Insectivorous Plants: अभी तक हमने मांसाहारी जानवर (Carnivorous Animals) और जीवों के बारे सुना था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में मांसाहारी पौधों (Carnivorous Plants) की भी 300 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद है. इसमें लगभग 30 प्रजातियां (Carnivorous Plants Varieties) अकेले भारत में पाई जाती है. इन्हें मांसाहारी इसलिये भी कहते हैं, क्योंकि ये पौधे कीड़े-मकौड़ों के प्रोटीन और नाइट्रोजन के जरिये ही जिंदा रह पाते हैं. अपने भोजन के लिये ये कीटभक्षी पौधे (Insectivorous Plants)  सबसे पहले आसपास पनपने वाले कीट-पतंगो का आकर्षित करते हैं और उन्हें खा जाते हैं.  


मक्खी जाली
मक्खी जाल कीटभक्षी पौधा अधिकतर तालाब या जलस्रोतों के किनारे पाया जाता है, जिसके मुंह पर गोलाई में लगी पत्तियां लगी होती है. बता दें कि मक्खीभक्षी पौधे के ऊपर छोटे-छोटे बाल भी होते हैं, जिन पर चोट लगने पर एक चमकीला पदार्थ निकलता है, जो शहद की तरह दिखता है. ज्यादातर कीड़े-मकौड़ों इसी शहद जैसे पदार्थ की तरफ आकर्षित होते हैं. जैसे ही कीट-पतंगें पत्तों पर बैठती है, तुरंत इसके बाल चौकन्ना हो जाते हैं और पत्तों के जरिये पौधा कीटों को लपेटकर अंदर ले जाता है. यहां पौधा कीड़े के मांस और खून को चूसकर फेंक देते हैं और इसके पत्ते कीड़ों के रस को पचाने का काम करते हैं.



ब्लैडरवट
यह पौधा जड़ रहित और बारीक पत्तियों वाला होता है, जिसे तालाब या रुके हुये जल स्रोतों में तैरता देख सकते हैं. पानी में अधिक समय तक रहने के कारण इसकी पत्तियां ब्लैडर के आकार की हो जाती हैं. इस पौधों की पत्तियों के पास एक मुंह भी बना होता है, जो खुलता तो पानी के अंदर है, लेकिन पानी के ऊपर तैरते कीड़े को भी झट से लपेट लेता है. इसके मुंह पर बाल होते हैं, जो कीड़ों के संपर्क का संकेत देते हैं और संकेत मिलते ही पत्तियां कीट को लपेटकर पौधे के मुंह या थैली में डाल देती है. इस तरह कीड़ा कैद होकर मर जाता है और पौधा कीड़े के मांस और खून को सोखकर जिंदा रहता है.  


सुंदरी का पिंजरा
जैसा कि नाम से ही साफ है कि यह अमेरिकी पौधा कीट-पतंगों को अपनी सुंदरता के आकर्षण में फंसा अपनी ओर खींचते हैं और देखते ही देखते कीड़े को झपटकर कैद कर लेते हैं. दरअसल इस पौधा भी पत्तियों के पास मौजूद बालों से संकेत लेता है और कीटों को जकड़कर उनका खून सोख लेता है. जब कीट-पतंगे मर जाती हैं, पौधा उनके मृत शरीर को बाहर उगल देता है. 


नेपेंथीस 
अकसर स्कूल की किताबों और साइंस लैब में नेपेंथीस का चित्र लगा देखा ही होगा. इस पौधे का मुंह सुराही के आकार का होता है, जिस पर ढक्कन भी लगा होता है. दरसअल पौधे की सुराही से एक तरल पदार्थ निकलता है, जिससे आकर्षित होकर कीट-पतंगें खिंची चली आती है और ढक्कन पर बैठते ही सुराही का मुंह बंद हो जाता है. इस तरह कीड़ा सुराही के मुंह में फिसलकर मर जाता है. बता दें कि इस सुराही के अंदर कई बैक्टीरिया होते हैं, जो कीट-पतंगों का रस चूसरकर (Insectivorous Plants) उसे गला देते हैं और इसी से पौधे को पोषण मिलता है.  




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