(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rice Farming: पुराने तरीके छोड़िए, इस खास तरीके से करें धान की खेती, दोगुनी पैदावार के साथ होगी डबल कमाई
Paddy Cultivation: सीड़ ड्रिल विधि के जरिये नर्सरी का झंझट नहीं रहता. खेत में पानी भरकर धान की बिजाई की जाती है, जिससे पानी, मजदूरी और पैसे की बचत होती है.
Seed Drill Technique for Advanced Farming:भारत में खरीफ फसल चक्र (Kharif Crop Cycle) के तहत धान की खेती (Paddy Farming) की जाती है. ज्यादातर इलाकों में मानसून (Monsoon 2022) की बारिश शुरु हो चुकी है, इस समय किसान भी धान की रोपाई के लिये खेतों में जुट चुके हैं. धान की अच्छी पैदावार के लिये उन्नत बीजों और खास तरीकों के जरिये बिजाई-रोपाई करना जरूरी है. ऐसे में धान की खेती (Paddy Cultivation) के लिये सीड ड्रिल विधि (Seed Drill Method)काफी प्रचलन में है, जिससे समय और श्रम दोनों की बचत होती है. बता दें कि सीड ड्रिल विधि को सीधे बिजाई या छींटा विधि भी कहते हैं, जिसके तहत सीधे खेतों में सीड ड्रिल मशीन के जरिये धान के बीजों की बुवाई (direct Sowing) की जाती है.
सीड़ ड्रिल विधि से कैसे उगायें धान
- खेतों में धान की सीधी बिजाई के लिये उन्नत किस्म के बीजों का ही चुनाव करें, जिससे अंकुरण में आसानी रहे और फसल की बढ़वार में कोई समस्या न हो.
- बुवाई से पहले बीजों का थीरम और कार्बेंडाजिम नामक दवाओं से बीजोपचार कर लें, जिससे फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना कम हो जाये.
- धान की सीधी बिजाई के लिये सबसे पहले खेतों को गहरी जुताई लगाकर 2-3 दिन के लिये खाली छोड़ दें.
- 2-3 दिन बाद दोबारा जुताई करके खेतों में पानी भरकर छोड़ दें.
- ऐसा करने पर खेतों में पहले ही खरपतवार उगा जाते हैं, जिन्हें जुताई करके हटा दिया जाता है.
- इस उपाय को करने से काफी हद तक खरपतवारों की रोकथाम हो जाती है.
- इसके बाद खेत में गोबर की खाद और दूसरे पोषक तत्व डालें, जिससे बीजों के अंकुरण और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ जायेगी.
- खेत की तैयारी के बाद उपचारित किये हुये उन्नत बीजों को सीड़ ड्रिल मशीन में डालकर पूरे खेत में बिजाई कर दें.
- धान की बिजाई वाले खेत में चारों तरफ मेडबंदी करें, जिससे सिंचाई का पानी खेत से बाहर न निकले.
सीधी बिजाई के बाद देखभाल
सीड़ ड्रिल मशीन से धान की सीधी बिजाई के बाद खेत में पानी भरकर 21 दिन के लिये छोड़ दें, ताकि फसल में ठीक प्रकार से अंकुरण हो सके.
- 21 दिनों बाद खेतों में धान के पौधों के साथ खरपतवार भी उग जाते हैं, जिन्हें निकालने के लिये निराई-गुड़ाई करें.
- किसान चाहें तो बैलों की मदद से खेत में हल्की जुताई का काम भी कर सकते हैं.
- ऐसा करने से धान के पौधों की जड़ों को मजबूती मिलती है और पौधों की कलियां भी खिलने लगती हैं.
- बता दें कि पौधों की कलियों में बढ़वार से ही फसल की बेहतर क्वालिटी और ज्यादा पैदावार मिलती है.
- अगर खेत में ज्यादा खरपतवार निकल आते हैं, तो निराई-गुड़ाई करते रहें और खरपतवार नाशी दवा का भी छिड़काव करें.
- बढ़ती फसल में निगरानी करते रहें, जिससे कीट-रोग के लक्षणों को पहचानकर समय से समाधान कर सकें.
- विशेषज्ञों की सलाहनुसार पोषण प्रबंधन का कार्य करें और जैव उर्वरकों का प्रयोग करें.
- फसल की सही समय पर सही देखभाल करने से बेहतर उत्पादन और दोगुना आमदनी भी ले सकते हैं.
सीड़ ड्रिल विधि से किसानों को आराम
पूरी सावधानी (Precaution) और सही निगरानी के साथ सीड़ ड्रिल विधि (Seed Drill Method) द्वारा खेती करने पर समय से पहले ही धान की उपज (Rice Producrion) मिल जाती है.
- इस विधि से खेती करने पर नर्सरी तैयार करने का झंझट नहीं रहता और नर्सरी में पानी, देखभाल और रोपाई की मेहनत बच जाती है.
- सीड़ ड्रिल से बिजाई करने पर 10-15 पहले ही फसल पक जाती है, जिससे समय पर कटाई, बिक्री और अगली फसल की तैयारी कर सकते हैं.
- इस विधि में मजदूरी का खर्च भी कम आता है और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है.
- धान की फसल में नर्सरी (Paddy Nursery) से लेकर सिंचाई (Irrigation System) तक काफी पानी खर्च होता है, लेकिन सीड़ ड्रिल विधि में धान की बिजाई (Paddy Sowing) सीधे खेतों में होती है, जिससे पानी का शुरुआती खर्च बच जाता है.
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