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Dragon Fruit Cultivation: विदेशी बाजारों में बढ़ी भारत के ड्रैगन फ्रूट की मांग, गर्म-रेतीली मिट्टी में उगाकर कमायें बंपर मुनाफा

India Export Dragon Fruits: कोरोना महामारी के दौरान ड्रेगन फ्रूट बढ़ती मांग के चलते भारत के किसानों ने भी इसकी खेती में खास रुचि दिखाई है.

Dragon Fruit In India: पहले देश में बागवानी फसलों की खेती के लिये परंपरागत विधि अपनाई जाती थी, जिसमें उत्पादन तो अच्छा मिलता था, लेकिन बदलते मौसम और बेमौसम बारिश से फसलों के खरीब होने का खतरा बना रहता था. अब किसानों द्वारा खेती की उन्नत तकनीक अपनाने से उपज तो बेहतर होती ही है, साथ ही विदेशी बाजारों में भी भारत के फल और सब्जियों की  मांग बढ़ती जा रही है. नमें से कुच बागवानी फसलों के लिये उपजाऊ जमीन की जरूरत नहीं होती. हम बात करें ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में. अभी तक ड्रैगन फ्रूट को थाईलैंड, वियतनाम, इजरायल, श्रीलंका और अमेरिका जैसे देशों में उगाया जा रहा था. लेकिन अब तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक के साथ-साथ महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के गर्म, रेतीले और कम पानी वाले इलाकों में इसकी उन्नत खेती की जा रही है. 

विदेशों में बढ़ी मांग
ड्रैगन फ्रूट मूल रूप से भारतीय फल नहीं है, लेकिन कमलम (कमल जैसा दिखने वाला) के नाम से मशहूर इस फल को भारत के ज्यादातर इलाकों में उगाकर से विदेशों में निर्यात किया जा रहा है. दरअसल ड्रैगन फ्रूट की खेती रेतीली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी के अलावा कम उपजाऊ मिट्टी में भी हो सकती है. भारत के ज्यादातर इलाकों की मिट्टी और जलवायु इसकी खेती बढ़िया रहती है. ड्रेगन फ्रूट में फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटी ऑक्सीडेंट जैसे भरपूर पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो तनाव, डायबिटीड,  इंफेक्शन और कोरोना वायरस जैसी बीमारियों को दूर कर इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद है. कोरोना महामारी के दौरान इसकी बढ़ती मांग को देखते हुये भारत के किसानों ने भी इसकी खेती करना शुरु कर दिया है.

कैसे करें खेती
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिये सिर्फ 1 एकड़ जमीन पर 1700 पौधे लगाकर शुरुआत कर सकते हैं. ठीक प्रकार से बुवाई और रोपाई करने पर इसके बागों से दूसरी साल में फल मिलना शुरु हो जाते हैं. सही तकनीक से खेती करने पर ड्रैगन फ्रूट के सिर्फ एक ही पौधे से 50-60 फल मिल सकते हैं, जिसमें एक फल का वजन ही 400 ग्राम होता है. इस तरह से सही तकनीक और देखभाल करके एक एकड़ बाग से करीब 10 टन का उत्पादन और 10 लाख की आमदनी हो सकती है. इसके बाग लगाने के लिये मार्च-जुलाई तक का समय सबसे बेहतर माना जाता है. मार्च में बुवाई-रोपाई करने पर ड्रैगन फ्रूट के पौधे में मई-जून तक फूल और दिसबंर तक तेजी से बढ़वार होने लगती है. 

लागत और आमदनी
पोषण से भरपूर विदेशी फल होने के कारण बाजार में एक ड्रैगन फ्रूट को 200-250 रुपये की  कीमत पर बेचा जा रहा है. बेशक!  शुरुआत में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने पर थोड़ा खर्च आता है, लेकिन दूसरे साल में ही इसके फलों को बेचकर कम से कम 10 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है. विशेषज्ञों की मुताबिक, सही तकनीक से ड्रैगन फ्रूट की बुवाई-रोपाई करने पर इसके पौधे हर सीजन में 3 बार फल देते है. इस तरह इसके बागों से अगले 25 साल तक मोटी आमदनी होती रहती है. हालांकि, हर साल खाद, उर्वरक, पोषक तत्व, कीट-रोग और खरपतवारों से देखभाल में प्रबंधन का खर्च आता है. लेकिन बिक्री के बाद कमाई बढ़कर दोगुना और लागत वसूल हो जाती है.

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