Kiwi Farm Business: क्लाइमेट चेंज का बुरा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. मौसम बदलने पर लोग तुरंत ही बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. इम्यूनिटी इतनी कमजोर हो चली है कि अब बिना दवाओं के शरीर को सुरक्षित रखना मुश्किल हो गया है. यही वजह है कि बाजार में अब फलों की डिमांड भी बढ़ रही है. बाकी फलों के मुकाबले कीवी की मार्केट डिमांड बढ़ी है. ये किसानों और युवाओं के लिए अच्छा संकेत है. कीवी की बढ़ती डिमांड के बीच इसकी बागवानी और एग्री बिजनेस (Agri Business) करके किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.


सबसे अच्छी बात ये है कि कीवी की बागवानी के लिए पूरा पैसा नहीं लगाना होगा, बल्कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन स्कीम (National Horticulture Mission) और प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत 10 लाख तक की सब्सिडी , ट्रेनिंग और लोन की सुविधा भी मिल जाएगी. आइए जानते हैं इस बिजनेस के फायदे और कीवी की बागवानी करने का सही तरीका.


कीवी के फायदे
कीवी का रंग और बालों जैसी बाहरी परत भी आकर्षण का केंद्र है. कीवी में विटामिन-सी, विटामिन-ई, विटामिन-की भरपूर मात्रा होती है. ये पोटैशियम और फोलेट जैसे पोषक तत्वों का भी बेहतरीन स्रोत है. इसका स्वाद खट्टा और मीठा होता है, जिसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती है. ये शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करता है. खासकर डेंगू, मलेरिया या किसी इंफेक्शन में कीवी का सेवन करने से काफी राहत मिलती है. 


यहां उगाएं कीवी
कीवी फल का मूल स्थान चीन है, यहां से कीवी को दुनियाभर में पहचान मिली है. वैसे तो कीवी के दाम कुछ ज्यादा होते हैं. लेकिन इससे कीवी की मांग और खपत पर कोई असर नहीं पड़ा. मिट्टी और जलवायु के अनुसार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नागालैंड, केरल, उत्तरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और मेघालय आदि राज्यों में कीवी की खेती और इसका प्रोसेसिंग बिजनेस कर सकते हैं. आज कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश के किसान भी सेब की खेती छोड़ कीवी पर फोकस कर रहे हैं. 


इन किस्मों को लगाएं
कीवी की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए इसकी अच्छी प्रजातियों के पौधों का लगाएं. दुनियाभर में कीवी की सैंकड़ों की किस्में पाई जाती हैं, लेकिन भारतीय मिट्टी और जलवायु के अनुसार, हेवर्ड, एबॉट, एलीसन, मोंटी, टुमयूरी और बू्रनो किस्में अच्छा मुनाफा देती हैं. इस फल में बीमारियों की संभावना कम ही रहती है, इसलिए अब कीवी फल हिमाचल से लेकर जम्मू तक के किसानों की पहली पंसद बनता जा रहा है. 


इस तरह करें खेती
कीवी की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को तैयार किया जाता है. इसमें अच्छी तरह खाद-उर्वरक डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं. इसके बाद पौधों की रोपाई की जाती है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कीवी के पौधों को 2 से 3 साल अच्छी देखभाल की आवश्यकता होती है. इसका पौधा करीब 5 साल बाद ही फल देना शुरू करता है. पौधा 10 साल का होने पर इससे 50 किलो तक फल मिल जाते हैं. इस तरह



  • कीवी के पेड़ों से फल उत्पादन पूरी तरह कीवी की वैरायटी और देखभाल पर ही निर्भर करता है. 

  • कीवी के बाग में सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन यानी टपक सिंचाई का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. 

  • गर्मियों में कीवी के बाग को जड़ गलन, कालर रॉट, क्राउन रॉट जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. 

  • कीवी के बाग की सुरक्षा के लिए समय-समय पर कीटनाशक और रोगनाशी का छिड़काव करें.


कीवी की खेती से आमदनी
कीवी की कमर्शियल फार्मिंग करने पर 7 साल के अंदर प्रॉफिट मिलना शुरू हो जाता है. बाजार में कीवी को 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बेचा जा रहा है. कीवी का एक ही फल 20 से 35 रुपये का मिलता है. ये फल आमतौर पर जल्दी नरम हो जाते हैं, इसलिए इनकी हार्वेस्टिंग के बाद सही पैकेजिंग करना बेहद जरूरी है.



  • इस फल को अधपका या कठोर अवस्था में ही तोड़ लेते हैं, क्योंकि ये बाजार पहुंचने तक अपने आप पककर नरम हो जाता है.

  • शुरुआत में कीवी की खेती करके 75,000 से 1 लाख तक का मुनाफा होता है, लेकिन धीरे-धीरे सिर्फ 2 एकड़ बाग से 10 से 12 लाख तक की आमदनी भी ले सकते हैं.


इस तरह बढ़ेगा मुनाफा
आज किसानों और युवाओं को खेती के साथ-साथ एग्री बिजनेस से भी जोड़ा जा रहा है. कीवी की खेती करने वाले किसान भी चाहें तो इसकी प्रोसेसिंग करके जूस, जैम, जैली, कैंडी जैसे तमाम फूड प्रॉडक्ट्स बना सकते हैं. इनकी बाजार में अच्छी डिमांड रहती है. खासकर विदेशों में फलों से बने फूड प्रॉडक्ट्स हाथोंहाथ बिक जाते हैं. फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए ज्यादा पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि प्रधानमंत्री सूक्ष्य खआद्य उद्योघ उन्नयन योजना के तहत 10 लाख तक सब्सिडी दी जाती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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