Process of Garlic Cultivation: भारत में बागवानी फसलों की खेती में लहसुन का नाम शीर्ष पर आता है. खासतौर पर आंध्रप्रदेश, उत्तार प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात में इसकी खेती बडे पैमाने पर की जाती है। खाने का जायका बढ़ाने वाली लहसुन को मसाले और सब्जी के साथ-साथ हर्बल दवाईयां बनाने में प्रयोग किया जाता है. कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फॉस्फोरस की मात्रा से भरपूर लहसुन के आयुर्वेद में भी कई फायदे गिनाये जाते हैं. इससे बनने वाला तेल पाचन को बेहतर बनाने में लाभदायक रहता है तो वहीं इसमें मौजूद औषधीय गुण डायबिटीज को कंट्रोल रखने में मददगार हैं. भारत में लहसुन की औषधीय और जैविक खेती की जाती है. इसकी फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये जरूरी है कि उन्नत बीज, बेहतर सिंचाई व्यवस्था, पोषण और खरपतवार प्रबंधन के साथ ही लहसुन की खेती की जाये.
उन्नत किस्मों से खेती
जाहिर है कि पॉलीहाउस में लहसुन की खेती करने के लिये अलग से नर्सरी तैयार करने की जरूरत नहीं होती.
- किसान सीधे मिट्टी खाद-उर्वरक डालने के बाद लहसुन की कलियों की बुवाई कर सकते हैं.
- बेहतर उपज के लिये लहसुन की रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना ठीक रहता है.
- लहसुन की उन्नत किस्मों में एग्रीफाउंड व्हाइट, एग्रीफाउंड पार्वती, एग्रीफाउंड पार्वती 2, यमुना सफेद, यमुना सफेद 2, यमुना सफेद 3, जीजी -4, फुले बसवंत, वीएल लहसुन 2, वीएल गार्लिक 1 और
- ऊटी 1 आदि को स्वस्थ और अधिक उत्पादन देने वाली किस्में कहते हैं.
लहसुन में सिंचाई
- लहसुन की खेती के लिये नर्सरी तैयार करें या सीधी बुवाई भी कर सकते हैं.
- लहसुन की फसल में बुवाई या रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई का काम करें.
- इसकी अच्छी बढ़वार के लिये हर 10-15 दिनों में फसल को पानी देते रहें.
- बारिश होने पर सिंचाई की मात्रा कम कर दें और शाम के समय ही सिंचाई करें.
- मौसम के ज्यादा गर्म रहने पर जरूर सिंचाई करें, जिससे मिट्टी को नमी और फसल को पोषण मिलता रहे.
- लहसुन की फसल में आखिरी सिंचाई का काम कटाई के एक हफ्ते पहले तक कर लें.
- खेत में जल निकासी की भी व्यवस्था करें, ताकि फसल में जल भराव न हो और फसल स्वस्थ रहे.
पोषण प्रबंधन
लहसुन की खेती को जैविक विधि से करने पर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति और फसल की क्वालिटी काफी हद तक बढ़ जाती है. लेकिन कम उपजाऊ मिट्टी में लहसुन की खेती करने पर उर्वरकों की जरूरत पड़ती है.
- ऐसे में एक हैक्टेयर लहसुन खेत में 200-300 क्विंटल गोबर की कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल करें.
- फसल में 100 किग्रा. नाइट्रोजन, 50 किग्रा. फास्फोरस और 50 किग्रा. पोटाश का प्रयोग प्रति हैक्टेयर के हिसाब से करें.
- इन पोषक तत्वों को गोबर की खाद में मिलाकर मिश्रण बनायें और इसे बुवाई से पहले मिट्टी में मिलायें.
- नाइट्रोजन की आधी मात्रा का इस्तेमाल बुवाई के 25-30 दिन बाद और 40-45 दिनों के बाद ही करें.
खरपतवार प्रबंधन
लहसुन की बुवाई के 7-8 दिनों में फसल में अच्छा अंकुरण हो जाता है. लेकिन बुवाई के इस बढ़वार के साथ कभी-कभी अनावश्यक खरपतवार भी उग आते हैं, जिसका समय पर प्रबंधन करना ठीक रहता है. ऐसी स्थिति में खरपतवारों का उखाड़कर जमीन में गाड़ दें. लहसुन की फसल में कीट और रोगों का प्रबंधन करने के लिये जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं.
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