क्या होता है Yellow Alert, जो ठंड को देखते हुए राज्य सरकारों ने जारी किया है... किसानों को रहना होगा अलर्ट
पाले के कारण हाथ, पैरों में गलन बढ़ गई है. देश में तापमान 0 डिग्री से नीचे पहुंच रहा है. राज्य सरकारों ने येलो अलर्ट जारी किया है. फसलों को लेकर किसानों को सावधान रहने की जरूरत है
Frost Effect On Crop: देश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. कई राज्यों में तापमान जीरो डिग्री से नीचे तक पहुंच रहा है. वहीं मौसम में पाला इतना अधिक हो गया है कि गलन बहुत तेज हो गई है. हाथ, पैरों में गलन बढ़ने से लोग परेशान हैं. बढ़ी ठंड और पाले का असर फसलों पर देखने को मिल रहा है. सरसों, गेहूं समेत अन्य फसलों को पाला नुकसान पहुंच रहा है. विशेषज्ञों ने किसानों ने पाले को देखते हुए बचाव करने की अपील की है
राज्यों ने येलो अलर्ट जारी किया
बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों ने बढ़ी ठंड को देखते हुए अपने कई जिलों में येलो अलर्ट जारी कर दिया है. राजस्थान के माउंट आबू में इस सर्दी के सीजन में दूसरी बार तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है. फतेहपुर में 1 डिग्री, चुरू में 1.6 डिग्री, हनुमानगढ़ में 3.3, सीकर में 3.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया है. इन सभी जिलों में येलो अलर्ट जारी है. उत्तर प्रदेश, बिहार में भी तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक आ गया है. दिल्ली में भी कमोबेश यही स्थिति है.
आइए जानते हैं, क्या होता है येलो अलर्ट
मौसम विशेषज्ञों ने मौसम को खतरे के हिसाब से 4 कंडीशन में बांटा है. पहला ग्रीन, दूसरा येलो, तीसरा ओरेंज और चौथा रेड अलर्ट होता है. ग्रीन अलर्ट में मौसम एकदम शांत होता है. मौसम से किसी तरह का कोई खतरा नहीं होता है. येलो अलर्ट में विशेषज्ञ मानते हैं कि मौसम खरबा होने लगा है. सतर्क रहने की जरूरत है. मौसम में क्या परिवर्तन हो रहे हैं. उसपर नजर बनाए रखें. सावधानी बरतकर अपनी डेली लाइफ के काम भी करते रहें. ओरेंज अलर्ट अगली स्थिति होती है. इसमें मौसम अधिक बिगड़ चुका होता है. जबकि रेड अलर्ट में चक्रवात, तूफान समेत अन्य भयावह कंडीशन होती है. इस दौरान विशेषज्ञ घरों से नहीं निकलने की सलाह देते हैं. ग्रीन अलर्ट रहने पर फिर से जीवन सामान्य हो जाता है.
फसलों को लेकर सावधानी बरतिए
येलो अलर्ट मौसम के खराब होने वाली स्थिति होती है. इस दौरान फसलों को लेकर सावधानी बरतनी होती है. पाला अधिक पड़ रहा है तो कुछ अंतराल पर सिंचाई करते रहें. सिंचाई करने फसल के पास का तापमान नियंत्रण में रहता है. इससे फसलों को झुलसा रोग नहीं लगता है. आसपास धुआं कर भी तापमान नियंत्रित किया जा सकता है. इसके अलावा फसलों को कारपेट से ढका जा सकता है. पौधे कवर्ड होने से तापमान नहीं बढ़ पाता है. फसलें सीधे ही पाले की चपेट में नहीं आती हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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