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Kharif Crop season: सोयाबीन की खेती से बरसेगा पैसा ही पैसा, इस तकनीक से करें खेती

Soyabean Cultivation: अच्छी बारिश होने पर ही सोयाबीन की बुवाई का काम करें. इससे मिट्टी को पोषण और नमी मिलते ही है, साथ ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है.

Soyabean is The Source of Nutrition And Money: भारत सरकार देश के किसानों को तिलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है. अच्छी आमदनी देने वाली तिलहनी फसलों में सोयाबीन का नाम भी शामिल है. सोयाबीन खरीफ सीजन की अहम तिलहनी फसल है, जिसकी बुवाई जून से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक की जाती है. सोयाबीन कैल्शियम और आयरन का बेहतरीन स्रोत  होता है, जिसका प्रसंस्करण करके उसका तेल, दूध, पनीर, टोफू और बड़ियां बनाई जाती हैं. इसकी खेती मुख्यरूप से बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में की जाती है. 

सोयाबीन की उन्नत किस्में
किसी भी फसल की खेती के लिये सबसे ज्यादा जरूरी है उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव करना. ऐसा करने से अच्छी उपज तो होती ही है, साथ ही फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना भी कम हो जाती है. सोयाबीन की उन्नत किस्मों में एनआरसी 2 (अहिल्या 1), एनआरसी -12 (अहिल्या 2), एनआरसी -7 (अहिल्या 3) और एनआरसी -37 (अहिल्या 4) है। किसान चाहें तो सोयाबीन की नवीनतम विकसित किस्म एमएसीएस 1407 की बुवाई भी कर सकते हैं. ये किस्म कीटरोधी तो है ही, दूसरी किस्मों के मुकाबले उपज भी ज्यादा देगी.

खेत की तैयारी
सोयाबीन की बुवाई से पहले खेत में गहरी जुताई करनी चाहिये, जिससे मिट्टी का अच्छे से सौरीकरण हो जाये और कीड़े-मकोड़े बाहर निकल जायें. इसके बाद मिट्टी में जरूरत के अनुसार जैविक खाद और जैव उर्वरकों का इस्तेमाल करें और आखिरी जुताई काम करें. खेत में जल निकासी की भी व्यवस्था करें, जिससे बारिश होने पर जल-भराव की स्थिति पैदा न हो और पानी खुद ही बाहर निकल जाये. ध्यान रखें कि कम से कम 100 मिमी वर्षा होने पर ही फसल की बुवाई का काम करें. इससे मिट्टी को पोषण और नमी दोनों ही मिल जाती हैं, और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है. 

बीज की बुवाई
खेत की तैयारी के बाद बुवाई का काम करें. बीजों को खेत में बोने से पहले बीजोपचार का काम भी कर लें, इससे फसल में कीट और रोगों की संभावना कम हो जाती है और किसानों को स्वस्थ फसल प्राप्त होती है. छोटे दाने वाली सोयाबीन की बुवाई के लिये एक हैक्टेयर जमीन में करीब 60-70 किलोग्राम बीज दर का प्रयोग करें. बड़े दाने वाली सोयाबीन के लिये 80-90 ग्राम बीजदर का इस्तेमाल कर सकते हैं. सोयाबीन की बुवाई कतारों में करें, जिससे निराई-गुड़ाई करने में आसानी हो सके और जल निकासी भी हो जाये. 

सिंचाई  और कटाई
सोयाबीन की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन अगर फली बनते समय तापमान बढ़ जाता है तो शाम के समय हल्की सिंचाई का काम कर दें. कटाई से 8-10 दिन पहले सिंचाई का काम बंद कर दें. हालांकि सोयाबीन की फसल 50-145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. जब इसकी पत्तियां पीली पड़ जायें और फलियों में 15% नमी हो तब इसकी कटाई का काम कर लें.

 

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