Guar Cultivation: अच्छी पैदावार और बेहतरीन पशु चारे के लिये करें ग्वार की खेती, जानें इसका किफायती तरीका
Guar Pulse Production: ये कम लागत वाली फसल है, जिसे कम पानी वाले इलाकों में लगाने पर भी बेहतर उत्पादन मिल सकता है.
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Guar Pods Farming: दलहनी फसलों में कम पानी में बेहतर उत्पादन देने वाली नकदी फसलों की सूची में ग्वार का नाम आता हैं. खेती के साथ-साथ फूड़ प्रोसेसिंग के उद्देश्य से ग्वार का बड़ा महत्व है. इसे कम लागत वाली फसल इसलिये भी कहते हैं क्योंकि इसकी खेती के लिये अलग से खाद-पानी की जरूरत नहीं होती. ये कम पानी और असिंचित इलाकों में भी उतनी ही अच्छी उपज देती है. इसकी जड़े काफी जल्द पानी सोख लेती हैं, जिसके चलते इसके सूखारोधी दलहनी फसल भी कहते हैं. भारत में इसकी खेती पशु चारे के उद्देश्य से भी की जाती है. किसान भाई चाहें तो गर्म और कम पानी इलाकों में इसकी खेती के जरिए अच्छा उत्पादन और दोहरी आमदनी ले सकते है.
खेत की तैयारी
जून-जुलाई का महीना ग्वार की फसल लेने के लिये सबसे बेहतर रहता है. इसलिये सबसे पहले खेतों की तैयारी शुरु करें.
- जमीन में 3-4 गहरी जुताईयां लगाकर खपरतवारों को खेत के बाहर फेंक दें और मिट्टी का सौरीकरण होने दें.
- आखिरी जुताई से पहले बारिश होने दें और खेत में 20-25 किग्रा.सड़ी गोबर की खाद मिट्टी को पोषण प्रदान करें.
- जुताई के बाद खेत में पाटा चलाकर समतलीकरण का काम करें.
- बारिश के समय ग्वार की फसल में जल भराव को रोकने के लिये जल निकासी की व्यवस्था कर लें.
ग्वार की किस्में
ग्वार की खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिये इसकी उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें. ग्वार की अच्छी क्वालिटी की किस्मों में आरजीसी-936, आरजीसी 1002, आरजीसी-1003, आरजीसी-1066,आरजीसी 1017, आरजीएम 112,आरजीसी 1038, आरजीसी 986 और एचजीसी 563, एचजी-365, जीसी-1 आदि शामिल हैं.
बिजाई और सिंचाई
ग्वार की बुवाई के लिये जून-जुलाई का समय ठीक रहता है. ऐसे में एक हैक्टेयर खेत में ग्वार की बिजाई के लिये कम से कम 15-20 किलोग्राम बीज लेकर बीजोपचार का काम कर लें. ग्वार की बुवाई कतारों में करें. हर लाइन के बीच 30 सेमी. की दूरी और हर पौधे के बीच 10 सेंमी. का फासला रखें. बुवाई के तुरंत बाद खेत में हल्की सिंचाई का काम कर दें, जिससे फसल को अंकुरण में मदद मिल सके.
खरपतवार प्रबंधन
ग्वार की बुवाई के 20-25 दिन बाद ही खेत में बिना जरूरी पौधे नजर आने पर उन्हें उखाड़कर खेत से बाहर फेंक दें. खेत में हर 7-10 दिनों में निराई-गुड़ाई का काम करते रहें, जिससे पौधों की बढ़वार तेज हो सके. अमूमन ग्वार की फसल की सिंचाई बारिश पर निर्भर करती है, लेकिन कम बारिश होने पर शाम के समय हल्की सिंचाई का काम कर देना चाहिये.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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