Sericulture: सिल्क की लाखों रुपये की साड़ियां इस छोटे से कीड़े से होती हैं तैयार! पूरी प्रोसेस जानकर घूम जाएगा दिमाग
Silk Worms Farming: रेशम के कीड़े 500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलते हैं, जिनसे 25 दिन में रेशम तैयार होता है. करीब 6,000 कीड़ों से एक किलो रेशम मिलता है, जिससे बनी साड़ी लाखों के भाव बिकती है.
Profitable Farming: आजकल खेती-किसानी में भी तरहग-तरह के इनोवेशन हो रहे हैं. किसान खेती तो कर रहे हैं, लेकिन कुछ खास तरीके से. खेत में फल, सब्जी, अनाज उगता है तो साथ में मुर्गी, मछली और पशुपालन भी हो रहा है. एक तरफ डेयरी चल रही है तो दूसरी तरफ पोल्ट्री. ये तरीके किसानों की आय को दोगुना करने में मददगार है. यदि आप भी कृषि से बीट से जुड़ा कुछ नया काम करना चाहते हैं तो बेझिझक रेशम कीट पालन के बिजनेस से जुड़ सकते हैं. देश-दुनिया में अच्छे और लक्जरी सिल्क की बढ़ती डिमांड के बीच रेशम कीट पालन यानी सेरीकल्चर से जुड़ना फायदे का सौदा साबित हो सकता है. अच्छी बात यह है कि सरकार भी अब इस काम में किसानों और ग्रामीणों की मदद करती है.
मल्टीक्रॉपिंग में रेशम कीट पालन
मल्टीक्रॉपिंग यानी एक साथ कई फसलों की खेती, जिससे आमदनी भी ज्यादा होती है. रेशम कीट पालन के लिए ये नुस्खा कारगर साबित हो रहा है. आपके पास एक या दो एकड़ जमीन है तो शहतूत के पेड़ लगाएं, जिससे फलों का प्रोडक्शन मिलेगा ही, इसकी पत्तियां रेशम के कीड़ों के काम आएंगी. हर एक साल में 4 बार रेशम बना सकते हैं.
यदि आपने कृषि विभाग के मार्गदर्शन में सारा काम किया है तो हो सकता है कि आपसे सारा रेशम कृषि विभाग खरीद ले. ये रेशम भी दो तरीके का होता है. एक सफेद रेशम को 500 रुपये किलो के भाव बिकता है और एक पीला रेशम, जिसकी कीमत 300 रुपये किलो है. बता दें कि एक एकड़ में रेशम कीट पालन करना चाहते हैं तो करीब 500 किलोग्राम रेशम के कीड़ों की जरूरत पड़ेगी.
कितने दिन में तैयार होता है रेशम
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि किसान 10 दिन के रेशम के कीड़े खरीदते हैं तो अगले 20 से 25 दिन तक आपक इन कीड़ों की अच्छी देखभाल करनी होगी. इन कीड़ों को शहतूत की पत्तियां खिलानी होगीं. 30 दिन तक यही प्रोसेस फॉलो करने के बाद अगले 20 से 25 दिन में रेशम तैयार हो जाता है. इस बीच जिस कमरे में रेशम का कीड़ा पालते हैं, वहां के तापमान पर भी खास ध्यान रखना होता है.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि रेशम का कीड़ा पालने के लिए 26 डिग्री से 27 डिग्री तक तापमान नियंत्रित करना होता है. इस बीच आर्द्रता भी 80 से 85% रहनी चाहिए. इस बात का भी खास ध्यान रखना होगा कि कीड़े पूरी तरह से हेल्दी और सुरक्षित रहें और इन कीड़ों में कोई बीमारी ना लगे. इससे सिल्क की प्रोसेसिंग करना भी आसान हो जाता है.
कहां होता है इस्तेमाल
रेशम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल लक्जरी कपड़े बनाने में किया जाता है. इससे भारत में फेमस सिल्क की साड़ियां, रेशम के दुपट्टे और भी कई अलग-अलग तरीके के कपड़े बनते हैं. सिल्क वॉर्म यानी रेशम के कीड़े से बना सिल्क 2,000 से 7,000 रुपये प्रति किलो ग्राम में बिकता है, जिससे बाद में लाखों की साड़ियां बनकर तैयार होती है.
पहले इस बिजनेस के बारे में किसानों और ग्रामीणों को जानकारी नहीं थे, लेकिन आज देश के अलग-अलग इलाकों में रेशम कीट पालन किया जा रहा है, जिससे खेती के साथ-साथ किसान अच्छा पैसा कमा रहे हैं.
अच्छी बात ये है कि इस काम में पशुपालन, मुर्गी पालन या मछली पालन जितनी मेहनत नहीं लगती, सिर्फ एक एकड़ में शहतूत के पेड़ लगा लें और साथ में सब्जियों की भी खेती कर सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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