Carrot Farming: गाजर की बुवाई से पहले जरूर जान लें इन बारीकियों के बारे में, जल्द करवायें मिट्टी की जांच
Carrot Cultivation: गाजर की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये जरूरी है कि उन्नत किस्म के बीजों के साथ-साथ मिट्टी की जांच भी कराई जाये.
Preaparation and precaurion for Carrot Farming: विदेशों में भी भारतीय फल-सब्जियों की खेती का रकबा और मांग बढ़ती जा रही है, जिसके चलते किसान भी अच्छी किस्म की सब्जियों उगाने में रुचि दिखा रहे हैं. किसी भी फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये पहले से ही खेतों को तैयार करना फायदेमंद रहता है. खेतों को तैयार करने से मिट्टी को सही समय पर सही मात्रा में पोषण और किसानों का काम भी आसान हो जाता है. फिल्हाल बारिश के बाद कई फसलों की बुवाई और रोपाई का काम पेंडिंग पड़ा है. किसान चाहें समय की बचत करते हुये बीजों की खरीद से लेकर खेतों में तैयारी का काम अभी से शुरु कर सकते हैं.
हम बात करें है गाजर की खेती के बारे में. बीटा कैरोटीन, विटामिन-ए, प्रोटीन, मिनिरल्स और दूसरे पोषक तत्वों से भरपूर गाजर को भारत में बड़े चाव से खाया जाता है. सिर्फ इंसानों के लिये ही नहीं, पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य और अच्छे दूध उत्पादन के लिये गाजर और इसका चारा खिलाने की सलाह दी जाती है. इसलिये उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा के किसान बड़े पैमाने पर गाजर की खेती करते हैं.
बीजों का चुनाव
गाजर की फसल से अच्छा उत्पादन हासिल करने के लिये जरूरी है कि उन्नत बीजों का ही चुनाव करें. भारत में गाजर की यूरोपियन और एशियाई किस्मों की काफी खपत है. गाजर की उन्नत यूरोपियन किस्मों में अर्ली नैन्टस और पूसा यमदाग्नि शामिल है, जिनसे एक हैक्येर खेत में करीब 200-250 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है. इस किस्म की गाजर लंबी जड़ों वाली और नारंगी रंग की होती है. वहीं दूसरी तरफ गाजर की एशियाई किस्मों में पूसा मेघाली, पूसा केशर और गाजर- 29 काफी पसंद की जाती हैं, जो यूरोपियन किस्मों से ज्यादा यानी 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयरतक उपज देती हैं. बता दें कि एक हैक्टेयर जमीन पर गाजर की खेती के लिये करीब 6-8 किग्रा बीज की जरूरत होती है.
खेत की तैयारी
गाजर की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये जरूरी है कि बीज के साथ-साथ मिट्टी की जांच करा ली जाये. मिट्टी की जांच करवाने पर जानकारी हो जायेगी कि फसल में किन पोषण तत्वों को किस मात्रा में इस्तेमाल करना है. इससे सही मात्रा में खाद और उर्वरक डालकर मिट्टी की जरूरतों को भी पूरा किया जा सकता है और फालतू के खर्च भी रोके जा सकते हैं.
- मिट्टी की जांच के बाद सबसे पहले मिट्टी वाले हल और देसी हल 3-4 गहरी जुताईयां करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें.
- आखिरी जुताई से पहले खेत में गोबर की सड़ी खाद या कंपोस्ट खाद डालकर मिट्टी को पोषण प्रदान करें.
- आखिरी में पाटा चलाकर खेत में समतलीकरण का काम कर लें.
- जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट मिट्टी को गाजर की खेती के लिये सबसे बेहतर माना जाता है.
- किसान चाहें तो गाजर की जैविक खेती करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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