Agriculture Scheme: 1 रुपये में फसल का बीमा... प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हुई फसल तो सरकार खर्च करेगी इतने करोड़
जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के कारण को काफी फसल नुकसान झेलना पड़ रहा था, लेकिन अब नए साल के बजट से यह चिंता को भी दूर हो गई है. महाराष्ट्र सरकार ने 1 रुपये ब्याज पर फसल बीमा देने का ऐलान किया है
Fasal Beema Yojana: आज पूरी दुनिया पर जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम झेल रही है. इसका सबसे बुरा असर खेती किसानी पर पड़ रहा है. बेमौसम बारिश, ओले, बाढ़, सूखा जैसे प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलें नुकसान में जा रही हैं. ये ऐसी स्थिति है जब खुद किसान भी आर्थिक संकट में फंस जाते हैं. भारत में भी जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव साफ नजर आने लगे हैं. पिछले साल कई राज्यों में मौसम की मार से भारी फसल नुकसान हुआ. महाराष्ट्र में भी कुछ ऐसी ही परिस्थितियां देखने को मिलीं. किसानों को बड़े नुकसान से बचाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने मुआवजे का ऐलान किया था, लेकिन अब इस समस्या का परमानेंट सोल्यूशन निकालते हुए राज्य सरकार ने 1 रुपये में फसल बीमा करवाने की घोषणा की है.
1 रुपये ब्याज पर मिलेगा फसल का बीमा
भारत में प्राकृतिक आपदाओं से हुए फसल नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है. इस स्कीम में किसान अपनी फसल की सुरक्षा के लिए एक निश्चित बीमा प्रीमियम अदा करता है.
बदले में नुकसान होने पर बीमा कंपनियों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारें किसान को आंशिक भरपाई करती हैं, लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार ने राज्य स्तर पर 1 रुपये के ब्याज पर बीमा योजना की घोषणा कर दी है. इसका सबसे ज्यादा फायदा उन किसानों को मिलेगा, जो छोटी जमीनों पर खेती करते हैं या बड़ा बीमा प्रीमियम नहीं भर पाते.
राज्य सरकार करेगी भरपाई
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत, खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत और बागवानी फसलों का बीमा करवाने के लिए 5 प्रतिशत बीमा प्रीमियम अदा करना होता है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने अब ये चिंता भी खत्म कर दी है.
राज्य के उप-मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि कि पहले फसल बीमा योजना करवाने वाले किसान से बीमा की रकम का 2 प्रतिशत ब्याज लिया जाता था, लेकिन अब सराकर 1 रुपये में फसल बीमा उपलब्ध करवाने की तैयारी कर रही हैं. इस योजना में सरकारी खजाने से 3312 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
महाराष्ट्र में भी बढ़ेगा प्राकृतिक खेती का रकबा
खेती में बढ़ते रसायनों के इस्तेमाल से ना सिर्फ मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती जा रही है, बल्कि कैमिकल से उपजे कृषि उत्पादों से सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है. इसलिए अब ज्यादातर राज्य सरकारें प्राकृतिक खेती का मॉडल अपना रही हैं.
नए साल के बजट में महाराष्ट्र सरकार ने भी अगले 3 साल में 25 लाख हेक्टेयर रकबा प्राकृतिक खेती के तहत लाने का फैसला किया है. इसी योजना के तहत राज्य में 1000 बायो-इनपुट संसादन केंद्र की स्थापना का भी लक्ष्य रखा है.
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