Seedless Lemon Gardening: पिछले दिनों नींबू की मांग का काफी तेजी देखी गई है, इसलिये शुरुआत से ही सावधानी बरतकर नींबू के बाग लगायें, जिससे बिना नुकसान के अच्छा लाभ कमा सकें. नींबू की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये नई तकनीक और उन्नत किस्मों बुवाई करना उचित रहता है. हम बात कर रहे हैं बीज रहित यानी सीडलेस नींबू की खेती के बारे में. जी हां, बाजार में आजकल बिना बीज वाले नींबू की मांग बढ़ गई है. बाजार को मांग को देखते हुये अगर बीज रहित नींबू की खेती करते है, तो साधारण नींबू के मुकाबले अच्छा मुनाफा हो सकता है. आइये जानते इसकी खेती की खास तकनीक के बारे में-
बीज रहित नींबू की खेती
नींबू की बागवानी के लिये आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश का नाम शीर्ष पर आता है.
- बीज रहित नींबू की खेती के लिये मध्यम जलवायु और बलुई दोमट मिट्टी सबस अच्छा उत्पादन देती है.
- सामान्य जलवायु में रात-दिन का तापमान नियंत्रित रहता है, जिससे फल की बेहतर क्वालिटी और खटास और रंग की उपज मिलती है.
- ध्यान रखें कि सर्द, पहाड़ी और कोहरे वाले इलाकों में नींबू की खेती नहीं करनी चाहिये, इससे बाग में सड़न और गलन की समस्या होने लगती है.
- इसकी नर्सरी लगाने के लिये जांच कर लेनी चाहिये कि नींबू की पौध बीज रहित और अच्छी क्वालिटी की हो, जिससे स्वस्थ और अच्छी पैदावार लेने में खास मदद मिलती है.
- नीबू की पौधों की रोपाई से जड़ों का उपचार कर लेना चाहिये और गड्ढों में भी खाद-उर्वरकों का मिश्रण भर देना चाहिये.
नींबू की किस्में
स्वस्थ और अच्छी पैदावार के लिये जरूरी है कि उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव किया जाये. कम समय में बेहतर उत्पादन देने वाली किस्मों में कागजी, कलान, सीडलेस लेमन, रंगपुर लाइन, विक्रम और प्रोमालिनी आदि की मदद से सबसे ज्यादा बागवानी की जाती है. ज्यादातर किस्मों के पौधों को बडिंग और ग्राफ्टिंग के जरिये नर्सरी में तैयार करते है. वहीं कागजी नींबू की बुवाई के लिये बीज सहित बुवाई करके पौधे की ग्राफ्टिंग की जाती है. नर्सरी में नींबू की बुवाई और खेत में रोपाई के समय बीज या जड़ों का बीजोपचार कर लेना चाहिये.
बाग की तैयारी और रोपाई
दूसरे फलों की तरह नींबू के खेत को जुताई और समतलीकरण के साथ खाद और उर्वरक डालकर तैयार किया जाता है.
- नींबू की रोपाई के लिये 60 सेमी. की लंबाई-चौड़ाई-ऊंचाई वाले गड्ढों की खुदाई करके उसमें धूप की तपिश से सौरीकरण करते हैं.
- जून-जुलाई के समय इन गड्ढों में 20-25 किग्रा. गोबर की सड़ी खाद, 1 किग्रा. नीम की खली, 50-60 ग्राम दीमकनाशी रसायन, 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट का मिश्रण बनाकर तालाब की मिट्टी के
- साथ गड्ढों में भरा जाता है.
- गड्ढे में पिंड़ी का आकार बनाकर पौधों की रोपाई करते, जिससे पौधों की जड़ों को खाद-उर्वरक का सही पोषण मिल सके.
- ध्यान रखें कि ग्राफ्टिंग और बडिंग वाले पौधों को मिट्टी से थोड़ा ऊंचाई पर लगाना चाहिये.
- खेत में पौधों की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई का काम कर देना चाहिये.
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