(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Paddy Cultivation: आपदा को अवसर में बदलना कोई महाराष्ट्र से सीखे, भारी नुकसान के बावजूद अंतिम तरण में पहुंची धान की रोपाई
Paddy Farming in Maharashtra: जून-जुलाई के महीने में मानसून फेरबदल करता रहा, लेकिन कई इलाकों में औसत बारिश के कारण जल्द ही किसानों ने धान की रोपाई का काम निपटा लिया है.
Highest Paddy transplantation in Maharashtra: मानसून 2022 (Monsoon 2022) की शुरुआत से ही खेती-किसानी पर सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. बात करें महाराष्ट्र की तेज बारिश के कारण यहां फलों के बागों (Fruit Orchards of Maharashtra) में काफी नुकसान देखने को मिला, लेकिन आपदा का अवसर में बदलते हुये महाराष्ट्र के किसानों ने धान की रोपाई (Paddy Cultivation in Maharashtra) को जारी रखा. मौसम विभाग द्वारा जारी एडवायजरी के मुताबिक मानसून की शुरुआत से ही देश में अच्छी बारिश का अनुमान था, लेकिन जून के महीने में सूखा और जुलाई माह में तेज बारिश के कारण अंकुरित फसलें पानी में डूबकर नष्ट हो गई.
इसके बावजूद कई इलाकों में किसानों ने सफलतापूर्वक 80 फीसदी धान की रोपाई का काम कर लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राज्य में धान की रोपाई के अलावा सोयाबीन (Soyabean Farming), कपास (Cotton Farming) और मूंग (Moong Farming) जैसी अन्य फसलों की बुवाई में भी बढोत्तरी दर्ज की गई है.
आपदा के बावजूद बढेगा धान का रकबा (Paddy production may Increase in 2022)
जून-जुलाई के महीने में मानसून फेरबदल करता रहा, लेकिन कई इलाकों में औसत बारिश के कारण जल्द ही किसानों ने धान की रोपाई का काम निपटा लिया है.
- बात करें विदर्भ और कोंकण क्षेत्र की तो यहां धान की रोपाई में वृद्धि दर्ज की गई है.
- खासकर महाराष्ट्र के पुणे जिले के वेल्हा और भोर तालुका ब्लॉक में करीब 80 फीसदी किसानों ने धान की रोपाई का काम लगभग पूरा कर लिया है.
- यहां किसानों ने हजारों रुपये प्रति एकड़ खर्च करके धान के उन्नत बीजों की रोपाई की है, जो अब लगभग खत्म होने वाली है,.
- जुलाई माह की शुरुआत के मुकाबले पिछले सप्ताह किसानों ने तेजी कृषि कार्य किये हैं, जिसके चलते रोपाई का काम अब अंतिम चरण में है.
- पिछले समय के मुकाबले पुणे के किसानों ने अपनी फसल प्रणाली को भी बदला है, जिस कारण इस बार धान का रकबा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
- धान के अलावा कई किसान में तेजी से बुवाई और प्रबंधन कार्य निपटाने में लगे हुये हैं, ताकि समय पर फसलों का उत्पादन ले सकें.
तेजी से चल रहे हैं प्रबंधन कार्य (Crop Management work in Maharashtra)
खरीफ सीजन (Kharif Season 2022) में महाराष्ट्र के किसानों ने सोयाबीन, कपास, उड़द और मूंग जैसी अन्य फसलें भी लगाई थी, जो तेज बारिश के कारण जल मग्न हो गईं. तेज बारिश के कारण इन फसलों में काफी नुकासन हुआ, लेकिन समय पर प्रबंधन कार्यों (Crop Management Works) के चलते अब ये फसलें खतरे से बाहर हैं.
- खरीफ सीजन (Kharif Crop Management) की अगेती फसलों में कीटनाशक-रोगनाशक दवाओं के छिड़काव और खरपतवार के लिये निराई-गुड़ाई कार्य भी तेजी से किये जा रहे हैं, ताकि फसलों में कीट-रोग जैसे जोखिमों की रोकथाम की जा सके.
- इसी के साथ समय पर पोषण प्रबंधन (Fertilizer Management) करने से फसलों की उत्पादकता और उत्पादन को भी बढ़ा सकते हैं.
- कृषि विशेषज्ञों की मानें तो महाराष्ट्र राज्य (Maharashtra) में कुछ और दिन इसी तरह की औसत बारिश के बाद फसलों का विकास तेजी से होगा और किसान भी बेहतर उत्पादन ले सकेंगे.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें:-
Kharif Crop Compensation: इन किसानों को मिलेगा खरीफ फसलों में हुये नुकसान का मुआवजा, यहां करें आवेदन
Crop Management: नुकसान का पैगाम ला सकती है फसल विविधिकरण खेती, इन बातों का रखें खास ख्याल