Goat Farming: गांव के साथ-साथ शहरों में भी पशुपालन (Animal Husbandry)और डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. कई युवा अपनी नौकरियां छोड़कर गांव की अर्थव्यवस्था (Rural Economy) को मजबूत करने में जुटे हैं. खासकर बात करें पशुपालन के बारे में गाय-भैंस के अलावा कम बजट में बेहतरीन मुनाफा कमाने के लिये बकरी पालन (Goat Farming) एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. 


बता दें कि बकरी पालन के लिये ज्यादा पैसा और ज्ञान की जरूरत नहीं होती. बस बेसिक जानकारियों के आधार पर बकरियों का ख्याल रखते हुये इस क्षेत्र में अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसके लिये जरूरी है कि बकरियों की दमदार नस्लों (Breeds of Goat) का चयन किया जाये, जो विपरीत परिस्थितियों को भी झेल सकें और कम खर्च में किसानों को मालामाल बना सकें.




दुंबा बकरी (Dumba Goat)
उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली दुंबा नस्ल की बकरी काफी डिमांड में होती है. खासकर बकरीद के समय बाजार में इस बकरी को दोगुना दाम पर खरीदने के लिये तैयार रहती है. 25 किलो वजन वाली ये बकरी 70 से 75 हजार रुपये में बिकती है. इतना ही नहीं, बाजार में इस बकरी के मेमनों की कीमत ही 30,000 रुपये होती है. इसकी खुराक भई काफी अच्छी होती है. सुबह और शाम के समय दुंबा बकरी को हरे चारे के साथ दालें और चना खिलाया जाता है. अच्छी सेहतमंद बकरी या बकरी बाजार में 1.5 लाख रुपये तक की कीमत में बिक जाती है.


उस्मानाबादी बकरी (Osmanabadi goat)
बकरी की इस नस्ल को भी दूध और मांस के लिये पाला जाता है. ये नस्ल ज्यादातर महाराष्ट्र में पाई जाती है, जो दिन भर में डेढ़ लीटर तक दूध देती है. 32 किलो वजनी ये बकरी हर प्रकार खट्टा, मीठा और कड़वा चारा भी चबा जाती है. इसमें गजब की रोग प्रतिरोधी क्षमता मौजूद होती है.


जमुनापारी (Jamunapari Goat)
जैसी कि नाम से ही साफ है, उत्तर प्रदेश के यमुना नदी से सटे इलाकों में जमुनापारी बकरी पाई जाती है, जो दिनभर में 2 से 2.5 ढाई लीटर तक दूध देती है. इसे ज्यादा दूध और मांस दोनों ही उद्देश्य से पाला जाता है.


बीटल बकरी (Betel Goat)
बीटल बकरी पंजाब के गुरुदासपुर, फिरोजपुर और अमृतसर केनजदीकी इलाकों में पाई जाती है, जिसे दूध और मांस उत्पादन के लिये पालते हैं. इस बकरी का वजन भी ठीक-ठीका होता है और ये 12-18 महीने में मेमने करो जन्म देती है.


सिरोही बकरी (Sirohi Goat)
राजस्थान के सिरोही  सिरोही, अजमेर, बांसवाड़ा, राजसमंद और उदयपुर आदि इलाकों में पाई जाने वाली ये बकरी भी दूध और मांस के लिये काफी डिमांड में रहती है. 18 से 24 महीने में ये बच्चे को जन्म देती है, जिसके बाद बकरी पालन व्यवसाय को बड़े स्तर पर बढ़ाया जा सकता है.


कहां से लें ट्रेनिंग
बकरी पालन व्यवसाय (Goat Farming Business)  से सालों-साल अच्छी आमदनी लेने के लिये जरूरी है कि खर्चों को कम किया जाये. इसके लिये सही ट्रेनिंग (Training for Goat Farming)  की जरूरत होती है. नये पशुपालक चाहें तो केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (ICAR - Central Institute for Research on Goats) की ऑफिशियल बेवसाइट पर जाकर अधिक जानकारी ले  सकते हैं.



  • बकरी पालन प्रशिक्षण केंद्रों (Goat Farming Training Center) की जानकारी के लिये टोल फ्री नंबर-  0565- 2763320 पर भी संपर्क कर सकते हैं.

  • अपने निकटतम पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department)  के जिला कार्यालय में संपर्क करके संबधित अधिकारी से भी प्रशिक्षण से जुड़ी जानकारी ले सकते हैं.




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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