सामुदायिक संसाधनों को समझने के लिए सामूहिक कार्रवाई और सामुदायिक भागीदारी दो प्रमुख स्तंभ हैं. भारत भर से जमीनी स्तर के सात चेंज मेकर्स ने नई दिल्ली में कॉमन्स कन्वेनिंग के उद्घाटन सत्र में इस बात पर जोर दिया. यह तीन दिवसीय कार्यक्रम भारत के पारिस्थितिक कॉमन्स के शासन के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए प्रमुख हितधारकों, सरकारी अधिकारियों, नागरिकों, शोधकर्ताओं और विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों को एक साझा मंच प्रदान करता है.
ओडिशा के जिशुदान दिशारी ने प्राकृतिक संसाधनों को पुनर्जीवित करने के लिए पेड़ लगाने, सिंचाई प्रणाली जैसी संरक्षण तकनीकों की खोज शुरू की. वे अपने आस-पास के गांवों के 50 से अधिक युवाओं और 100 महिलाओं के साथ काम करते हैं. समाज से व्यापक भागीदारी का अनुरोध और प्रोत्साहन करते हैं. भारत भर में चल रहे ऐसे कई समुदाय-नेतृत्व वाले संरक्षण प्रयास की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने सम्मेलन से एक कानून बनाने के लिए सबको एक साथ आने का आग्रह किया जो उन्हें सशक्त बनाए और यह सुनिश्चित करे कि नीतियां बाधा बनकर न खड़ी हों.
शिकार से फोटोग्राफी की ओर किया रुख
नागालैंड के योंग्यिमचेन गांव के वाई नुक्लू फोम ने शिकार से फोटोग्राफी की ओर रुख किया, जिससे जैव विविधता लौटी. जल्द ही हमारे जंगल के क्षेत्रों में अमूर बाज़ आने शुरू हो गए. शहरों में कॉमन्स के महत्व पर चर्चा की गई, जिसमें कहा गया कि शहरों को रहने योग्य बनाने से लोगों का ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवासन रुक जाएगा. उप-राष्ट्रीय स्तर पर कॉमन्स को संस्थागत बनाने के लिए सरकार और समुदायों के सहयोग से तात्कालिक कार्रवाई की आवश्यकता बताई गई.
क्या है सम्मेलन का उद्देश्य
भारत के कॉमन्स में सामुदायिक वन, चारागाह और जल निकाय शामिल हैं. ये संसाधन 20.5 करोड़ एकड़ क्षेत्र से अधिक भूभाग में फैले हैं और 35 करोड़ से अधिक निर्धन ग्रामीणों की आजीविका के लिए आवश्यक हैं. कॉमन्स भोजन, पानी, दवा, जलावन की लकड़ी और इमारती लकड़ी जैसे महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करते हैं. वे स्वच्छ जल, उपजाऊ मिट्टी, परागण, कीट नियंत्रण और कार्बन भंडारण सहित महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं भी उपलब्ध कराते हैं.
स्थानीय समुदाय इन संसाधनों के सतत उपयोग को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए प्रणाली और परम्पराओं को अपनाते हैं. कॉमन्स का ह्रास हो रहा है और उन्हें बनाए रखने वाले पारंपरिक शासन पद्धतियों को तत्काल एक सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है.
यह भी पढ़ें- PM Kisan Nidhi: पीएम किसान सम्मान निधि की अगली किस्त जल्द, नहीं किया है ये काम तो तुरंत कर लें