Aromatic Paddy Cultivation: भारत में धान की खेती (Paddy Cultivation)  बड़े पैमाने पर की जाती है, ज्यादातर किसान धान की सामान्य किस्मों से खेती करते हैं, जिनसे ठीक-ठाक उत्पादन तो मिल जाता है, लेकिन उपज की ज्यादा कीमत नहीं मिल पाती. ऐसी स्थिति में कृषि विशेषज्ञों द्वारा धान की सुगंधित किस्मों (Aromatic Varieties of Paddy) की खेती करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि धान की खुशबूदार किस्मों (Aromatic Rice) की क्वालिटी बाजार मानकों को पूरा करती है. इनकी बाजार में मांग भी होती है और उपज की भी सही कीमत मिल जाती है. कई देशों में भारत के सुगंधित चावलों (Aromatic Paddy) की मांग रहती है, जिससे निर्यात को बढ़ाने में भी खास मदद मिलती है. हालांकि धान की परंपरागत सुगंधित किस्में की दीर्घ अवधि वाली होती है, जिन्हें पकने में थोड़ा समय लग जाता है. इनकी अधिक ऊंचाई और कम उपज के कारण कम ही किसान इसकी खेती करते हैं, लेकिन इन्हें उगाकर दीर्घ अवधि में भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, इसके लिये उन्नत किस्मों का ही चुनाव करना चाहिये.


पूसा बासमती- 6
धान की पूसा बासमती-6 यानी पूसा 1401 की खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिये सिंचित क्षेत्रों में बुवाई-रोपाई  करना ठीक रहता है. बता दें कि पूसा बासमती-6 एक बौनी प्रजाति है, जिसका हर दाना सुगंधित, एक समान और मजबूत होता है. एक हेक्टेयर में इसकी खेती करके 55 से 60 क्विंटल तक उपज ले सकते हैं.


पूसा बासमती- 1 
बासमती धान की ये किस्म देश के सभी सिंचित खेतों में लगा सकते हैं. दूसरी किस्मों के मुकाबले ये सुगंधित किस्म बेहतर उत्पादन देती है. प्रति हेक्टेयर जमीन में इसकी खेती करने पर करीब 50-55 क्विटल तक उपज मिल जाती है. बासमती धान (Basmati Rice) की ये किस्म रोग प्रतिरोधी होती है, जिस पर झुलसा रोग की संभावना नहीं रहती और 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है.




पूसा बासमती- 1121
देश के सिंचित इलाकों में बोई जाने वाली पूसा बासमती-1121 किस्म का दाना 8 मिमी. लंबा होता है. ये चावल की अगेती किस्म है जो 140-145 दिन में पककर कटाई के लिये तैयार हो जाती है. एक हेक्टेयर क्षेत्र में पूसा बासमती 1121 लगाने पर करीब 40-45 क्विंटल तक उपज मिल जाती है.


पूसा सुगंध- 5
खुशबूदार और अधिक लंबे दानों वाली ये किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर जैसी कई सिंचित इलाकों में बढ़िया उपज देती है. ये किस्म रोग प्रतिरोधी तो है ही, साथ ही इसके दाने आसानी से नहीं झड़ते. बुवाई के 125 दिनों में पकने वाली ये किस्म प्रति हेक्टेयर खेत में 60-70 क्विंटल तक पैदावार देती है.


पूसा सुगंध- 3
पूसा सुगंध तो इसके लंबे चावल, बारीक और खुशबूदार चावल के लिये जानते हैं. इसके दाने खाने में मुलायम और काफी स्वादिष्ट होते हैं. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सिंचित इलाकों में इसकी खेती करने से अच्छा मुनाफा (Rice Production) मिल सकता है. बुवाई के 125 दिनों में तैयार होने वाला ये चावल प्रति हेक्टेयर खेत में 60-65 क्विंटल तक उत्पादन (Paddy Production) देता है. 




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