अकसर आपने सिल्क की साड़ियों का नाम तो सुना होगा. साड़ियां ही नहीं बल्कि आपने सिल्क से बने अन्य कपड़ों के बारे में भी काफी सुना होगा. लेकिन आखिर ये सिल्क जिसे रेशन भी कहा जाता है आता कहा से है. क्या ये किसी पेड़ पर मिलता है? आखिर रेशम कैसे बनता है इसके पीछे पूरा प्रोसेस क्या है, आइए जानते हैं...


विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार छोटे लारवा से पूरा रेशम तैयार किया जाता है. सिल्क उत्पादन के लिए रेशम के कीड़ों के कोकून को तैयार होते हैं. रेशम के कीड़े तुलसी या फिर अन्य पौधों की पत्तियों पर लार्वा के रूप में पैदा होते हैं. फिर लार्वा को पत्तियों पर खिलाया जाता है. जिसके 10 से 15 दिनों के बाद ये कोकून में बदलना शुरू हो जाता है. कोकून बनाने के लिए रेशम के कीड़े अपने मुंह से एक तरह का चिपचिपा पदार्थ निकालते हैं, जिसे सेरिसिन कहा जाता है. यह पदार्थ सूखकर एक मजबूत और चमकदार धागा बना जाता है.


उबलते पानी में डाला जाता है?


रिपोर्ट्स के अनुसार कोकून तैयार हो जाने के बाद इसे उबलते पानी में डाला जाता है. इस दौरान पानी के तापमान का भी खास ध्यान रखा जाता है. रिपोर्ट्स के अनुसार गर्म पानी की वजह से रेशन के कीड़े मर जाते हैं. जिस कारण कोकून के अंदर का रेशम नरम और लचीला हो जाता है. फिर कोकून को एक उपकरण से खोल दिया जाता है और रेशम को धागे के रूप में निकाल लिया जाता है. कोकून में निकाले गए रेशम को धागे में बदलने की प्रक्रिया को रीलिंग भी कहा जाता है. इसमें कई कोकून के रेशम को एक साथ मिलाकर एक लंबा धागा तैयार किया जाता है.


क्यों होती है ज्यादा कीमत


सिल्क से कपड़े, जूते,घर की सजावट के सामान आदि तैयार किए जाते हैं. लेकिन रेशम को तैयार करने में काफी समय लगता है. जिस कारण ये काफी महंगी कीमतों में बिकता है.


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