Rain Update: आज के समय में खेती-किसानी पूरी तरह मौसम की महरबानी पर आधारित है. यदि मौसम अच्छा है तो खेत-खलिहान लहलहाएंगे. किसानों की झोलियां भी भर जाएंगी. वहीं अगर मौसम की चाल कुछ ठीक नहीं है तो किसानों को फसलों में नुकसान भी झेलना पड़ जाता है. देश के कई इलाकों में कड़ाके की सर्दी और पाले के कारण टेंशन दिख रही थी, लेकिन मंगलवार को हल्की-छिटपुट बारिश ने बड़ी चिंता से राहत प्रदान की है. खासतौर पर हरियाणा के कई इलाकों में पाले से फसलों में काफी नुकसान देखने को मिल रहा था, लेकिन इस बारिश ने गेहूं, चना और सरसों की फसल के लिए संजीवनी समान काम किया है.
अब फसलों की प्राकृतिक सिंचाई हो चुकी है तो किसानों को डीजल-बिजली फूंककर अलग से सिंचाई साधनों पर खर्च नहीं करना पड़ेगा. मौसम विभाग की मानें तो हिसार और जींद में हल्की बूंदाबांदी के बाद अभी 28-29 जनवरी को फिर से बारिश के आसार हैं.
यदि ऐसा है तो किसानों की सिंचाई की लागत बच जाएगी और फसलों की ग्रोथ भी तेजी से होगी. इसका बड़ा कारण है बारिश का पानी, जो भूजल से काफी अलग होता है. बारिश के पानी में लवण और कई तत्व मौजूद होते हैं, जो फसलों के विकास को गति प्रदान करते हैं.
सरसों की फसल को लाभ
मौसम भविष्यवाणी के मुताबिक, हरियाणा समेत कई राज्यों में 28 और 29 जनवरी को हल्की-छिटपुट बारिश की संभावना है. हरियाणा या इसके नजदीकी इलाकों में ओलावृष्टि नहीं होती, जिससे फसलें सुरक्षित तरीके से ग्रोथ करेंगी, हालांकि कई इलाकों में सरसों की फसल नष्ट हो गई है, जिसके लिए अब किसानों ने मुआवजे की मांग की है, लेकिन जो फसल पाले से बची हुई है, वहां हल्की बारिश से काफी लाभ होने वाला है.
गेहूं की बढ़ेगी पैदावार
वैसे तो तापमान में गिरावट का गेहूं की फसल पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ता. विशेषज्ञों ने गेहूं की फसल में शाम के समय हल्की सिंचाई करने की सलाह दी थी, लेकिन अब हल्की बारिश के बाद किसानों को अलग से मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.
एक्सपर्ट बताते हैं कि ये बारिश पाले के असर को कम कर देगी और सिंचाई में होने वाला डीजल और बिजली का खर्च भी बच जाएगा. अब खेती की लागत कम होगी और किसानों को बेहतर आय लेने में मदद मिलेगी.
ओलावृष्टि से खतरा
मौसम की अनिश्चितताओं का कुछ पता नहीं चलता. खरीफ सीजन की शुरुआत में मौसम की चाल ठीक ही थी, लेकिन लेट मानसून से जमकर निराशा बरसी और किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. इस बार भी किसान ओलावृष्टि को लेकर चिंता में हैं.
किसानों ने बताया कि खेती के लिए हल्की बारिश तो वरदान है, लेकिन यदि तेज हवा, आंधी, तेज बारिश या ओलावृष्टि हुई तो सारी मेहनत बेकार चली जाएगी, हालांकि मौसम विभाग ने ओलावृष्टि की संभावनाएं नहीं जताई है. बस 28 से 29 जनवरी के बीच हल्की बारिश के आसार हैं, जो फसलों की बेहतर ग्रोथ में मदद करेगी.
सरसों में नुकसान की होगी भरपाई
गन्ना के दाम बढ़ाने के बाद हरियाणा सरकार ने पाले से बर्बाद हुई फसलों की गिरदावरी करवाने के निर्देश जारी कर दिए हैं. अब 5 फरवरी से ग्राउंड पर सर्वे किया जाएगा. इसके काम के लिए पटवारियों का पे स्केल भी एक ग्रेड अपग्रेड कर दिया गया है.
बता दें कि पाले के कहर से सरसों के दाने पकने से पहले ही गलकर नष्ट हो गए हैं, जिससे हरियाणा में सरसों का उत्पादन घटने के आसार नजर आ रहे हैं. आपको बता दें कि हरियाणा देश का दूसरा बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है, जहां से सरसों का 13.33% उत्पादन मिलता है.
प्रति एकड़ से 8 से 10 क्विंटल उपज मिलती है, जिससे किसान 60,000 रुपये तक कमा लेते हैं, लेकिन अब कई इलाकों में भारी नुकसान झेलने के बाद किसानों ने 50,000 रुपये प्रति एकड़ के मुआवजे की मांग की है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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