Integrated Farming: किसानों की आय बढ़ाने और खेती की लागत को कम करने के लिये लगातार नये-नये उपाय सुझाये जा रहे हैं. ये किसानों की जिम्मेदारी है कि खेती में खर्चो को कम करके आमदनी बढ़ाने वाले उपायों की खोज करें. इस मामले में कृषि विशेषज्ञ ऐसी फसलों की खेती करने की सलाह देते हैं, जो ज्यादा टिकाऊ और अच्छी आमदनी देने वाली हों. बांस की खेती भी ऐसा ही जरिया है, जिसके साथ दूसरी फसलों की खेती करने पर आमदनी दोगुना हो जाती है. जी हां, हल्दी और अदरक की फसल (Ginger & Turmeric Farming) के साथ मेड़ों पर बांस की खेती करने पर कई गुना लाभ मिल सकता है. इतना ही नहीं, बांस की खेती (Bamboo Farming) के लिये केंद्र सरकार भी आर्थिक अनुदान (financial Grant)दे रही है, जिससे खर्च कम और आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी. पिछले कुछ समय में बांस की खपत भी काफी बढ़ गई है, ऐसे में बांस की सह-फसली खेती (Co-Cropping of Bamboo) करके अच्छी आमदनी हो सकती है.
खरीफ सीजन में उगायें बांस
वैसे तो बांस एक सदाबहार फसल है, जिस पर किसी मौसम का कोई असर नहीं होता, लेकिन इसकी रोपाई के लिये जुलाई यानी मानसून का समय सबसे बेहतर रहता है. इसकी खेती से अच्छी आमदनी लेने के लिये जरूरी है कि इसकी उन्नत किस्मों का ही चुनाव किया जाये.
- दुनिया भर में बांस की 136 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन 10 प्रजातियों की खपत ही सबसे ज्यादा होती है.
- भारत में बांस की दो प्रजातियां ही सबसे ज्यादा उगाई जाती हैं, जिसमें बैम्बुसा एरुण्डीनेसीया और दूसरी डेन्ड्रोकैलामस स्ट्रीक्ट्स किस्म शामिल है.
- इसकी रोपाई के लिये पौधे नर्सरी बनाकर तैयार करने चाहिये. किसान चाहें तो किसी प्रमाणित नर्सरी से खरीदकर भी रोपाई कर सकते हैं.
- इसकी अच्छी बढ़वार के लिये समय-समय पर कटाई-छंटाई की जरूरत पड़ती रहती है.
- एक बार रोपाई करने पर पहली फसल 3-4 साल में फसल तैयार हो जाती है.
- बांस के साथ ऐसी फसल की खेती करना फायदेमंद रहता है, जो छायादार इलाके में अच्छा उत्पादन देती हैं.
- किसान चाहें तो बांस के साथ अदरक और हल्दी की सह-फसली खेती भी कर सकते हैं.
- बंजर जमीन को हरियाली से भरने के लिये बांस की खेती मिसाल के तौर पर काम करती है.
लागत और आमदनी
बांस की खेती (Bamboo farming) के लिये शुरुआती लागत का बड़ा पौधों की खरीद पर खर्च होता है. बांस का एक पौधा (Bamboo Nursery) लगाने पर 240 रुपये की लागत है, जिसमें कई राज्य सरकारें 120 रुपये प्रति पौधा के हिसाब से सब्सिडी दे रही है. अगर आमदनी की बात करें तो एक बार बांस की फसल लगाने पर अगले 10 साल तक फायदा मिलता है और हर 4 साल में इसकी कटाई के बाद 10 लाख तक की आमदनी हो सकती है.
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