Palm Cultivation: हमारे देश में कुल खपत का लगभग 65% पाम तेल दूसरे देशों से आयात किया जाता है. पाम तेल के आयात पर भारत सरकार लगभग 50,000 करोड़ रुपये सालाना खर्च करती है. पाम ऑयल के बढ़ते आयात के चलते दूसरे तेलों की कीमतें भी आसमान छू जाती हैं. इसलिये भारत सरकार का लक्ष्य है कि किसानों को हर प्रकार की सहायता मुहैया कराई जाये, जिससे वे पाम ऑयल की खेती करके देश के आर्थिक विकास में योगदान दे सकें. इसके लिये भारतीय खाद्य तेल मिशन- पाम ऑयल की शुरुआत की गई. जिसके तहत किसानों को ताड़ की खेती के लिये किसानों को प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता दिया जा रहा है.


यहां करें पाम की खेती


आमतौर पर पाम यानी ताड़ की खेती तटीय इलाकों में की जाती है. भारत में इसकी खेती के लिये अंडमान और निकोबाग द्वीप समूह के साथ-साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों को चिंहित किया गया है. लेकिन मिट्टी और जयवायु के हिसाब से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, गुजरात, गोवा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल में भी पाम की खेती की जा सकती है.


सरकार देगी आर्थिक मदद


भारत सरकार ने पाम की खेती को बढ़ावा देने के लिये 11,040 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. जिसके तहत किसानों को पाम यानी ताड़ की खेती करने के लिये 29,000 रुपये प्रति हैक्टेयर अनुदान दिया जा रहा है. ताड़ के पुराने बागों की देखभाल या उन्हें दोबारा स्थापित करने के लिये भी 250 रुपये प्रति पेड़ देने का भी प्रावधान है. जो किसान ताड़ के बागों से ही खेती के लिये बीज तैयार करके खेती करेगें, उन्हें 15 हैक्टेयर पर करीब 80 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है.


अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के किसानों के लिये 15 हैक्टेयर पर 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और पूर्वोत्तर राज्यों में पाम की खेती के लिये 15 हैक्टेयर पर 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है. देश के दूसरे राज्यों में ताड़ की खेती के लिये सरकार 15 हैक्टेयर पर 40 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया करवा रही है.


भारत सरकार पाम ऑयल के उत्पादन के लिये किसानों हर तरह से प्रोत्साहित कर रही है. साथ ही, साल 2025-26 तक ताड़ की खेती और इसके प्रसंस्करण के बाद किसानों के लिये एक बड़ा बाजार बनाने का लक्ष्य रखा है. इससे बिना परेशानी किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी और देश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी.


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