Laddakh Agriculture: देश के ज्यादातर इलाकों में अक्टूबर-नवंबर आते ही सर्दियों का भी आगाज हो जाता है. उत्तर भारत में दिसंबर आते-आते शीतलहर और गलन हो जाते हैं. खेतों में कोहरा-पाला पड़ने लगता है. बिना मौसम की परवाह किए किसान भी अपने खेतों में कृषि कार्य करते रहते हैं, ताकि परिवार की आजीविका चल सके और देश की खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित हो. दिसंबर-जनवरी के बीच सर्दियां अपने चरम पर होती है. कई इलाकों में ओले और बर्फबारी होती है, तापमान लगभग जीरो पर पहुंच जाता है.


लद्दाख जैसे इलाकों में तापमान माइनस में होता है. इस तापमान में जीवन कितना बेहाल हो जाता होगा, आप खुद सोच कर देखें, लेकिन मौसम की इन चुनौतियों के बावजूद लद्दाख के किसान बिना किसी आराम के सब्जियां उगा रहे हैं.


ये उनके परिवार का पेट भरने के लिए भी जरूरी हो गया है. अच्छी बात यह है कि किसान माइनस तापमान में भी कंफर्टेबल होकर खेती कर रहे हैं. ये कोई अजूबा नहीं है, बल्कि किसानों की इच्छाशक्ति और डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च की नायाब तकनीक 'सोलर ग्रीनहाउस है, जिसने बर्फीले तापमान के बीच खेती-किसानी को कई गुना आसान बना दिया है.


माइनस तापमान में भी खेती
उत्तर भारत में ही सर्दियां कंपकंपाहट पैदा कर देती हैं, फिर लद्दाख में क्या हाल होगा. आपको बता दें कि लद्दाख में इन दिनों तापमान जीरो या माइनस चला जाता है, जहां कुछ भी उगाना संभव नहीं है. मौसम बर्फीला हो जाता है, जिसके चलते सारे रास्ते बंद हो जाते हैं. ऐसे में वहां रहने वाले परिवारों के लिए खाद्य आपूर्ति भी सुनिश्चित करनी होती है.


गांव कनेक्शन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लद्दाख के खालसी गांव में रहने वाले 50 साल के किसान रिंचा अंगचुक भी कुछ ऐसी ही चिंताओं से जूझ रहे थे. सर्दियों के सीजन में कई दिनों तक इस किसान के परिवार को खाद्यान्न और पौष्टिक सब्जियों की आपूर्ति के लिए संघर्ष करना पड़ता था. बाहर से जो सब्जियां गांव में आती थीं, उनके भाव काफी अधिक होते थे, जिन्हें खरीदना लगभग नामुमकिन हो जाता था. बर्फवारी होती रहती है, इसलिए कुछ भी उगाना मुमकिन नहीं था.


तब ही रिंचा अंगचुक को सोलर ग्रीन हाउस के बारे में जानकारी मिली. एक ऐसा संरक्षित ढांचा, जिसमें मौसम की परवाह किए बिना सब्जियां उगा सकते हैं. इसकी उपलब्धता के लिए रिंचा अंगचुक ने जुलाई 2021 में कृषि विभाग से भी संपर्क किया और सरकार की मदद से 18 x 32 फीट का सोलर ग्रीनहाउस लगवा लिया, जिसमें आज पालक, फूलगोभी, धनिया जैसी तमाम सब्जियों का खूब उत्पादन मिल जाता है. इन सब्जियों से घरेलू खाद्य आपूर्ति हो रही है, बाजार में भी कुछ सब्जियां बेचकर रिंचा अंगचुक ने 40,000 रुपये की आय ली है.


800 लद्दाखी किसानों ने लगवाए सोलर ग्रीनहाउस
गांव कनेक्शन की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 2साल में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के करीब 800 से ज्यादा किसानों ने सोलर पावर हाउस स्थापित किए हैं, जो नवंबर से लेकर फरवरी के कड़कड़ाती ठंड के मौसम में भी किसानों की आजीविका सुनिश्चित कर रहे हैं. इस इनोवेशन के बारे में लद्दाख के मुख्य कृषि अधिकारी शकील अहमद बताते हैं कि सोलर ग्रीनहाउस में अब किसानों की रुचि तेजी से बढ़ रही है.


इस बनवाने के लिए पॉलीकार्बोनेट शीट्स, दरवाजों और खिड़कियों में आने वाला खर्च कृषि विभाग उठाता है. सरकार की तरफ से इसकी स्थापना के लिए 70% की सब्सिडी दी जा रही है. उन्होंने बताया कि अगले साल तक लद्दाख में 1,000 सोलर ग्रीनहाउस की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित हुआ है.


इस तकनीक से मुमकिन हुआ काम
माइनस तापमान में भी खेती-किसानी को मुमकिन बनाने वाली आधुनिक तकनीक सोलर ग्रीनहाउस पर साल 2014 में ही काम चालू हो गया था. इस प्रोजेक्ट पर डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च (DIHAR) के वैज्ञानिकों ने खूब मेहनत की.


साइंटिस्ट कम्यूनिटी का एक ही लक्ष्य था कि ये सर्दियों में पारंपरिक ग्रीनहाउस की तुलना में ज्यादा बेहतर ढंग से काम कर सके, क्योंकि जब तापमान जीरो या माइनस में चला जाए तो ग्रीनहाउस में भी कंपकपी पैदा हो जाती है. ऐसे में सोलर ग्रीनहाउस के अंदर सूरज की रौशनी से तापमान में  गर्माहट बनी रहती है.



  • इस सोलर ग्रीनहाउस ढांचे में पॉलीकार्बोनेट शीट लगी है, जो बाहर के सर्द तापमान में भी अंदर का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक मेंटेन करती है.

  • इसमें लगी चादरें लाइट ट्रांसमिशन के जरिए थर्मल इन्सुलेशन प्रदान करती हैं. इसी से विपरीत मौसम में भी ग्रीनहाउस प्रतिरोधी की तरह काम करता है.


कितना खर्चा आता है?
लद्दाख में सोलर ग्रीन हाउस की स्थापना को लेकर मुख्य कृषि अधिकारी अहमद बताते हैं कि पारंपरिक ग्रीनहाउस-पॉलीहाउस को स्थापित करने में 50,000 रुपये का खर्च आ जाता है, जबकि 18 x 32 फीट के सोलर ग्रीनहाउस को लगाने में 2.5 लाख रुपये और 60 x 24 फीट के सोलर ग्रीनहाउस में 4 लाख रुपये की लागत आ जाती है.


सौर ऊर्जा चलित इस संरक्षित ढांचे में सब्जियों की खेती के लिए कृषि विभाग की ओर से ट्रेनिंग भी दी जाती है. अब इसे किसानों को सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाया जा रहा है, जिससे किसान परिवार विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ अच्छी आजीविका कमा रहे हैं.


इससे किसानों को आत्मनिर्भर बनने में भी खास मदद मिली है. DIHAR, लद्दाख ने साल 2018 में इस आधुनिक मॉडल को तैयार किया और कृषि विभाग के सुपुर्द कर दिया. आज कृषि विभाग द्वारा सरकार के सहयोग से किसानों को सोलर ग्रीनहाउस बेहद रियायती दरों पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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