jackfruit Gardening Technique: भारत में ऐसी कई सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है, जो स्वाद और सेहत के साथ-साथ किसानों के लिये बेहतरीन आमदनी का जरिया बन जाती है. जी हाँ! हम बात कर रहे हैं शाकाहारियों के चिकन के नाम से मशहूर कटहल के बारे में. कटहल दुनिया का सबसे बड़ा फल है जो एक ही बार की बुवाई में किसानों को कई साल तक मोटी कमाई करके देता है. इसमें मौजूद आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, सी, और पौटेशियम समेत दूसरे पोषक तत्वों के कारण इसकी मांग सालभर बाजार में बनी रहती है.


जानकारी के लिये बता दें कि कटहल का पेड़ साल में दो बार फल देता है. इसकी खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के कई राज्यों में की जाती है। लेकिन कई किसान कटहल के पेड की सही देखभाल नहीं कर पाते, जिससे फल का उत्पादन प्रभावित होता है. इसलिये आज कटहल की बागवानी करते समय सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे.


कटहल की नर्सरी 



  • कटहल की नर्सरी तैयार करने के लिये बड़े गमले  या पॉलीबैग का इंतजाम करें.

  • गमले या पॉलीबैग में 80 फीसदी खेत की मिट्टी और 20 फीसदी गोबर की सड़ी या कंपोस्ट खाद भर दें.

  • अब पके हुये कटहल से बीज निकालें और गमले में 2 इंच गहराई में मिट्टी और खाद के बीच दबा दें.

  • बीज की बुवाई के बाद इसमें हल्की सिंचाई का काम कर दें.

  • बता दें कि कटहल के बीज से पौधा बनने में 7-10 दिन का समय लगता  है.

  • पौधे में 3-4 पत्तियां निकलने लगे तो इसकी रोपाई खेत में कर सकते हैं

  • किसान चाहें तो कटहल की खेती के लिये ग्राफ्टिंग विधि भी अपना सकते हैं. 


कटहल की बुवाई 



  • वैसे तो कटहल के लिये सभी मिट्टियां अच्छी रहती हैं, लेकिन जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी से इसका अच्छा उत्पादन लिया जाता है.

  • इसकी रोपाई के समय नमी और तेज गर्मी दोनों की जरूरत होती है, इसलिये जून से लेकर सिंतबर तक इसकी रोपाई कर देनी चाहिये.

  • कटहल के पौधों की रोपाई से पहले खेत तैयार कर लेने चाहिये

  • सबसे पहले खेत में एक से दो गहरी जुताईयां करके खेत को पाटा चलाकर समतल कर लें.

  • अब खेत में 10-12 मीटर की दूरी पर 1 मी. व्यास और 1 मी. गहराई वाले गड्ढे खोद लें और कुछ समय तक इनमें सौरीकरण होने दें.

  • इसके बाद 20-25 किग्रा. गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट खाद, 250 ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट, 500 म्युरियेट आफ पोटाश, 1 किग्रा. नीम की खली और 10 ग्रा. थाइमेट आदि को खोदी गई मिट्टी में मिलाकर गड्ढों में भर दें

  • गड्ढों में पौधों की रोपाई करके हल्की सिंचाई का काम कर दें.


कटहल के बाग की देखभाल



  • कटहल के पौधों में रोपाई के बाद सबसे पहली सिंचाई की जाती है. इसके बाद हर 15-20 दिन में कटहल के बागों में सिंचाई काम कर लेना चाहिये.

  • बारिश के मौसम में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. कटहल की पौधों में फूल आने पर भी सिंचाई का काम बंद कर देना चाहिये.

  • कटहल के बागों से अच्छा उत्पादन लेने के लिये पौध के चारों तरफ साफ-सफाई रखें.

  • समय-समय पर निराई-गुड़ाई करके खरपतवार नियंत्रण का काम भी कर लेना चाहिये.

  • औषधीय पौधा होने के कारण कटहल में कीड़े और बीमारियों की संभावना नहीं रहती है. लेकिन परिस्थितियों के मद्देनजर नीम के कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं.


 


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