Hemorrhagic Septicemia or Galghontu Rog: देश में पशुपालन (Animal Husbandry) को बढ़ावा देने के लिये किसानों और पशु पालकों को जमकर प्रोत्साहित किया जा रहा है. कई योजनायें (Animal Husbandry Schemes) भी चलाई जा रही हैं और समय-समय पर पशु पालकों को पशु में होने वाली बीमारियों (Animal Diseases) को लेकर जागरूक भी किया जाता है. बात करें मानसून में पशुपालन (Monsoon care) के बारे में तो बारिश के दौरान पशुओं में कई बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है. इन्हीं बीमारियों में शामिल है गलाघोंटू रोग (Galghotu Rog), जो पशुओं में तेजी से फैलकर उनकी जान ले लेता है.


क्या है गलाघोंटू रोग
ज्यादा बारिश वाले इलाकों में इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है, ये बीमारी पशुओं में चुपके से फैलकर पशुओं की अकाल मृत्यु का कारण बनती है. 



  • ये बीमारी पशुओं के तबेले में पानी भरने, साफ-सफाई न होने और पशुओं की ठीक प्रकार देखभाल न करने के कारण फैलती है.

  • बारिश में सफर करके थके हुये पशुओं को इस बीमारी के जीवाणु जल्द घेर लेते हैं.

  • पशु विशेषज्ञों के मुताबिक, पशुओं द्वारा झूठा चारा खाने, गंदा दाना पानी खाने और बिछावन के जरिये भी इस बीमारी के जीवाणु पशुओं तक पहुंच जाते हैं.

  • इसका सबसे बुरा असर मादा पशुओं पर होता है, ये बीमारी मादा पशुओं के दूध से ज्यादा फैलती है.

  • ग्रामीण भाषा में इसे गलाघोंटू, गलघोंटू और घूरखा नाम से भी जानते हैं.

  • ये बीमारी मुख्य रूप से गाय और भैंसों को घेरती है.



ऐसे पहचानें गलाघोंटू रोग
बारिश के मौसम में होने वाली इस जानलेवा बीमारी को समय रहते रोका जा सकता है, लेकिन उसके लिये जरूरी है कि पशुओं में इस बीमारी के कुछ लक्षणों को पहचान लिया जाये.



  • गलाघोंटू ग्रस्त पशुओं में 106 फॉरेनहाइट तक तेज बुखार हो जाता है.

  • इस बीमारी में पशुओं की आंखें लाल होकर सूज जाती है और नाक, आंख और मुंह से रक्त आने लगता है.

  • पशुओं के सिर, गर्दन और अगली टांगो में सूजन के कारण पशुओं को सांस लेने में समस्या होने लगती है.

  • इस बीमारी में पशु दर्द से कराहने लगते हैं और गड़गड़ाहट की आवाज निकालते हैं.


इस तरह करें गलाघोंटू की रोकथाम
गलाघोंटू रोग (Galghotu Rog)  के लक्षणों (Symptoms of Galghotu) को समय रहते पहचानकर रोकथाम (Treatment) करने से पशुओं की जान बचाई जा सकती है.



  • हर साल मानसून शुरु होने से पहले ही पशुओं को गलाघोंटू रोग के टीके (Animal Vaccination) लगवायें.

  • गलाघोंटू रोग होने पर पशु चिकित्सक (Animal Doctor) से संपर्क करके पशुओं का जल्द से जल्द इलाज (Animal Disease Treatment) करवायें

  • लंबी यात्रा पर जाने से पहले भी पशुओं का टीका करण (Animal Vaccination) जरूर करवायें.

  • पशुओं में गलाघोंटू रोग की पहचान होने पर उन्हें बाकी पशुओं से अलग कर दें.

  • बीमार पशुओं को साफ पानी, हरा चारा (Animal Nutrition) और पशु आहार (Animal Green Feed) खिलायें.

  • अगर किसी कारणवश पशु की जान चली जाती है, तो गड्ढे में नमक और चूना डालकर पशुओं को दफनायें. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


इसे भी पढ़ें:-


बहेंगी दूध की नदियां, जल्द अपनायें Smart Dairy Farming का नु्स्खा


Newborn Animal Care: ऐसे रखें नवजात पशुओं की सेहत का ख्याल, स्वस्थ रहेंगे पशुओं के नौनिहाल