Advanced Varieties of Chilli: पुराने समय से ही देसी-विदेशी व्यंजनों का जायका बढ़ाने के लिये खाने में लाल मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है. लाल मिर्च एक नकदी फसल है, जिसका इस्तेमाल सब्जी और मसालों के तौर पर किया जाता है. सालभर बाजार में लाल मिर्च की मांग बनी रहती है. यही कारण है कि कम समय में लाल मिर्च की खेती फायदे का सौदा साबित होती है. विशेषज्ञों की मानें तो लाल मिर्च की खेती के जरिये अच्छा पैसा कमाने के लिये इसकी उन्नत किस्मों से ही नर्सरी तैयार करके खेतों में रोपाई करनी चाहिये. खासकर लाल मिर्च की रोग प्रतिरोधी किस्में ही भरपूर तीखे पन के साथ कम खर्च में ज्यादा पैसा कमाने का मौका देती हैं. आइये जानते हैं लाल मिर्च की 5 उन्नत किस्मों के बारे में-
अर्का मेघना
ये मिर्च की संकर किस्म है, जिसकी अगेती खेती करने पर सुर्ख लाल रंग की उपज मिलती है. 10 सेमी. लंबाई वाली ये मिर्च बुवाई के 150-160 दिनों में ही पककर तैयार हो जाती है. विशेषज्ञों की मानें तो आर्का मेघना की खेती करने पर अलग से कीट नाशकों की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि इसकी रोग प्रतिरोधी क्षमता काफी अच्छी होती है. आर्का मेघना की खेती से एक हेक्टेयर खेत में 30-35 टन तक उत्पादन मिल जाता है. जिसे सुखाकर प्रोसेसिंग करने के बाद बाजार में अच्छी कीमत मिल जाती है.
अर्का श्वेता
चिकने हरे रंग की आर्का श्वेता की लंबाई 13 सेमी और मोटाई 1.2-1.5 सेमी. तक होती है। एक हेक्टेयर खेत में आर्का श्वेत की फसल से 28-30 हरी मिर्च और 4-5 टन लाल मिर्च की उपज मिल जाती है. आर्का श्वेता में विषाणु और कीड़े लगने की संभावना भी काफी कम रहती है.
काशी सुर्ख
हल्के सीधे रंग के फल वाली काशी सुर्ख एक हाइब्रिड मिर्च है, जिसकी लंबाई 11-12 सेमी. होती है. काशी सुर्ख मिर्च से खेती करने पर रोपाई के 50-55 दिनों में ही पहली उपज मिल जाती है. यहा मिर्च की संकर प्रजाति है, जिसकी एक हेक्टेयर में रोपाई करने पर हरी मिर्च का 20-25 टन और लाल मिर्च 4-5 टन उत्पादन मिल जाता है.
काशी अर्ली
काशी अर्ली को जल्दी पकने वाली हाइब्रिड मिर्च के नाम से जानते हैं. यह भी मिर्च की संकर किस्म है, जो सामान्य किस्मों से 10 दिन पहले ही पक जाती है. इसके फल 7-8 सेमी. लंबे और 1 सेमी. मोटाई वाले होते हैं. एक हेक्टेयर खेत में काशी अर्ली की रोपाई करने के बाद 45 दिनों में ही 300-350 क्विंटल तक स्वस्थ उत्पादन मिल जाता है.
पूसा सदाबहार किस्म
पूसा सदाबहार एक स्वदेशी किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई है। एक हेक्टेयर खेत में पूसा सहाबहार की रोपाई करने पर अगले 60-70 दिनों में 8-10 टन की स्वस्थ उपज मिल जाती है. मिर्च की ये देसी किस्म किसी भी प्रकार की जलवायु में दूसरी किस्मों से ज्यादा उत्पादन दे सकती है. पूसा सहाबहार के एक ही गुच्छे से 12-14 रोग प्रतिरेधी मिर्च मिल जाती हैं.
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