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Brinjal Farming: बाजार में दोगुना दाम पर बिकेगा बैंगन, मानसून में इन सावधानियों के साथ करें बुवाई और रोपाई
Monsoon Brinjal cultivation: बारिश के मौसम में सभी सावधानियों के साथ बैंगन की खेती करने पर ये दूसरी सब्जियों के मुकाबले ज्यादा उत्पादन दे सकती है.
![Brinjal Farming: बाजार में दोगुना दाम पर बिकेगा बैंगन, मानसून में इन सावधानियों के साथ करें बुवाई और रोपाई know the low budget techniques of Brinjal cultivation for good earning Brinjal Farming: बाजार में दोगुना दाम पर बिकेगा बैंगन, मानसून में इन सावधानियों के साथ करें बुवाई और रोपाई](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/09/07/ed37e3a28beb6edb086d3b187d3c113f_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
बैंगन की खेती (फाइल तस्वीर)
low budget technique: खरीफ फसल चक्र के दौरान ज्यादातर किसान बागवानी फसलों की खेती की तैयारियां कर रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो बागवानी फसलों को नर्सरी में उगाकर खेतों में रोपाई की जानी चाहिये. इससे अच्छा उत्पादन तो मिलता ही है, साथ ही बारिश के कारण फसल नष्ट होने की संभावना भी खत्म हो जाती है. बारिश के मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में बैंगन की खेती किसानों को बड़ा मुनाफा दिलाती हैं. जून की बरसात में बोया गया बैंगन अगस्त-सिंतबर तक बाजार में बिक्री के लिये पहुंच जाती है. तो आइये जानते हैं बैंगन की खेती करने के लिये बरती जानी वाली सावधानियों के बारे में-
नर्सरी की तैयारी और रोपाई
- बैंगन की नर्सरी भी दूसरी सब्जियों की तरह तैयार की जाती है. लेकिन बारिश के मौसम में सभी सावधानियों के साथ बैंगन की खेती करने पर ये दूसरी सब्जियों के मुकाबले ज्यादा उत्पादन दे सकती है.
- जून के महीने में 400-500 ग्राम बीजों का इस्तेमाल करके नर्सरी तैयार करें.
- बैंगन की रोपाई के लिये इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करें. जिसमें पूसा पर्पर लोंग, पूसा पर्पर कलस्टर, पूर्सा हायब्रिड-5, पूसा पर्पर राउंड, पंत रितूराज, पूसा हाईब्रिड-6, पूसा अनमोल आदि अच्छा
- उत्पादन देने वाली किस्में हैं.
- एक हैक्टेयर क्षेत्र में बैंगन के पौधों की रोपाई के लिये 3-4 गहरी जुताई लगाकर 25-30 क्यांरियां तैयार करनी चाहिये.
- अच्छी पैदावार के लिये क्यारियों में 120-150 किग्रा. नाइट्रोजन, 60-75 किग्रा. फॉस्फोरस और 50-60 किग्रा. पोटाश को 200-250 क्विंटल गोबर की खाद में मिलाकर मिश्रण बनायें और क्यारियों में डालें.
- आमतौर पर बैंगन की नर्सरी 30-35 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है, इसकी रोपाई के लिये कतार से कतार और पौध से पौध की दूरी 60 सेमी. रखें.
- रोपाई के तुरंत बाद फसल में सिंचाई का काम कर दें और कम बारिश होने पर 3-4 दिनों के अंदर फसल को पानी देते रहें.
- बैंगन की खेती के लिये मिट्टी में नमी बनाये रखना जरूरी है, लेकिन अधिक जल भराव के कारण बैंगन की फसल खराब हो जाती है, इसलिये खेत में जल निकासी की व्यवस्था लें.
- बैंगन की फसल में खरपतवारों की निगरानी के साथ-साथ फसल में निराई-गुड़ाई का काम भी करते रहें.
- फसल में कीट-रोग प्रबंधन के लिये जैविक कीटनाशक का ही इस्तेमाल करें.
- दो महिने बाद बैंगन की अधपकी फसल की तुड़ाई कर लें.
- करीब एक हैक्टेयर पर बैंगन की खेती से 300-400 ग्राम तक उपज ली जा सकती है.
- अधपकी फसल को पकने तक इसकी सही डंग से 12 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोरेज करें और ठीक प्रकार से पक जाने पर मंडियों में बिक्री के लिये भेजें.
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