Nutritious Azolla farming Along with Paddy: भारत में जलवायु के हिसाब से धान की खेती के लिये खरीफ फसल चक्र (Kharif Crop Season) को सबसे बेहतर मानते है. इस दौरान कई राज्यों के किसान बड़े पैमाने पर धान की बुवाई और रोपाई (Paddy Farming) का काम करते हैं. अगर किसान धान की फसल में अच्छी पैदावार के साथ अच्छा पैसा भी कमाना चाहते हैं, तो साथ में अजोला की सह-फसली खेती (Co-croping of Azolla) भी कर सकते हैं. धान के साथ अजोला की सह-फसली खेती करने से खेत और फसल को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन (Nitrogen) मिल जाता है और पशुओं के लिये पोषण युक्त चारे (Animal Fodder) का इंतजाम भी हो जाता है.


अजोला की खासियत
अजोला एक जलीय पौधा है, जो पानी के ऊपर एक हरी परत या फर्न के रूप में दिखता है. इसके चमत्कारी गुण नाइट्रोजन के साथ-साथ फसल पोषण का भी काम करते हैं. ये फसलों के लिये रासायनिक खाद का भी काम करता है, जिससे फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना कम हो जाती है. विशेषज्ञों की मानें तो दुधारू पशुओं में बेहतर स्वास्थ्य और अच्छी क्वालिटी के दूध उत्पादन में अजोला किसी वरदान से कम नहीं है.



  • यह पशुओं के साथ-साथ मुर्गी और मछलियों के लिये भी बेहतरीन दाने का काम करता है.

  • इसका इस्तेमाल जैविक खाद के अलावा मच्छर से बचाने वाली क्रीम और सलाद बनाने में भी किया जाता है.

  • खरीफ फसलों के साथ-साथ रबी सीजन में  भी ये हरी खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है.

  • खेतों में इसके प्रयोग से बंजर मिट्टी भी उपजाऊ बन सकती है.

  • फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिये भी अजोला का इस्तेमाल किया जाता है.

  • इसका प्रयोग करने से फसलों में कीट-रोगों के साथ खरपतवारों की संभावना भी कम हो जाती है.

  • खेतों में नाइट्रोजन उर्वरकों के स्थान पर अजोला के इस्तेमाल से  मिट्टी के साथ-साथ फसलों की क्वालिटी और पैदावार में भी बढोत्तरी होती है.


ऐसे बढ़ेगी धान की पैदावार 
कई किसान रसायनिक खाद और पशु चारे के रूप में बड़े पैमाने पर अजोला उगाते हैं.



  • शुरुआती 15-20 दिनों के लिये खेत में पानी भरकर सिर्फ अजोला की खेती की जाती है.

  • पानी के ऊपर अजोला की फर्न उगने पर खेत का पानी बाहर निकाल दिया जाता है और अजोला से हरी खाद बनाई जाती है.

  • इसकी आधी मात्रा को धान की रोपाई से पहले खेतों में डाल दिया जाता है.

  • रोपाई के बाद पानी से भरे धान के खेत में इसको छिड़कना फायदेमंद रहता है.

  • धान की फसल इसका छिड़काव करने से दूसरे उर्वरकों की खपत कम होती है.

  • धान की बढ़वार होने तक ये मिट्टी में कार्बन की कमी पूरी करता है और फसलों को भी नाइट्रोजन की उपस्थिति बनाये रखता है.


बरतें ये सावधानियां
विशेषज्ञों की मानें तो हवा में फैले कार्बन-डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन को ये कार्बोहाइड्रेट और अमोनिया में बदलने की शक्ति रखता है, जो मिट्टी, फसल, पशु और इंसानों की सेहत के लिये फायदेमंद होता है, लेकिन अजोला की खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिये कई सावधानियां बरतनी होती है.



  • अलोजा(Azolla) की अच्छी पैदावार के लिये इसे साफ-सुथरे खेत में पानी भरकर ही उगायें.

  • ज्यादा ठंडे या ज्यादा गर्म जलवायु(Balanced Climate) में इसकी खेती नहीं करनी चाहिये.

  • अजोला(Chemical Fertilizer) से अधिक पैदावार लेने के लिये समय-समय पर इसकी कटाई करते रहना चाहिये.

  • डायरेक्ट धूप और रौशनी के संपर्क में अलोजा की अच्छी बढ़वार होती है, इसलिये खुले वातावरण में ही इसकी खेती करें.

  • मौसम के ज्यादा ठंडा होने पर इसकी क्यारियों को प्लास्टिक शीट(Plastic Sheet) से ढंककर बचा सकते हैं.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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