Benefit of Mixed & Co-cropping Farming: पारंपरिक कृषि विधियों के मुकाबले आज खेती की आधुनिक विधियां (Advanced Agriculture Techniques) कम खर्च में किसानों की आमदनी बढ़ा रही है. यही कारण है कि छोटे और सीमांत किसान भी कम संसाधनों में अधिक आमदनी ले रहे हैं. इस चमत्कार के पीछे खेती की दो विधियां शामिल है- मिश्रित खेती (Mixed Farming) और सह-फसल खेती (Co-cropping Farming) .


जिन किसानों के पास कम जमीन और आर्थिक संसाधनों की भी कमी है, वे इन दोनों विधियों का भरपूर लाभ ले सकते हैं. आधुनिक खेती के ये  तरीके किसानों को बहुत ही कम जमीन में भी बढिया उत्पादन दिलाने में मदद करेंगे. 




मिश्रित खेती (Mixed Farming)
खेती के साथ-साथ पशु पालन (Animal Husbandry), मछली पालन(Fish Farming), मुर्गी पालन(Poultry Farming), मधुमक्खी पालन (Bee Keeping) (Honey Farming) और डेयरी फार्मिंग (dairy Farming) जैसे कृषि कार्यों से भी अतिरिक्त उत्पादन लेने के तरीका मिश्रित खेती कहलाता है . किसानों को आमदमी को दोगुना करने वाली इस विधि के तहत खेत में किसान एक से ज्यादा फसलें भी उगाते हैं, जिसमें पारंपरिक और दलहनी फसलों को मुख्य फसल के रूप में लिया जाता है.


मिश्रित खेती करने के फायदे (Benefits Of Mixed Farming)
मिश्रित खेती करने पर किसानों को कई अनोखे फायदे होते हैं. इस बीच उनकी आमदनी तो दोगुना होती है, साथ ही उन्हें खेती के अलावा रोजगार का दूसरा साधन भी मिल जाता है.   



  • मिश्रित खेती में फसलों पर किसी भी प्रकार की विपदा आने पर नुकसान का बोझ कम हो जाता है, क्योंकि किसानों के पास आमदनी का दूसरा साधन मौजूद होता है.

  • मिश्रित खेती करने पर कृषि कार्यों की लागत भी कम हो जाती है. जैसे पशु पालन करने पर पशुओं से मिलने वाले गोबर  को खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं.

  • वही दूसरी तरफ दलहनी फसलों से निकलने हरे चारे को पशुओं के पोषण के रूप में प्रयोग किया जाता है.

  • खेती के साथ पशु पालन, मछली पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन करने पर अनाज की बिक्री के अलावा दूध, मछली, अंडे, मांस और शहद बेचकर अतिरिक्त आमदनी मिल जाती है.

  • इस तरीके से खेती करने पर किसान साल भर आमदनी ले सकते हैं.




सह-फसल खेती (Co-cropping Farming)
जैसा कि नाम से ही साफ है, खेती की ये विधि भारतीय किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. सह फसल खेती करने पर छोटी जमीन वाले किसान भी एक से ज्यादा फसलें उगाकर अच्छी आमदनी ले सकते हैं. इस विधि में जमीन के एक ही टुकड़े पर दो या दो से अधिक फसलें उगाई जाती है. इसमें पारंपरिक अनाजी और दलहनी फसलों के साथ मेड़ों पर सब्जियों की खेती, सब्जियों फसलों के साथ मेड़ों पर दालों की खेती,  अन्य फसलों के साथ सब्जियों और औषधीय फसलों की खेती और फलों के बागों में भी सब्जी और हर्बल खेती (Herbal Farming) करना शामिल है.


सह-फसल खेती के फायदे  (Co-cropping Farming)
इस प्रकार लंबी अवधि वाली फसलों के साथ  कम अवधि वाली फसलें लगाने पर किसानों को बीच-बीच आमदनी होती रहती है. 



  • सह-फसल खेती करने पर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति (Improve Soil Health) बढ़ती है और पोषण प्रबंधन पर होने वाला खर्च बचता है.

  • इस विधि से खेती करने पर फसलें आपस में पोषण का काम करती है, जिससे क्वालिटी उत्पादन लेने में मदद मिलती है.

  • खेती की इस विधि में नुकसान की संभावना कम होती है और इस प्रकार किसान एक ही जमीन से अलग-अलग फसलों का उत्पादन भी ले सकते हैं.

  • सह-फसल खेती (Co-cropping) करने पर किसानों को भूमि, श्रम और पूंजी का सही इस्तेमाल करने में मदद मिलती है.

  • इस तरीके से खेती करने पर किसान मौसम के अनुसार खेती करके आमदनी ले सकते हैं.




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