Flood Resistant Variety of Paddy: भारत में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण खेती-किसानी एक जोखिम भरा काम बनती जा रही है. खासकर बात करें तेज बारिश (Heavy Rain) और बाढ़ (Flood) प्रभाविक इलाकों के बारे में, तो खेतों में पानी भर जाने के कारण फसलें बर्बाद हो जाती हैं और किसानों पर आर्थिक संकट मंडराने लगता है. खबरों के मुताबिक इस साल भी बाढ़ आने के कारण असम के कई गावों के किसानों को नुकसान हुआ है. यहां धान की तैयार फसल कटाई से पहले ही पानी भरने से खराब हो गई. भविष्य में ऐसे नुकसानों को कम करने के उद्देश्य से हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने नया आविष्कार किया है, जिससे बाढ़ आने पर फसल खराब नहीं होगी और किसान भी नुकान से बच जायेंगे.


बाढ़रोधी चावल का आविष्कार
आंचलिक कृषि एवं बागवानी अनुसंधान स्टेशन ने साल 2019 में लाल चावल(Red Rice) की बाढ़रोधी किस्म (Flood  Resistant Variety) सहयाद्रि पंचमुखी विकसित की है, जो लगातार 8-10 तक बाढ़ का सामना कर सकती है. हालांकि इस चावल को उगाने के लिये ज्यादा सिंचाई की जरूरत होती है, इसलिये असम, कर्नाटक समेत बाढ़ग्रस्त और तटीय इलाकों में इसकी खेती करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.



  • लाल चावल की किस्म सहयाद्रि पंचमुखी की खासियत है कि धान की ये किस्म बाढ़ के पानी में कई दिनों तक बिना नुकसान के खड़ी रहेगी.

  • बाढ़ के पानी इसके पौधे गलेंगे नहीं और चावल की क्वालिटी पर भी कोई असर नहीं पडेगा.

  • धान की ये किस्म रोपाई के 130 से 135 दिनों में तैयार हो जाती है.

  • धान की दूसरी किस्मों के मुकाबले सह्याद्रि पंचमुखी से 26% तक अधिक पैदावार ले सकते हैं.  

  • सह्याद्रि पंचमुखी को लाल चावल की सुगंधित किस्म भी कहते हैं, जिसकी खुशबू और स्वाद में कोई मुकाबला नहीं है.


मौसम की बेरुखी के कारण भारत के तटीय इलाकों में धान किसान काफी समय से सहयाद्रि पंचमुखी (Sahyadri Panchamukhi) जैसे चमत्कार की तलाश में थे. अब किसान धान की इस किस्म से चिंतामुक्त होकर खेती कर पायेंगे और भारत में लाल चावल का उत्पादन(Red Rice Production) भी बढेगा.  


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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