Irrigation Data: आज हम अपने देश में खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए अन्नदाता बनकर उभरे हैं. खासतौर पर कोविड महामारी के हमने दूसरे देशों को सबसे ज्यादा खाद्यान्न आपूर्ति की है. ये कहा जा सकता है कि भारत एक बड़ी कृषि शक्ति बनकर उभर रहा है, लेकिन अभी-भी कृषि से जुड़े कई मामले ऐसे हैं, जिन पर काम करना बाकी है. ताजा आंकड़ों से पता चला है कि देश का एक बड़ा रकबा अभी भी असिंचित है यानी कई राज्यों के खेत-खलिहानों तक फसल उपजाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पहुंचा है. राज्य सभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने देश के सिंचित और असिंचित रकबे के साथ-साथ किस राज्य में बुवाई का रकबा कितना है आदि से जुड़ी जानकारी दी है.


 देश के कितने रकबे में पहुंचा सिंचाई का पानी
देश में सिंचाई की उपलब्धता को लेकर राज्यसभा में पूछे गए सवाल का केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने लिखित जवाब प्रस्तुत किया है. इस लिखित जवाब में राज्यावर आंकड़े बताए गए हैं, जिसमें करीब 71,554 हजार हेक्टेयर रकबा पूरी तरह से सिंचित है यानी फसल की सिंचाई के लिए पानी है. वहीं 67,797 हजार हेक्टेयर रकबा असिंचित बताया गया है यानी पानी की कमी के साथ कुछ इलाकों में सिंचाई के संसाधनों का भी अभाव है.


महाराष्ट्र का नाम टॉप पर
साल 2018-19 या सबसे ताजा आंकड़ों से पता चला है कि देश के सबसे ज्यादा असिंचित इलाकों को कवर करने वाला राज्य महाराष्ट्र है, जहां महज 3,145 हजार हेक्टेयर रकबा सिंचाई के अधीन है, जबकि 13,670 हजार हेक्टेयर रकबा असिंचित है. यह आंकड़े केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक लिखित जवाब से सामने आए हैं.


इस लिस्ट में दूसरा नाम राजस्थान का है, जहां का 8,383 हेक्टेयर रकबा सिंचित, जबकि 9,495 हेक्टेयर क्षेत्र असिंचित है और सिंचाई की सुविधाओं का भी अभाव है. ऐसा नहीं है कि ये रकबा खेती के लिए अनुकूल नहीं है, यहां खेती करने में सिंचाई की असुविधा एक बड़ी समस्या है. इसके बावजूद राजस्थान के 17,778 हेक्टेयर में रकबा फसल की बुवाई के अधीन आता है.


इन राज्यों का नाम भी लिस्ट में
सरकार के डेटा में महाराष्ट्र और राजस्थान के किसानों को ही नाम शामिल नहीं है, बल्कि  कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश भी शामिल हैं.



  • कर्नाटक में असिंचित रकबा 6,633 हजार हेक्टेयर, सिंचित रकबा 4,032 हजार हेक्टेयर और बुवाई का क्षेत्रफल 10,664 हजार हेक्टेयर है.

  • गुजरात में असिंचित रकबा 6,069 हजार हेक्टेयर, सिंचित रकबा 4,233 हजार हेक्टेयर और बुवाई का क्षेत्रफल 10,302 हजार हेक्टेयर है.

  • मध्य प्रदेश में असिंचित रकबा 3,856 हजार हेक्टेयर, सिंचित रकबा 11,349 हजार हेक्टेयर और बुवाई का क्षेत्रफल 15,205 हजार हेक्टेयर है.

  • आंध्र प्रदेश में असिंचित रकबा 3,253 हजार हेक्टेयर, सिंचित क्षेत्र 2,796 हजार हेक्टेयर और बुवाई का क्षेत्रफल 6,049 हजार हेक्टेयर रिकॉर्ड हुआ है.

  • ये आंकड़े साल 2018-19 तक की रिसर्च पर आधारित हैं, जो केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिखित जवाब में प्रस्तुत हुए हैं.


यूपी में चल रही सिंचाई परियोजनाएं
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश में सिंचाई के असिंचित रकबे या खेती की जमीन का विस्तार करने के एक सवाल पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिखित जवाब में बताया कि फिरोजाबाद, आगरा, एटा, कासगंज और मैनपुरी समेत कई जिलों में काम विस्तार से चल रहा है.



  • आगरा में 657 खेत तालाब, 30 कुएं, 1040 चेक डैम और 641 सामुदायिक तालाब बनाए जा चुके हैं.

  • एटा में 2091 खेत तालाब, 268 कुएं, 307 चेक डैम और 624 सामुदायिक तालाब का निर्माण हुआ है.

  • फिरोजाबाद में 2504 खेत तालाब, 971 कुएं, 397 चेक डैम और 590 सामुदायिक तालाब का काम पूरा हुआ है.

  • कासगंज में 3505 खेत तालाब, 931 कुएं, 338 चेक डैम और 191 सामुदायिक तालाब बनवाए जा चुके हैं,

  • मैनपुरी में भी 1249 खेत तालाब, 1034 कुएं, 262 चेक डैम और 603 सामुदायिक तालाबों का निर्माण करवाया गया है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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