Soil Test Lab Ambulance: हर गांव के हर खेत तक पहुंचेगी सॉइल टेस्ट लैब एंबुलेंस, ऑन स्पॉट पता लगेगा मिट्टी में कितना लगेगा खाद-उर्वरक
Soil Test Lab: बेहतर उपज के लिए मिट्टी की सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी है, इसलिए एमपी सरकार अब मृदा परीक्षण प्रयोगशाला एंबुलेंस चलाने जारी रही है, जो हर गांव-हर खेत पर ऑन-स्पॉट मिट्टी की जांच करेगी.
Soil Test Lab Ambulance: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कई बार कहा है कि मिट्टी हमारी मां है. इसकी रक्षा करना और धरती की सेवा करना हमारा फर्ज है. हमारे किसान इसी मिट्टी से अन्न उपजाते हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे मिट्टी का क्षरण हो रहा है. इससे मिट्टी की उर्वरक कम होती जा रही है और फसलों से ही उत्पादन मिल पाता. कई बार किसान फसल की आवश्यकता से अधिक खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं. ये भी मिट्टी की सेहत बिगड़ने का अहम कारण है, जिसे रोकना होगा. सही जरूरत का पता लगाने के लिए मिट्टी की जांच करवाने की सलाह दी जाती है, लेकिन ये जांच लैब गांव से काफी दूर होती है, जहां तक हर किसान को पहुंच नहीं मिल पाती. इस समस्या का समाधान मध्य प्रदेश सरकार ने निकाल लिया है. जल्द मध्य प्रदेश सरकार हर गांव हर खेत तक मिट्टी परीक्षण जांच प्रयोगशाला यानी Soil Test Lab Ambulance चलाने जा रही है, जिससे किसानों को ऑन-स्पॉट मिट्टी की जांच की सुविधा दी जाएगी.
खेत में पहुंचेगी मिट्टी की जांच लैब एंबुलेंस
हाल ही में, मध्य प्रदेश के भोपाल में किसान उत्पादक संगठनों की एक प्रयोगशाला का आयोजन किया गया. यहां एमपी के कृषि मंत्री कमल पटेल भी मौजूद थे, उन्होंने यह जानकारी दी कि जल्द शिवराज सरकार खेती की मिट्टी के परीक्षण के लिए हर गांव के हर खेत में एंबुलेस मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला सेवा चालू करने जा रही है.
इस एंबुलेंस में कृषि वैज्ञानिकों के साथ कृषि अधिकारियों की टीम भी मौजूद रहेगी, जो किसान के खेत पर ऑन स्पॉट मिट्टी की टेस्टिंग करके बताएगी की खेत की मिट्टी की क्या कमियां है और कितनी मात्रा में खाद उर्वरकों का इस्तेमाल करना है. कृषि मंत्री ने बताया कि ये सुविधा पहले से ही मंडी में उपलब्ध है, लेकिन सभी किसान इसका लाभ ले पाने में असक्षम है. यदि वजह है कि सरकार ने सुविधा सीधा खेतों तक पहुंचाने का फैसला किया है.
प्राकृतिक-जैविक खेती से बचेगा पैसा
अपने संबोधन में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि किसान प्राकृतिक खेती-जैविक खेती की तरफ रुख करेंगे तो विदेशों से खरीदे जा रहे रसायनिक खाद-उर्वरकों पैसा बचेगा. उन्होंने बताया कि साल 2019-20 के बीच सरकार ने उर्वरकों पर 71,0000 करोड़ की सब्सिडी दी थी, जो इस साल बढ़कर सवा दो लाख करोड़ तक पहुंच गई है.
पहले डीएपी उर्वरक की कीमत 1900 रुपये थी, जिस पर सरकार 700 रुपये सब्सिडी देकर मात्र 1,200 रुपये में डीएपी उर्वरक उपलब्ध करवा रही थी, लेकिन अब डीएपी उर्वरक का दाम 3,900 रुपये हो गया है, जो सरकार की तरफ से 1,350 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से उपलब्ध करवाया जा रहा है यानी 2600 से 2700 रुपये सरकार दे रही है.
किसान उत्पादक संगठनों की प्रयोगशाला में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने में किसान उत्पादक समूहों का अहम भूमिका है, इसलिए सरकार हम कदम किसानों के साथ खड़ी है, जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार भी किसान उत्पादक सगंठनों के लिए कई योजनाएं चला रही है. सरकार ने देशभर में करीब 10,000 किसान उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य रखा है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.