Lumpy Virus: लंपी जैसे वायरस से पशुओं को बचाएगी केंद्र सरकार, 1228 करोड़ होंगे खर्च, ये है योजना
लंपी वायरस ने पशु चिकित्सा व्यवस्था को पूरी तरह झकझोर दिया. भविष्य में ऐसा कोई वायरस कहर न बरपा पाए, इसके लिए पशु स्वास्थ्य सहायता प्रणाली के तहत केंद्र सरकार पशु स्वास्थ्य विकास को लेकर कदम उठाएगी.
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Lumpy Virus In India: पिछले साल लंपी वायरस ने देश में जमकर कहर बरपाया. लाखों पशु वायरस से संक्रमित हो गए, जबकि हजारों की संख्या में पशुओं की मौत हो गई. लंपी वायरस से बचाव के लिए केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान चलाया. हालांकि, अब उतना खतरा देश में नहीं रहा है. लेकिन भविष्य में लंपी जैसा वायरस पशुओं का काल न बनने पाए. इसको लेकर केंद्र सरकार तैयारी में जुटी हुई है. लंपी जैसे वायरस से बचाव के लिए नई योजना लॉन्च की गई है. इस योजना में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये से केंद्र सरकार पशुओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखेगी.
विश्व बैंक की मदद से किया जाएगा काम
देश में हेल्थ मिशन पहले ही शुरु हो चुका है. अब केंद्र सरकार ने पशु और पर्यावरण के स्वास्थ्य को भी वन हेल्थ में शामिल करना तय किया है. केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय इस योजना के तहत अगले 5 साल तक पशुओं के स्वास्थ्य की देखरेख पर काम करेगा. इसके लिए पशु स्वास्थ्य सहायता प्रणाली (एएचएसएसओएच) पर विश्व बैंक के साथ समझौता हस्ताक्षर किए हैं.
5 राज्यों में चलाई जाएगी परियोजना
केंद्र सरकार पशुओं के स्वास्थ्य प्रबंधन को मजबूत करना चाहती है. इसी को देखते हुए देश के पांच राज्यों के 151 जिलों में पशु महामारी तत्परता पहल (एपीपीआइ) परियोजना का संचलान किया जाएगा. शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में इसका शुभारंभ करेंगे. इसके तहत बेहतर पशु स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली तैयार करने के लिए ईकोसिस्टम भी तैयार किया जाएगा.
योजना पर खर्च होंगे 1228 करोड़
केंद्र सरकार योजना के तहत जूनोटिक रोगों से बचाव की जानकारी देने के लिए देश के 6 लाख घरों तक अपनी पहुंच बनाएगी. योजना के तहत 75 जिला व क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को और बेहतर किया जाएगा. 300 पशु चिकित्सा अस्पतालों, डिस्पेंसरियों को और बेहतर किया जाएगा. 9000 पैरा वेटेरिनरी डाक्टर व डायग्नोस्टिक प्रोफेशनल और 5500 पशु चिकित्सकों को प्रोफेशनली तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा. योजना के क्रियान्वयन में अगले 5 सालों में 1228.70 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
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