Fruit Ripening Technique: फलों की बागवानी (Fruit Cultivation) के साथ-साथ उसकी मार्केटिंग का काम बेहद सावधानी से किया जाता है, क्योंकि जरा सी लापरवाही किसानों को बड़े नुकसान में  डाल सकती है. फलों की बागवानी में कीड़े और बीमारियों की रोकथाम के उपाय तो लगातार चलते रहते हैं, लेकिन फलों की तुड़ाई के बाद उनकी पैकेजिंग (Fruit Packaging)  और मार्केटिंग (Fruit Marketing) भी चुनौती काम बन जाते हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान कटाई या तुड़ाई उपरांत  सही प्रबंधन (Crop Management) न करने के कारण होता है. 


नुकसान रोकेगी राइपनिंग तकनीक (Ripening Technique)
जाहिर है कि ज्यादातर फलों को अलग-अलग राज्यों के अलावा कई देशों में निर्यात किया जाता है, जिसके लिये फलों को अधपका ही तोड़ लिया जाता है. 





  • इस तरह फलों की तुड़ाई करने पर फल खराब नहीं होते, बल्कि इन्हें कोल्ड स्टोरेज में सुरक्षित रखा जाता है. 

  • इसके बाद कोल्ड़ स्टोरेज में फलों के चैंबर में एथीलिन गैस छोड़ी जाती है, जिससे बिना नुकसान के फल पक जाते हैं.

  • ये प्रक्रिया 4-5 दिन तक चलती है, जिससे धीरे-धीरे फलों का रंग, आकार, स्वाद बदलते हैं और फल पकने लगते हैं. 

  • बता दें कि एथीलिन गैस का इस्तेमाल ज्यादातर आम, पपीता और केला के फलों को पकाने के लिये किया जाता है.  

  • फलों को पकाने की इस कृतिम तकनीक को ही राइपनिंग कहते हैं, जो व्यापारियों और किसानों को लिये किसी वरदान से कम नहीं है.




ये है फलों का पकाने का पुराना तरीका
पिछले कुछ समय से ही लोग फलों को पकाने की नई राइपनिंग तकनीक (New Ripening Technique for Fruits) का प्रयोग करने लगे हैं, लेकिन पहले पुराने तरीकों से ही फलों को पकाया जाता है.



  • पुराने तौर-तरीकों में फलों को जूट के बोरे, पैरा और भूसे के साथ-साथ अनाज में दबाकर रखा जाता था.

  • फल पकाने का पुराना तरीका बेशक सस्ता है, लेकिन इस तकनीक में फलों के खराब होने का जोखिम भी बना रहता है.

  • बता दें कि फलों को कागज में लपेटकर रखने से भी फल पूरी तरह से पक जाते है.


सब्सिडी ऑफर (Subsidy on Storage Management)
देश में नई कृषि तकनीक और खेती में आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने के लिये केंद्र सरकार कई सब्सिडी कार्यक्रम चला रही है, जिसमें फलों का प्रबंधन करने के लिये भी 30 से 50 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान है.  ये आर्थिक अनुदान कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage)के निर्माण और कटाई-तुड़ाई उपरांत फसलों का प्रबंधन करने के लिये दिये जाते हैं. 




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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