जैविक खेती को बढ़ाने के लिए क्या है Organic Cooperative की प्लानिंग? यहां पढ़ें लेटेस्ट अपडेट
Organic Farming: बीते दिनों नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड को केंद्र की मंजूरी मिली. अब इसके अमूल और नाफेड जैसी संस्थाएं भी इसके विकास-विस्तार के लिए प्रमोटर के तौर पर शामिल होने जा रहे हैं.
Organic Cooperative: कृषि के बेहतर भविष्य के लिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. आज देश के कई इलाकों में किसानों ने अपनी खेती को पूरी तरह से जैविक रूप दे दिया है. बिना किसी कैमिकल के अब खेती से जैविक उत्पादन मिलने लगा है. विदेशी बाजारों में भी भारतीय जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है, लेकिन आज भी कुछ किसान जैविक उत्पादों को बेचकर सही मुनाफा नहीं ले पा रहे. यही वजह है कि किसानों को सहकारी समितियों (Cooperative Societies) से जोड़ा जा रहा है. सरकार का मानना है कि सहकारिता के जरिए किसानों तक सीधा लाभ पहुंचाया जा सकता है. ये सहाकारी समितियां किसानों को अतिरिक्त आय लेने में मदद करती हैं.
हाल ही में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर की जैविक सहकारी समिति (National Level Organic Cooperative Society) को मंजूरी दी है. इसके तहत जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण, भारत और विदेश में मांग और खपत की क्षमता को बढ़ाना, ब्रांडिंग से लेकर बाकी सारे काम शामिल हैं, जिनसे किसानों की आय को बढ़ाया जा सके.
ताजा अपडेट के मुताबिक, अब इस नेशनल ऑर्गेनिक कोऑपरेटिव लिमिटेड (NOCL) को 5 संस्थाएं मिलकर प्रमोट करेंगी. इन संस्थाओं में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ( GCMMF- Amul), नैफेड(NAFED), एनसीसीएफ, एनडीडीबी और एनसीडीसी भी शामिल है.
खुद ब्रांड बनाएगी नेशनल ऑर्गेनिक कोऑपरेटिव लिमिटेड
नेशनल ऑर्गेनिक कोऑपरेटिव लिमिटेड के एक अधिकारी ने बताया कि अपनी सहकारी समितियों के सहयोग के साथ ऑर्गेनिक कोऑपरेसिव उन जैविक उत्पादों की चेन का मैनजमेंट करेगा, जिनका उत्पादन सहकारी समिति और संबंधित संस्थाओं के तहत हुआ है.
इसके लिए अमूल के स्वामित्व वाली GCMMF के ब्रांड और मार्केटिंग नेटवर्क की मदद से अलग-अलग कमर्शियल मॉडल स्थापित किए जाएगा. आगे चलकर फिर नेशनल ऑर्गेनिक कोऑपरेटिव लिमिटेड भी अपना खुद का भी ब्रांड स्थापित करेगा, जिसके जरिए जैविक उत्पादों के लिए तकनीकी गइडेंस, ट्रेनिंग और कैपिसिटी डेवलपमेंट के लिए एक सिस्टम निर्माण होगा.
साथ में जैविक उत्पादन को बढ़ाने के लिए सामूहित खेती और जैविक खेती का भी ऑबजर्वेशन करेगा, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती रहे. अधिकारी ने यह भी बताया कि बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत गठित होने वाली जैविक उत्पादों के लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समिति के पास 500 करोड़ रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी होगी, जिसकी शुरुआत पेड-अप शेयर पूंजी 100 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है.
इसके लिए 5 कोऑपरेटिव बॉडी मिलकर 20-20 करोड़ का निवेश करेंगी, जिससे पूंजी बढ़ाई जाएगी. नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ही NOCL का मेन प्रमोटर होगा. इसका हेडक्वार्टर गुजरात के आनंद में बनाया जाना है.
किसानों को पूरी स्वतंत्रता देगी सहकारी समिति
मीडिया रिपोर्ट में व्यापार नीति विशेषज्ञ एस. चंद्रशेखरन ने बताया कि केंद्र सरकार की प्रस्तावित जैविक सहकारी समिति एक संतुलन स्थापित करेगी, ताकि किसानों को पूरी आजादी मिल सके. एक डेटा से पता चला है कि भारत के 27 लाख हेक्टेयर पर जैविक खेती की जा रही है और इसी के साथ भारत पूरी दुनिया में चौथे पायदान पर है. सर्टिफाइड ऑर्गेनिक सेक्टर का सालाना टर्नओवर 27,000 करोड़ रुपये है, जिसमें 7,000 करोड़ का एक्सपोर्ट भी शामिल किया गया है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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