुंचने तकत ये फल नरम या खराब ना हों.
- बाजार में कीवी के फलों को 20 रुपये प्रति फल से लेकर 35 रुपये प्रति नग के भाव पर बेचा (Marketing of kiwi) जाता है. इस प्रकार किसान भाई सिर्फ 2 एकड़ जमीन पर कीवी उगाकर सालोंसाल लाखों की आमदनी (Income from Kiwi Farming) ले सकते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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