Preacaution During rain in Guava: रिमझिम बारिश के साथ मानसून सीजन का आगाज़ हो चुका है. इस बीच धान के किसान बेहद खुश है, क्योंकि धान की अच्छी पैदावार अच्छी बारिश पर ही निर्भर करती है. दूसरी तरफ बागवानी फसलों के लिये ज्यादा बारिश मुसीबत का पैगाम लेकर आती है. अगर बात करें फलों के बागों की तो कई बागों में फल पेड़ों पर लटके हुये हैं, जिनमें सड़न-गलन की संभावना रहती है. तो कुछ फल के बागों में ज्यादा पानी भरने से फलों की मिठास कम होने का खतरा बना रहता है.


ज्यादा बारिश के चलते बागों में कीट और बीमारियों के पनपने की संभावना भी बढ़ जाती है. ऐसे में कई किसान अमरूद की बागवानी कर रहे हैं, जिसमें सिंचाई के लिये बारिश का होना अच्छा भी है और चुनौतीपूर्ण भी. इसलिये जरूरी है कि मानसून सीजन में बारिश की तेज बौछार पड़ने से पहले ही अमरूद के बागों में प्रबंधन कार्य कर लिया जाये, जिससे अच्छी क्वालिटी वाले मीठे और स्वस्थ फलों की उपज हासिल कर सकें.




कीट-रोग नियंत्रण
ज्यादा बारिश के कारण अमरूद के बागों में कीड़े और बीमारियों के पनपने का खतरा बढ़ जाता है. ये फलों की क्वालिटी को खराब करते ही हैं, साथ ही पौधों की बढ़वार को भी रोकते हैं. फलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों की बात करें तो छाल खाने वाले कीड़े, फल छेदक, फल मक्खियां, शाखा छेदक आदि का प्रबंधन जैविक तरीके से करना उचित रहता है. इसलिये किसान पहले से ही नीम का कीटनाशक बनायें. किसान चाहें तो नीम के पत्तियों को उबालकर पानी बनायें और इसे बाग के सभी पेड़ों पर ठीक प्रकार से छिड़क दें. इसके अलावा, कीड़ों से संक्रमित फल को तोड़कर जमीन में दबा दें, टहनियों को काटकर फेंक दें और खराब छाल की कटाई-छंटाई का काम कर लें.
 
रोग नियंत्रण
बारिश में कीड़ों के साथ-साथ बीमारियां भी अमरूद के बागों को नुकसान पहुंचा सकती है. खासकर बारिश के मौसम में लगने वाली बीमारियों में उत्था रोग, तना कैंसर और स्टेम कैंसर आदि शामिल है. इन बीमारियों के अग्रिम समाधान के रूप में रोगग्रस्त टहनियों, पौधों और छाल को काटकर फेंक देना चाहिये. अमरूद की शाखाओं में स्टेम कैंसर की रोकथाम के लिये रोगग्रस्त शाखाओं को काटकर फेंक दें और इनमें कटाई वाले स्थान पर ग्रीस लगायें, जिससे बीमारी दूसरी टहनियों तक न पहुंचे. अकसर अमरूद के बागों में ज्यादा नमी के कारण फफूंदी रोग लग जाते हैं, इनके निदान के लिये विशेषज्ञों की सालहनुसार उचित प्रबंधन करें.




जल निकासी की व्यवस्था
अमरूद के बागों को समय पर पानी मिलना बेहद जरूरी है, लेकिन अधिक बारिश होने पर अमरूद के बागों में कमी के बढ़ने पर फफूंदी रोग लग सकते हैं. इस समस्या के निदान के लिये अमरूद के बागों में पहले से ही जल निकासी का प्रबंध करें और बाग को पहले ही ऊंचाई पर लगायें. अमरूद की बागवानी के लिये गहरी मिट्टी, अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट-चिकनी मिट्टी में ही बुवाई-रोपाई करें. शुरुआत से ही सावधानियां बरतने पर अमरूद के बागों से स्वस्थ उपज ली जा सकती है.


 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


 


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