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Purple Revolution: लैवेंडर की खेती से बदली कश्मीर के किसानों की किस्मत, ट्रेनिंग और सब्सिडी के बाद हो रही है बंपर कमाई
Lavender Farming: कश्मीर में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिये अरोमा मिशन चलाया जा रहा है, जिसके तहत पर्पल रिवोल्यूशन स्कीम से जुड़कर 5000 कश्मीरी किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
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lavender Cultivation in Kashmir: कहते हैं कि अगर धरती पर कहीं जन्नत है, तो वो जम्मू-कश्मीर में है. बेशक, कुछ समय के लिये ये स्वर्ग आतंकवाद के संघर्ष में कहीं खो गया था, लेकिन बीते कई वर्षों तक अमन और विकास के लिये कश्मीरी युवा और किसान अब तरक्की की राह पर चल पड़े हैं. अब केंद्र सरकार की ओर से भी कश्मीर के युवा और किसानों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिये कई योजनायें लागू की है, जिनसे जुड़कर कश्मीरी किसान और युवा कम खर्च में ही अच्छी आमदनी कमाकर यहां की खूबसूरती को बढ़ा सकते हैं. हम बात करें हैं कश्मीर में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने वाले अरोमा मिशन के बारे में, जिससे जुड़कर कश्मीर के 5000 किसान अच्छी आमदनी के साथ बेहतर जीवन जी रहे हैं.
क्या है अरोमा मिशन
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में खुशबूदार फूलों की खेती के लिये साल 2016 में अरोमा मिशन की शुरुआत की, जिससे कश्मीर के ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षण देकर पर्पल रिवोल्यूशन योजना से भी जोड़ा जाता है. इस योजना के तहत कश्मीर के कृषि विभाग द्वारा लैवेंडर की खेती के लिये सही ट्रेनिंग से लेकर, पौधों की खरीद में सब्सिडी, खाद-उर्वरक और उपज की बिक्री में मदद दी जाती है. इस योजना के तहत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटेगरेटिरेटिव मेडिसिन द्वारा 2500 किसानें को ट्रेनिंग भी दी गई है, जिसके बाद कश्मीर की 200 एकड़ जमीन पर लैवेंडर की खेती की जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक लैवेंडर की मार्केटिंग के लिये कश्मीर के कृषि विभाग ने एक्सटेंशन विंग भी बनाया है, जिससे किसान बिना चिंता के अपनी फसल को बेच सकेंगे.
कैसे होती है लैवेंडर की खेती
लैवेंडर एक यूरोपियन फूल की खुशबूदार-औषधीय किस्म है, जिसका इस्तेमाल दवाईयों से लेकर तेल, कॉस्मेटिक्स, अगरबत्ती, साबुन और रूम फ्रेशनर बनाने में किया जाता है. लैवेंडर को कम सिंचाई वाले बंजर खेत में भी उगाया जा सकता है. कश्मीर में नवंबर के महिने में इसका पौधारोपण किया जाता है, जिसके बाद जून-जुलाई के दौरान 30-40 दिनों के लिये फूल की उपज मिल जाती है. किसान चाहें तो लैवेंडर की सह-फसली खेती भी कर सकते हैं. कम पानी में भी इसकी खेती करने पर अगले 10-12 साल तक मोटी आमदनी हो जाती है. इसकी प्रोसेसिंग करके किसान कई गुना ज्यादा पैसा कमा सकते हैं.
लागत और आमदनी
अरोमा मिशन में पर्पल रिवोल्यूशन योजना के तहत लैवेंडर की खेती के लिये कश्मीर के कृषि विभाग की ओर से किसानों को ट्रेनिंग के बाद सब्सिड़ी पर पौधे मुहैया करवाये जाते हैं. करीब एक हैक्टेयर जमीन पर लैवेंडर की खेती के जरिये 4-5 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है, जिसमें आगे चलकर सिर्फ रख-रखाव और कटाई पर ही खर्च करना पड़ता है. विशेषज्ञों की मानें तो एक हैक्टेयर से निकली फूलों की उपज से करीब 40-50 किग्रा तेल निकाला जाता है. बाजार में लैवेंडर के तेल को 20,000-30,000 रुपये प्रति किग्रा. की कीमत पर बेचा जाता है. इस प्रकार एक हैक्टेयर जमीन पर इसकी खेती और प्रसंस्करण के जरिये किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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