Festive farming 2022: गेंदे की महक से त्योहारों तक मालामाल होंगे किसान, जानें गेंदे की खेती का सही तरीका
Marigold Cultivation: किसानों को त्योहारों के मौके पर यानी नवरात्र, दशहरा और दिवाली पर अच्छी कमाई करने के लिये जून-जुलाई में गेंदे की फसल जरूर लगानी चाहिये.
Marigold Farming Special: चाहें बात हो शदियों की, धार्मिक अनुष्ठानों की या त्यौहारों की, गेंदे के फूल के बिना भारत में सभी पवित्र काम अधूरे हैं. दुनियाभर में गेंदे की 50 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद है. इसका इस्तेमाल दवाएं बनाने, अगरबत्ती बनाने और सजावटी कामों में भी किया जाता है. यही कारण है कि फूलों की खेती करने वाले किसानों की पहली पसंद है गेंदा का फूल. भारत के गेंदा के फूल की मांग सालभर बनी रहती है, इसलिये किसान कभी-भी गेंदा की फसल लगा सकते हैं. लेकिन नवरात्र, दशहरा और दिवाली पर अच्छी कमाई करने के लिये जून-जुलाई में इसकी बुवाई जरूर करनी चाहिये.
भारत के ज्यादातर राज्यों में किसान गेंदा की फसल लगाते हैं. लेकिन बेहतर उपज के लिये उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड. पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक तमिलनाडु और महाराष्ट्र के किसान गेंदा की फसल बोना ज्यादा पंसद करते हैं. आमतौर पर दिल्ली, चेन्नई, बैंगलोर, मुंबई, पुणे, मैसूर, कलकत्ता शहरों के निकटवर्ती गांव में गेंदा की खेती कर रहे हैं. नमी वाले इलाकों में गेंदे की फसल लगाना फायदा का सौदा साबित हो सकता है.
बुवाई से पहले लगायें नर्सरी
किसानों को गेंदे की फसल लगाने के लिये सबसे पहले नर्सरी तैयार करनी चाहिये. नर्सरी में बीज लगाने के एक महिने के अंदर पौधे तैयार हो जाते हैं. कुछ किसान खुद ही पौधों की नर्सरी तैयार कर लेते हैं. अगर पहली बार गेंदे की फसल लगा रहे हैं तो नर्सरी के लिये बीज और पौध खरीद भी सकते हैं. नर्सरी में पौध तैयार होने के बाद उसकी रोपाई खेतों में कर देनी चाहिये.
रोपाई से पहले खेती की तैयारी
रोपाई से पहले खेतों में जरूरत के मुताबिक गोबर की खाद, नीम लेपित यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश डालकर मिट्टी में मिला दें. गेंदे के पौधों की बुवाई कतारों में करें, जिससे कीट-रोग प्रबंधन में आसानी हो सके और खरपतवारों को निकाला जा सके. एक बार रोपाई के बाद खेतों में हल्की सिंचाई कर दें. ध्यान रखें कि सिंचाई हर 7-10 दिन के अंतराल पर शाम के समय करें. बारिश होने पर सिंचाई टाल दें.
कीड़ों और बीमारियों से फसल सुरक्षा
कीड़ों और बीमारियों से गेंदे की फसल को बचाने के लिये इसमें नीम और पुदीने के तेल का छिड़काव करते रहें. अच्छी बढ़वार के लिये नर्सरी के 30 दिन बाद फसल में यूरिया भी डाल सकते हैं.
गेंदा की तुड़ाई
खेतों में गेंदा की पौध की रोपाई के 35 दिनों बाद पिंचिंग का काम करें यानी पौधों के ऊपर के हिस्सा तोड़ लें. इससे पौधे शाखायें फूटने में काफी मदद मिलती है. समय रहते गेंदा के फूलों की तुड़ाई का काम कर लें और के बाद इन्हें सावधानी से क्रेटों में भरकर बाजार ले जाना चाहिये. तुड़ाई के तुरंत बाद गेंदे की फसल को बेच देना चाहिये. नहीं तो फूलों में गलन पैदा होने लगती है.
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