Red Sandalwood Farming: भारत में फल, फूल, सब्जी, अनाज और लकड़ियों की ऐसी दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं, जिन्हें उगाना तो आसान है, लेकिन इनकी कीमत करोड़ों में होती है. ऐसी ही एक प्रजाति है लाल चंदन की. जी हां,अभी तक सिर्फ सफेद चंदन के बारे में सुना था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लाल चंदन को दुनिया की सबसे दुर्लभ पर सबसे महत्वपूर्ण लकड़ी माना जाता है. इसका इस्तेमाल संगीत के वाद्य यंत्र बनाने, फर्नीचर और मूर्तियां बनाने के अलावा और औषधियां बनाने के लिये किया जाता है. लाल चंदन की मांग तो दुनियाभर में होती  है, लेकिन इसका सबसे अच्छा उत्पादन सिर्फ भारत में ही होता है. 


ध्यान रखने योग्य बातें
भारत में लाल चंदन सिर्फ दक्षिणी इलाकों में घने जंगलों में पाया जाता है. करोड़ों की उपज देने वाला ये पेड़ 6 देशों के अलावा सिर्फ भारत में ही प्राकृतिक रूप से मौजूद है, लेकिन किसान चाहें तो इसकी नकदी खेती की शुरुआत कर सकते हैं. 



  • लाल चंदन भी सफेद चंदन की तरह ही एक परजीवी पेड़ है, जो दूसरे पेड़-पौधों से पोषण लेता है.

  • बात करें सिंचाई की तो सिर्फ 3-4 लीटर पानी में ही एक सप्ताह की सिंचाई का काम हो जाता है, क्योंकि लाल चंदन में ज्यादा पानी के इस्तेमाल से गलन की समस्या हो सकती है.

  • इसकी खेती के लिये जल-निकासी वाली बजरी-दोमट मिट्टी या लाल मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है.

  • भारत के किसी भी इलाके में लाल चंदन की खेती की कर सकते हैं, खेती से पहले मिट्टी की जांच जरूर करवा लेनी चाहिये.

  • एक बार रोपाई के बाद लगातार 2 साल तक इसके पौधों को खरपतवार से खास देखभाल की जरूरत होती है

  • लाल चंदन का पेड़ पाला यानी कोहरा नहीं सह सकता, इसलिये शुष्क गर्म मौसम में इसकी खेती से ज्यादा फायदा होता है.

  • इसका पेड़ 5-6 मीटर की लंबाई हासिल कर लेता है, लेकिन इसकी अच्छी मोटाई होने पर ही कटाई करनी चाहिये.

  • एक बार लाल चंदन की रोपाई करने पर ये अगले दशक में 500 किग्रा. तक लकड़ी देता है.

  • लाल चंदन जैसी दुर्लभ प्रजाति के पेड़ों को बढ़ने में काफी समय लग जाता है, लेकिन इसकी 1 टन लकड़ी से ही 20-40 लाख रुपये की कमाई हो जाती है.


कैसे करें खेती
लाल चंदन की खेती के लिये इसके पौधों को नर्सरी से खरीद सकते हैं. इसकी खेती के लिये मई से जून तक का महीना सबसे अच्छा माना जाता है.



  • सबसे पहले इसके खेत में  4-5 गहरी जुताई करें और पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें.

  • खेतों में जल निकासी की व्यवस्था करें और ज्यादा जलभराव के कारण लाल चंदन के पेड़ गलकर खराब हो जाते हैं.

  • इसकी रोपाई के लिये 45 सेमी. की लंबाई-चौड़ाई-ऊंचाई वाले गड्ढों की खुदाई करें.

  • इन गड्ढ़ों में विशेषज्ञों की सलाह के मुताबिक गोबर की खाद और दूसरे उर्वरक डालकर ऊपर से मिट्टी से ढंक दें.

  • लाल चंदन के पौधों को 10*10 फीट पर रोपाई कर दें और हाथोंहाथ हल्की सिंचाई का काम कर लें.

  • ध्यान रखें कि हर 10-15 दिन में लाल चंदन के पौधों की सिंचाई करते रहें.

  • हर साल अप्रैल-मई के बीच पत्ता खाने वाली इल्ली का खतरा फसल पर बना रहता है, जिसकी रोकथाम के लिये नीम के जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें.

  • आम चंदन के मुकाबले लाल चंदन का पेड़ की लंबाई सिर्फ 9 मीटर तक ही सीमित होती है, जिसकी त्रिकोणीय पत्तियां होती है.


यह ज्यादा से ज्यादा 150-175 सेमी. की मोटाई तक फैल सकता है. भारत में ज्यादातर इसका प्रयोग धार्मिक अनुष्ठान, ब्यूटी प्रॉडक्ट्स और औषधीयां बनाने में ही किया जाता है.


 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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