Women farmers are Dignity of Indian Agriculture: किसान! ये नाम अपने आप में ही अपने कामों की कहानी कहता है. किसान वह है जो खून-पसीने से धरती को सींचते हैं. बारिश हो, गर्मी हो या सर्दी हर मौसम के आगे किसान निडर खड़े रहते हैं. सिर्फ खेती ही नहीं पशुपालन, मछलीपलन, मधुमक्खी पालन भी अब किसानों के काम बन गये हैं. खासकर जब बात किसान महिला की हो वे समाज की बेडियों को तोड़ते हुये खेती के साथ पारिवारिक जिम्मेदारियां भी उठाती हैं. इसलिये आज हम आपको उन महिला किसानों की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में नये बदलाव किये, दूसरी महिलाओं को अपने साथ जोड़ा और खेती-किसानी के जरिये नाम कमाया. बता दें कि आज के युवाओं भी इन महिलाओं से प्रेरणा लेकर खेती कर रहे हैं-
राजकुमारी देवी
महिलाओं के प्रति समाज की सोच को तोड़ते हुये राजकुमारी देवी यानी किसान चाची आज लाखों महिलाओं के लिये प्रेरणास्रोत हैं. किसान चाची, गांव की वो महिला हैं जो घर का काम संभालने के साथ-साथ अपने पति के साथ खेत-खलिहान भी देखती हैं. इन्होंने खेती की शुरूआत तो पुराने तरीके से की, लेकिन आज नई तकनीकों से खेती करके लाभ कमा रही हैं. किसान चाची अपने खेत में उगी सब्जियों से अचार, जैम, चिप्स बनाकर भी देशभर में बेचती हैं और अपने गांव की महिलाओंको इसकी ट्रेनिंग भी देती है. समाज में महिलाओं के लिये मिसाल बनने वाली किसान चाची को भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा किया है.
जमुना टुडू
झारखंड की रहने वाली इस महिला किसान को 'लेडी टार्जन' के नाम से भी लोग जानते हैं. पूरा जीवन जंगलों के नाम समर्पित करने वाली जमुना टुडू दूसरी महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ा. पिछले 20 सालों से जमुना टुडू झारखंड के करीब 300 गांवों को 50 एकड़ से ज्यादा जंगल को एक नई उमंग प्रदान कर रही है. वन और पर्यावरण के संवर्द्धन और संरक्षण में उनका योगदान सराहनीय रहा है. झारखंड को और हरा-भरा बनाने के लिये सरकार ने इन्हें भी पद्मश्री पुरस्करा से सम्मानित किया है.
त्रिनिती सावो
मेघालय स्थित पश्चिम जयंतिया हिल्स की सफल महिला किसान कमला पुजारी को जैविक हल्दी की खेती करने के लिये जाना जाते है. ये खुद ही हल्दी की खेती नहीं करतीं बल्कि इन्होंने अपने आसपास के गांव की महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ा हुआ है. हल्दी के खेती के साथ उनका प्रसंस्करण करके ये महिलाओं को तो आत्मनिर्भर बना ही रही हैं, दूसरे किसानों को भी प्रोत्साहित कर रही हैं. इन्होंने हल्दी की जैविक खेती से देश-विदेश में नाम तो कमाया ही है, साथ ही 800 से ज्यादा महिला किसानों को ट्रेनिंग भी दी है. समाज में उनके इसी योगदान के लिये सरकार ने इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.
राहीबाई सोमा पोपेरे
इन्हें भारत की बीज माता भी कहा जाता है. महाराष्ट्र की रहने वाली राहीबाई सोमा पोपेरे ने अपने घर में ही देसी बीजों के संरक्षण करके बीज बैंक बनाया हुआ है. अपने बैंक में इकट्ठा किये गये बीजों को वे वैज्ञानिकों और किसानों को देती हैं, और बिना रसायनों वाली जैविक खेती करने करने के लिये 35,000 किसानों को ट्रेनिंग भी देती हैं. राहीबाई द्वारा सहेजे गये बीजों से आज 32 फसलों की खेती की जा रही है. खेती-किसानी में उनके इसी योगदान की सरकार ने सराहना की और उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया.
अमरजीत कौर
अमरजीत कौर को हरियाणा की किसान बेटी के नाम से जानते हैं. पिता के बिगड़ते स्वास्थ्य ने उन्हें खेती बाड़ी संभालने के लिये प्रोत्साहित किया है. अमरजीत कौर फसल की बुवाई से लेकर कटाई और बाजार में बेचने तक का सारा काम खुद ही करती हैं. वो ट्रेक्टर भी चलाती हैं और अपने परिवार की जिम्मेदारियां भी उठाती हैं. आज सिर्प हरियाणा में ही नहीं बल्कि देशभर के लोग अमरजीत कौर को लेड़ी किसान के नाम से जानते हैं.
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